रिहा होने के बाद नवदीप कौर का ऐलान संघर्ष जारी रखूँगी

तन्वी सुमन। Twocircles.net

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को श्रम अधिकार कार्यकर्ता नवदीप कौर को जमानत दे दी। 23 वर्षीय कार्यकर्ता नवदीप ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि उन्हें 12 जनवरी को सोनीपत पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद एक पुलिस थाने में गंभीर रूप से पीटा गया था। करीब छह सप्ताह पहले कौर को हत्या के प्रयास सहित कई आरोपों में एक आपराधिक मामला दर्ज किये जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था। करीब छह सप्ताह पहले नवदीप कौर को हत्या के प्रयास सहित कई आरोपों में एक आपराधिक मामला दर्ज किये जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि पुलिस की एक टीम पर कथित तौर पर डंडों से हमला किया गया था जिससे सात पुलिसकर्मियों को चोटें आयी थीं।


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दलित श्रम अधिकार एक्टिविस्ट और मजदूर अधिकार संगठन (MAS) की सदस्य, 24 वर्षीय नवदीप कौर लगभग 45 दिनों से जेल में बंद थी जिन्हें शुक्रवार को जमानत दे दिया गया। उनका संगठन उन वर्कर यूनियनों में शामिल है, जो केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के साथ प्रदर्शन का हिस्सा हैं। नवदीप को 12 जनवरी को सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था और 2 फरवरी को उनकी जमानत खारिज हो गई थी। नवदीप पंजाब के मुक्तसर जिले की मूल निवासी हैं, जहां उनकी मां भी पंजाब खेत यूनियन के लिए सक्रिय रूप से काम करती हैं। नवदीप कौर का पूरा परिवार मजदूर संगठन से जुड़ा हुआ है। नवदीप की बड़ी बहन राजवीर, दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं और इसके साथ की वह भगत सिंह छात्र एकता मंच से जुड़ी हुई हैं और उनकी छोटी बहन हरदीप अपनी परिवार के साथ रहती हैं और पढ़ाई करती हैं। अपने घर वालों की आर्थिक मदद करने के लिए स्कूल खत्म करने के बाद नवदीप ने मजदूर के रूप में काम करना शुरू कर दिया।

45 दिनों के बाद जेल से रिहा होने पर नवदीप ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए मीडिया से बोला कि उन्हें लोगों को काले कानून के खिलाफ़ जागरूक कराने के जुर्म में जेल में डाला गया था। उन्होंने आगे बताया कि किस प्रकार मजदूर लोगों को उनके थे काम के पैसे नहीं दिये गए थे और जब नवदीप अपने संगठन के लोगों के साथ कंपनियों में जाकर पैसे की माँग कर रहे थे तो उनपर मार-पिटाई का आरोप लगा जेल में डाल दिया गया। लेबर कोर्ट में जाकर शिकायत दर्ज कराने के सवाल पर नवदीप ने बोला, देहाड़ी मजदूरी कर कमाने वाले लोगों के पास इतना पैसा कहाँ जो वकील की फीस भर सके इसलिए अपनी मांगों लो लेकर धरना करना ही आख़िरी उपाय बचता है।

नवदीप को तो जमानत दे दिया गया मगर अभी तक दलित श्रम कार्यकर्ता शिव कुमार पुलिस की हिरासत में ही हैं। शिव कुमार की मेडिकल रिपोर्ट में उनके साथ पुलिस हिरासत में बुरे तरीके से मार-पिट और यातना की आशंका जताई है।

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