जितेंद्र गुप्ता Twocircles.net के लिए
सोनभद्र : चकाचौंध भरी दुनिया में जहां लोग दूसरे ग्रहों पर जाकर वहां की तस्वीर और अन्य चीजों की खोजबीन कर रहे हैं ऐसे में अगर यह बात सामने निकल कर आए की कई हजार आबादी में आज भी एक भी टावर नहीं और ना ही वहां मोबाइल काम करता है यह सुनकर आपको हैरानी होगी। ऐसा है यूपी के जनपद सोनभद्र अंतर्गत थाना जुगैल क्षेत्र में जहां आज भी न फोन है और ना ही मोबाइल नेटवर्क….पुलिस आपस मे संदेश भेजने के कठिनाई महसूस करती है और कमाल यह है कि इस थाने को अपनी एफआईआर ऑनलाइन करने के लिए एक दूसरे थाने चोपन जाना पड़ता है।
सवाल यह है कि एक तरफ जहां डिजिटल इंडिया और साइनिंग इंडिया की बात होती है यह सारे दावे यहां धरातल पर नजर नहीं आते, क्षेत्र में क्या पुलिस और क्या जनता सभी अपने काम के सिलसिले में दूसरे से बात करने के लिए तरसते हैं उनको कई किलोमीटर दूर जाकर मोबाइल का काम करना पड़ता है, कोई पेड़ पर चढ़कर तो कोई पहाड़ पर चढ़ कर बात करने की कोशिश करता है, बात अगर क्राइम की करें तो घटना होने के कई घंटों बाद भी पुलिस को इसकी सूचना नहीं मिल पाती है क्योंकि क्षेत्र में मोबाइल काम नहीं करता है अगर कोई अपनी घटना या किसी की कोई समस्या किसी के साथ हो जाए तो वह पुलिस को सूचना नहीं दे पाता मजबूरन उसे थाने जाना होता है।
सोनभद्र जनपद में इस आदिवासी बाहुल्य जुगैल क्षेत्र की आबादी लगभग 60-70 हजार है, बात वोटर की करें तो 22500 की संख्या है और लगभग 25 किलोमीटर के दायरे में ग्राम पंचायत फैला हुआ है। कोई घटना घट जाए तो पुलिस सबसे पहले आफ़ लाइन एफआईआर दर्ज करती है उसके बाद करीब 30 किलोमीटर दूर चोपन जाकर ऑनलाइन की प्रक्रिया पूरी करती है। जब कभी उच्च अधिकारियों का जनपद दौरा होता है उन्हें मीडिया के माध्यम से जानकारी दी जाती है लेकिन समस्या आज तक जस की तस है। अगर बात पुलिस से हटकर करें तो आम जनता कोई भी सूचना जैसे 112, 108, 1090 के अलावा और भी हेल्प लाइन की सेवा लेना चाहे तब भी नहीं ले सकता, संचार सेवाओं से कोसों दूर इस क्षेत्र में कर्मचारी या अधिकारी ड्यूटी करने से कतराते हैं चाहे वह किसी भी विभाग से ताल्लुक रखते हो।
गांव के प्रधानपति दिनेश यादव का कहना है कि जुगैल सोनभद्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है और वोटर यहां 22,500 लगभग है, 25 किलोमीटर के दायरे में यह ग्राम पंचायत फैला हुआ है, ऐसे में नेटवर्क की समस्या यहां बड़ी है, जब बात करने की कजरूरत होती है तो पहाड़ या पेड़ पर चढ़ना होता है क्षेत्र की भौगोलिक स्थित दुरूह है, हम लोगों ने काफी प्रयास किया डीएम, विधायक, सांसद के सामने हम लोगों ने अपनी बातों को रखा लेकिन आज तक उसका हाल नहीं निकल पाया, समस्या के सवाल पर बताया कि कोई बीमार हो गया किसी तरह की बात करनी हुई पहाड़ पर चढ़ना होगा नदी है नाले हैं समस्याएं तमाम आती हैं, सरकार की तमाम हेल्पलाइन की सेवा अगर लेना चाहे तो नहीं ले पाएंगे, बरसात के समय में अगर एंबुलेंस को फोन करना हुआ तो फोन नहीं हो पाएगा और मरीज की मौत हो जाएगी, प्रधान पति ने कहा कि डीएम साहब से कमिश्नर साहब से मंत्री जी को चिट्ठी लिखेंगे समाधान का प्रयास करेंगे जिससे कि हमारे यहाँ नेटवर्किंग समस्या अच्छी हो सके।
