जमकर हो रही है बिहार के नौजवानों की कामयाबी की तारीफ

आकिल हुसैन। Twocircles.net

दिल्ली के रहने वाले सबिहुल हसन ने बिना किसी कोचिंग संस्थान की मदद के बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन में 288 रैंक हासिल करी हैं। सबिहुल हसन का चयन सर्किल आफिसर लैंड & रेवेन्यू के पद पर हुआ हैं।‌ सबिहुल हसन पैतृक तौर बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले हैं। सबिहुल हसन ने स्वयं नोट्स बनाकर बिना किसी कोचिंग संस्थान के मदद के स्वयं परीक्षा की तैयारी करी और कामयाबी हासिल करी। सबिहुल फिलहाल दुबई में एक इंजीनियर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।


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सबिहुल हसन की प्रारंभिक पढ़ाई दिल्ली से हुईं। उन्होंने दिल्ली के एक सीबीएसई बोर्ड स्कूल से हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा पास करी। इसके बाद सबिहुल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भोपाल चले गए, भोपाल के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन में बी-टेक की डिग्री हासिल करी।

बी-टेक करने के बाद सबिहुल सिविल सर्विसेज की तैयारी में लग गए। सबिहुल ने घर पर रहकर स्वयं परीक्षा के नोट्स तैयार करे और मेहनत करी। सबिहुल ने अपनी मेहनत के दम पर परीक्षा पास करी। सबिहुल हसन कुछ समय पहले नौकरी के लिए दुबई चले गए और वहां एक कंपनी में इंजीनियर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सबिहुल हसन के पिता इज़हारुल हसन पीटीआई में टेक्निकल हेड के तौर पर कार्यरत थे। सबिहुल के अलावा परिवार में दो भाई-एक बहन हैं। सबिहुल के भाई सईद हसन Two circles.net से बात करते हुए बताते हैं कि उनके पिता की हमेशा से मंशा थी कि सबिहुल देश की सेवा के लिए जाएं। सईद कहते हैं कि उनके पिता हमेशा से उन्हें इसके लिए प्रेरित करते थे ताकि वे देश सेवा में जाकर के असहाय, शोषित लोगों के लिए कुछ कर सकें। सईद बताते हैं कि सबिहुल ने इंटरव्यू की तैयारी नौकरी करते हुए करी। सईद बताते हैं कि उनका पैतृक घर सीतामढ़ी में हैं, पिता की नौकरी के चलते बहुत पहले पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया था।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की रहने वाली खुशबू आज़म ने अपनी प्रतिभा का झंड़ा बाराबंकी के साथ साथ बिहार में भी गाड़ा है। बाराबंकी के देवा ब्लाक के इस्माइलपुर गांव की निवासी खुशबू आज़म का चयन बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर हुआ हैं। खुशबू आज़म ने पहली बार में ही यह परीक्षा पास करी हैं।

बाराबंकी के सेंट एंथोनी कालेज से हाईस्कूल पास करने के बाद खुशबू नोएडा चली गई। नोएडा के एमिटी कालेज से इंटर की परीक्षा में टाप किया। इसके बाद खुशबू आज़म ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कालेज हिंदू कालेज में स्नातक में दाखिला लिया,फिर यहीं से पालिटिकल साइंस से परास्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करी।

खुशबू आज़म शुरुआत से ही पढ़ाई में अव्वल थी। खुशबू आज़म के पिता फिराकुल आजम वारसी अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन बार सदस्य रहे है। जिनका चार वर्ष पूर्व निधन हो चुका है। वहीं उनकी माता शगुफ्ता आजम हॉकी की राष्ट्रीय खिलाड़ी रही है। खुशबू के बड़े भाई दानिश आजम उत्तर प्रदेश कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग में समन्वयक हैं।

अपनी सफलता के पीछे खुशबू ने माता-पिता और भाई का आशीर्वाद बताया है। खुशबू आजम ने कहा कि उनका मुख्य सपना आईएएस बनना है। इसके लिए वह लगातार मेहनत कर रही हैं। वे कहती हैं कि उन्हें उम्मीद है कि वो अपने मिशन में जरूर कामयाब होकर रहेंगी। बीते चार वर्ष पूर्व जब पिता का निधन हुआ तो खुशबू ने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने का संकल्प ले लिया। खुशबू आज़म के पिता की ख्वाहिश थी कि वो एक अफ़सर बनकर देश की सेवा करें।

बिहार के पटना के रहने वाले सफदर रहमान का भी चयन बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन में हुआ हैं। सफदर रहमान का चयन आयोग के असिस्टेंट रजिस्ट्रार, को-ऑपरेटिव सोसायटी के पद पर हुआ हैं। सफदर रहमान एनआईटी श्रीनगर के साथ साथ टाटा इंस्टीट्यूट मुंबई के छात्र रहें हैं। सफदर रहमान ने एनआईटी से पढ़ाई के पश्चात नौकरी भी करी लेकिन पढ़ाई की लालसा फिर जाग उठी तो नौकरी छोड़ फिर पढ़ने लगें।

