स्टाफ़ रिपोर्टर। Twocircles.net
हिन्दू संगठनों के दर्जन भर कार्यकर्ताओं ने सहारनपुर के सरकारी बस स्टैंड पर बने सार्वजनिक शौचालय को तोड़फोड़ कर नष्ट कर दिया है। हिन्दू संगठनों का कहना है कि मंदिर की दीवार से सटे हुआ शौचालय उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा था,उन्होंने इसकी शिकायत नगर निगम में की थी,कार्रवाई नही हुई इसलिए उन्होंने खुद ही कानून अपने हाथ मे ले लिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आज दोपहर लगभग 12 बजे दर्जन भर हिन्दू संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता यहां बस स्टैंड पर पहुंचे उनके हाथों में लाठी डंडे थे और लोहे के औजार थे। वो जय श्री राम के नारे लगा रहे थे। उन्होंने अचानक से शौचालय पर तोड़फोड़ शुरू कर दी। भीड़ में से किसी ने उन्हें नही रोका। कुछ रोड़वेज कर्मचारियों ने उन्हें ऐसा करने के लिए मना किया मगर उनपर कोई असर नही पड़ा।
इस युवको का नेतृत्व कर रहे हिन्दू योद्धा परिवार के नेता वीर सिंह कंबोज ने नवजीवन से बताया कि दो दिन पहले हिन्दू योद्धाओं ने यहाँ आकर अधिकारियों को चेताया था कि वो तत्काल इस मूत्रालय को हटा लें क्योंकि यह बिल्कुल मंदिर से सटा हुआ है उन्होंने हमारी नही सुनी तो हमने खुद ही इसे साफ कर दिया है। मूत्रालय से हमारा 100 पुराना मंदिर अपवित्र हो रहा था। हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा रहा था। हम खुद ही ढाने में सक्षम है। हमने इसे ढा दिया और हम इसे बिल्कुल साफ कर देंगे।
बता दें कि इस शौचालय का प्रयोग परिवहन विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया जाता है और यह सहारनपुर के मुख्य बस स्टैंड पर है। हिंदू संगठनों के अचानक वहां पहुँचकर हंगामा करने और तोड़फोड़ करने से रोड़वेज कर्मियों ने नाराजग़ी जताई है। कर्मचारी नेता विकास कुमार ने कहा है कि सभी धार्मिक स्थलों के आसपास शौचालय होते हैं। सरकार तो शौचालय बनाने का प्रचार कर रही है। अब यह भी बताया जाएं कि कर्मचारियों मूत्र त्याग कहाँ करें ! हिन्दू संगठनों के नाम पर गुंडागर्दी हो रही है। सरकारी संपति में तोड़फोड़ हुई है।
नगर आयुक्त ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार वो दोनों पक्षों से बात कर रहे हैं और इसका समाधान खोज लेंगे। उत्पाती युवकों पर कार्रवाई की बात पर वो चुप्पी साध रहे हैं। समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता फरहाद गाड़ा के मुताबिक धार्मिक भावनाओं का जहां तक प्रश्न है वो किसी भी आहत नही होनी चाहिए मगर ये हिन्दू संगठन हर एक बात पर कानून अपने हाथ मे क्यों ले रहे हैं ! उन्हें किसी बात पर आपत्ति है तो उसे सिस्टम के सामने रखें अगर वहां सुनवाई नही है तो जवाबदेही करें। सरकार को तो उनकी सबसे पहले सुननी चाहिए। अब इनकीं ही नही सुन रही है तो किसी और क्या सुन रही होगी ! कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है।