ग्रामीण जितेंद्र कुमार बताते हैं कि नेटवर्क की समस्या है कहीं भी कुछ समस्या होती हो तो पता नहीं चलता है। नेटवर्क की समस्या की वजह से हमारी रिश्तेदारी में कुछ समस्या हो गया है इसीलिए फोन कर रहे थे अभी हमको नेटवर्क में जाना होगा और फिर से बात करनी होगी, पेड़ पर चढ़कर टावर पकड़ा रहे थे आपने भी देखा वैसे ही पेड़ पर चढ़कर बात करना है कोई समस्या सामने आने पर पहाड पर चढ़कर टावर पकड़ाना होता है, वह भी कभी नेटवर्क आता है कभी नहीं आता है पुलिस को बताना होगा तभी नेटवर्क में जाना होग या तो थाने जाना होगा, थाने पर भी नेटवर्क नहीं है सभी आते हैं जाते हैं लेकिन सब कहते हैं लेकिन आज तक टावर नहीं लग पाया, टावर नही तो बड़ा महंगा मोबाइल रखने से कोई मतलब नहीं है।
एक दूसरा ग्रामीण जगदीश धूप में खड़ा होकर मोबाइल लगा रहा था , पूछने पर उसने बताया कि धूप में खड़े होकर मोबाइल से टावर पकड़ा रहे थे , बात करना होता है तो पहाड़ पर चढ़ते हैं, चाहे ठंडी चाहे बरसात बिना पहाड़ चढ़े टावर नहीं पकड़ता है, देश दुनिया कहां से कहां पहुंच गई साइंस और वैज्ञानिक कहां से कहां पहुंच गए लेकिन आज भी गांव में टावर नहीं लग पाया कुछ अटपटा नहीं लगता है। सवाल पर बताया कि सांसद विधायक और भी अधिकारी हुए गांव में आते हैं कहते हैं कि लग जाएगा लेकिन अब नहीं लगता, एंड्राइड फोन भी महंगा वाला रखे हैं उसका टावर पहाड़ पर चढ़कर ही पड़ेगा और ऐसा नहीं होता कि हमेशा ही पकड़ेगा कभी कभार पकड़ता है और ऐसा ना होने पर गुस्सा भी लगता है टावर नहीं ऐसे में समस्या पुलिस तक नहीं पहुंच पाती और आलम यह है कि पुलिस सूचना नहीं होगी तो पुलिस मौके पर नहीं पूछेगी।
बबलू कहते हैं कि मोबाइल नेटवर्क को लेकर ग्रामीण परेशान है कोई भी समस्या होती है तो पहाड़ के अलावा और कहीं टावर नहीं पकड़ता है और पहाड़ पर चढ़ने पर भी कभी टावर पकड़ता है तो कभी नहीं पकड़ता है अमूमन सब यही बात कह रहे है कि नेटवर्क के वजह से कोई सूचना पुलिस को नहीं दिया जा सकता, या तो 15-20 किलोमीटर दूर किसी दूसरे के साधन से थाने जाना पड़ता है पुलिस सूचना पर भी लेट पहुंचती है अगर कोई परिचित बीमार पड़ जाए तो सही समय पर सूचना नहीं दे पाते और उसको अपने ही हाथों लेकर जाना होता है बरसात होने पर भी सूचना समय से नहीं दे पाएंगे और कोई और उसकी मौत हो जाएगी, कहने को गांव में टावर लगे हैं 10-12 साल हो गए लेकिन आज तक गांव में टावर नहीं लगे सके।
जुगल क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क ना होने की समस्या पर पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र प्रसाद ने कहा कि जनपद सोनभद्र वैसे भी दुर्गम क्षेत्र है पहाड़ भी है जंगल भी है यहां आबाद दूर दूर है यहां नेटवर्क समस्या है और भी थानों में समस्या रहती है लेकिन जहां तक जुगैल थाना क्षेत्र का प्रश्न है यह अच्छी खासी मुसीबत पुलिस विभाग के लिए भी खड़ी करता है क्योंकि हम लोग भी चाहे तो मोबाइल से बात नहीं हो पाती है, हम लोग भी आरटी सेट के माध्यम से ही बात कर पाते हैं आम आम आदमी के साथ साथ हम लोग भी परेशान हैं स्वभाविक है कि आज के डेट में भी जो टीटीएनएस प्रणाली है उसमें भी नेटवर्क सेवा से चलता है और उसमें डाटा सिंक कराने के उपरांत ही सब कुछ अपडेट होता है, इसमें हम लोगों ने भी बहुत प्रयास किया है और पहल किया है कि वहां नेटवर्क हो जाए और डीएम स्तर से भी पत्राचार किया गया है और हम जल्द ही उम्मीद करते हैं कि इसकी समस्या दूर हो जाए।