सफदर रहमान ने पटना के इंटरनेशनल स्कूल से हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करी। फिर ट्रिपल ई में इंजीनियरिंग के लिए देश के सर्वोच्च संस्थान में शामिल एनआईटी श्रीनगर में दाखिला लिया, बी-टेक करने के बाद टीसीएस में बतौर इंजीनियर काम करा। लेकिन नौकरी के बीच में फिर से पढ़ने का शौक जाग उठा। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई में परास्नातक में दाखिला लिया। परास्नातक करने के बाद सफदर सिविल सेवा की तैयारी में लग गए।

खास बात यह है कि सफदर के दादा और पिता दोनों सिविल सेवा में रह चुके हैं। सफदर रहमान के दादा खलीलुर्रहमान बिहार में प्रशासनिक सेवाएं दे चुके हैं। सफदर के पिता तनवीर रोशन रहमान एक आईआरएस अधिकारी रह चुके हैं। सफदर के दो भाई और एक बहन है।

सफदर के एक भाई सीडीएस अधिकारी है तो एक अन्य भाई अमेरिका में नौकरी कर रहा है। सफदर की बहन मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। सफदर के पिता पूर्व आईआरएस अधिकारी तनवीर रोशन रहमान Two circles.net से बात करते हुए बताते हैं कि सफदर की कामयाबी उसके मेहनत का नतीजा है। वे बताते हैं कि सफदर की कामयाबी का श्रेय उसकी मां को जाता है। तनवीर रहमान बताते हैं कि हमारी घर की दो पीढ़ियां भारतीय सेवा में रहीं हैं यही बात सफदर को भी प्रशासनिक सेवा की ओर बढ़ने के लिए उत्साहित करती थी।

बिहार के दरभंगा के रहने वाले आदिल बिलाल ने बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन में 22 वां स्थान प्राप्त किया है। उनका चयन पुलिस उपाधीक्षक के पद पर हुआ है। आदिल बिलाल के पिता प्रोफसर शौकत अंसारी दरभंगा के महाराज लक्ष्यमिशवर सिंह मेमोरियल कालेज में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर हैं तो वहीं मां शगुफ्ता यासमीन गृहणी हैं। आदिल कहते हैं कि यह कामयाबी उसके मेहनत का फल है और घर वालों के भरोसे और दुआओं का नतीजा है। आदिल का प्रयास है कि वे संघ लोक सेवा आयोग में सफलता प्राप्त करें । आदिल कहते हैं कि वही उसकी मंजिल है और वो उसके लिए प्रयास कर रहा है।

आदिल बिलाल ने दरभंगा के जीसस मैरी एकेडमी से हाईस्कूल और रोज़ पब्लिक स्कूल से 12वीं की शिक्षा ग्रहण करी। इसके बाद वे जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली चले गए जहां से उन्होंने सिविल इंजीनियरिग में बीटेक किया। बी-टेक करने के बाद आदिल ने गेट की परीक्षा उतीर्ण करी और इसी आधार पर बीआईटी मेसरा में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिग में उनका दाखिला एमटेक के लिए हो गया। एमटेक करने के बाद आदिल लोक सेवा आयोग की तैयारी में लग गए।

आदिल बिलाल ने बिहार लोक सेवा आयोग की प्रथम चरण की परीक्षा में अपने दम पर सफलता पाई और मुख्य परीक्षा में भी उन्होंने बिना किसी कोचिंग संस्थान की मदद लिए पास करी। आदिल को इंटरव्यू के लिए किसी सही मार्गदर्शक की आवश्यकता पड़ी तो उसने एसएन झा और केएन झा से मार्गदर्शन प्राप्त कर बिहार लोक सेवा आयोग का इंटरव्यू भी उत्तीर्ण कर‌ पुलिस उपाधीक्षक पद के लिए चयनित हुआ।

आदिल बताते हैं कि‌‌ उनकी दादी नूरजहां और पापा शौकत अंसारी की इच्छा थी कि वह प्रशासनिक सेवा में अधिकारी बने। आदिल ने अपनी दादी की इच्छा का सम्मान करते हुए लोक सेवा आयोग की तैयारी शुरू करी।

आदिल का कहना है कि जीवन की मंजिल नहीं है। बिहार लोक सेवा आयोग में चयन उसके जीवन का एक पड़ाव है। आदिल के अनुसार उसे अपनी सफलता पर संतोष हैं लेकिन उसकी मंजिल संघ लोक सेवा आयोग हैं।

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