मुल्क में सादगी के साथ मनाई गई ईद उल अज़हा

स्टाफ़ रिपोर्टर ।Twocircles.net

देशभर में बुधवार को ईद उल अज़हा का पर्व अकीदत और सादगी से मनाया गया। कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों ने कोविड गाइडलाइन का पालन करने के भी निर्देश दिए थे, उन्हीं निर्देशों का पालन करतें हुए कुर्बानी के त्यौहार के तौर पर मनाया गया। कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए ज्यादातर मुसलमानों ने घर पर ही रहकर नमाज़ अदा करी। ईदगाह और मस्जिदों में भी कोविड गाइडलाइंस का पालन करते हुए नमाज़ अदा करी गई और मुल्क को कोरोना वबा से निजात और अमन चैन की दुआ मांगी गई। J


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ईद उल अज़हा ‘बकरीद’ को‌ कुर्बानी के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक बकरीद का त्यौहार ईद के बाद से 70 दिन के बाद मनाया जाता है। आमतौर पर बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। यह कुर्बानी अल्लाह के लिए करी जाती है। कुर्बानी पर गरीबों का खास ख्याल रखा जाता है। कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। जिसका एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है, दूसरे हिस्से को दोस्तों, सगे संबंधियों में बांटा जाता है। वहीं तीसरे हिस्से को खुद के लिए रखा जाता हैं।

ईद-अल-अजहा मनाए जाने के पीछे मुसलमानों का मानना है कि अल्लाह ने पैगंबर हज़रत इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई थी‌। इसके लिए अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर हज़रत इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा था और हज़रत इब्राहिम आदेश का पालन करने को तैयार हुए अपने बेटे हज़रत इस्माइल को कुर्बान करने जा रहे थे तभी कुर्बानी से पहले ही अल्लाह ने उनके हाथ को रोक दिया और इसके बाद हज़रत इब्राहिम के बेटे हज़रत इस्माइल की जगह एक जानवर जैसे भेड़ या दुंबा अल्लाह की तरफ़ से भेजा गया और हज़रत इस्माइल की जगह उस जानवर की कुर्बानी हो गई। हजरत इब्राहिम को 80 साल की उम्र में औलाद नसीब हुई थी।जिसके बाद उनके लिए अपने बेटे की कुर्बानी देना बेहद मुश्किल काम था‌। लेकिन हजरत इब्राहिम ने अल्लाह के हुक्म और बेटे की मुहब्बत में से अल्लाह के हुक्म को चुनते हुए बेटे की कुर्बानी देने का फैसला करा। तभी से लोग बकरे की कुर्बानी करते हुए बकरीद को मनाते आ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की मस्जिदों में ईद-उल-अजहा का त्योहार बुधवार को कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार सीमित संख्या में नमाज अदा कर मनाया गया। कोविड महामारी के कारण ज्यादातर लोगों ने अपने घरों में ही त्योहार मनाया। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने भी बयान जारी करा था कि कोविड प्रोटोकॉल और सरकार के दिशा-निर्देशों पर अमल करते हुऐ बकरीद मनाएं। लखनऊ के इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के नेतृत्व में लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह पर 50 लोगों ने कोरोना नियमों का पालन करते हुए नमाज अदा की और नमाज़ के बाद कोरोना महामारी के खात्मे और देश के विकास की दुआ मांगी गई।

देशभर में बकरीद के मौके पर चहल-पहल देखने को मिली‌ । लोगों ने एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद भी पेश करी। हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण बकरीद का त्यौहार सादगी और संयम के साथ मनाया गया। राजस्थान के बाड़मेर जिले में भारत और पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) और पाकिस्तानी रेंजर्स ने एक दूसरे को मिठाईयां देकर एक दूसरे के साथ बकरीद की खुशियां साझा करी।

देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, समेत अन्य नेताओं ने ईद उल अज़हा की देशवासियों को मुबारकबाद दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट के जरिए मुबारकबाद देते हुए कहा कि ईद उल अज़हा का दिन सामूहिक सहानुभूति, सद्भाव और अधिक से अधिक अच्छे की सेवा में समावेश की भावना को आगे बढ़ाता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुबारकबाद देते हुए कहा कि यह पर्व प्रेम, निस्वार्थता और बलिदान की भावना के प्रति आभार व्यक्त करने और एक समावेशी समाज में एकता और भाईचारे के लिए मिलकर काम करने का त्योहार है।

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