स्टाफ़ रिपोर्टर। Twocircles.net
दिल्ली में कालिंदी कुंज के पास मदनपुर खादर इलाके के रोहिंग्या शरणार्थी कैंप में पिछले दिनों आग लग गई थी जिसके कारण लगभग सभी 50 से ज़्यादा झोपड़ी जल कर राख हो गई। गनीमत रही कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। यह घटना 12 जून की रात की है। इस घटना से कैंप में रह रहे लगभग 250 लोगों के ऊपर से छत छिन गई हैं। दिल्ली सरकार और तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं की तरफ़ से राहत कार्य करे जा रहे हैं।
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के कालिंदी कुंज के कंचन कुंज में रोहिंग्या शरणार्थी शिविर हैं। यह शरणार्थी शिविर जिस ज़मीन पर हैं वो यूपी सरकार के अधीन है। यहां लगभग 250 लोग रहते हैं। यह सभी लोग 2012 में म्यांमार से आए थे तबसे यह सभी लोग इसी इलाके में रह रहे हैं। पिछले शनिवार 12 जून की रात 11 बजे अचानक से शिविर में आग लग गई, देखते ही देखते आग पूरे कैंप में फैल गई। इससे पहले की लोग झोपड़ियों से अपना समान बाहर निकालते,आग की लपटे झोपड़ियों तक पहुंच गई और शिविर में रह रहे लोगों पर से उनकी छत छिन गई।
आग की सूचना पर दमकल विभाग की पांच गाडियां पहुंची और करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद दमकल विभाग ने आग पर काबू पा लिया। आग लगने के कारणों का पता चल नहीं सका हैं। आग से कैंप की 50 से भी ज्यादा झोपड़ियां जलकर राख हो गई हैं। झोपड़ियां राख होने की वज़ह से इनमें रह रहे लगभग 250 लोग बेघर हो गए हैं। पुलिस के अनुसार आग क्यो लगी अभी इन कारणों का पता नहीं चल पाया है और उचित क़ानूनी कार्यवाही की जा रही है।
शिविर में रहने वाले कुछ लोग लोग दिहाड़ी मजदूर हैं तो कुछ छोटी दुकानें चलाते हैंतो कुछ ई-रिक्शा चलाकर और सब्जी बेचकर अपना पालन पोषण करतें हैं। आग लगने से वहां रह रहे लोगों की झोपड़ियों के साथ उसके अंदर रखा समान भी जलकर राख हो गया है। झोपड़ियों के अंदर कपड़े, बर्तन, खाद्य सामग्री और फर्नीचर इत्यादि के साथ अन्य सामान जलकर राख हो गए। वहां नुकसान सिर्फ माली हुआ हैं ,यह गनीमत रही कि कैंप में मौजूद कोई आग की चपेट में नहीं आया।
शिविर में रह रहे कुछ शरणार्थी का तो UNHRC की तरफ मिला हुआ रिफ्यूजी कार्ड भी जल गया है।इसके अलावा कुछ लोगों का म्यांमार का आइडेंटिटी प्रूफ भी जल गया। शिविर में रह रहे अधिकांश परिवारों ने अपनी सारी बचत खो दी है, लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी छोटी दुकानों के स्वाह होने के बाद अपनी आजीविका का एकमात्र स्रोत ही खो दिया है। शिविरों में रहने वाले लोगों के लिए आग एक नई मुसीबत बनकर टूटी हैं महामारी की वजह से कई लोगों के पास काम नहीं है और वे किसी तरह से अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं।
कैंप में रहने वाले हुसैन के अनुसार आग की लपटें इतनी तेज थीं कि एक घंटे में सब कुछ जल कर राख हो गया इतना वक्त नहीं मिला कि हम अपने सामान बचा पाते, घर मे मौजूद हर एक सामान जल गया हैं। एक अन्य शरणार्थी के अनुसार उसने कुछ पैसा जोड़कर रखा तो जिससे वो ईएमआई पर रिक्शा खरीद सकें, लेकिन सारा पैसा जलकर राख हो गया है।
यह शिविर जिस ज़मीन पर हैं वो यूपी सरकार के अधीन है। ठीक इसी तरह 2018 में भी शिविर में आग लग गई थी जिसमें काफ़ी माली नुकसान भी हुआ था। यूपी सरकार यह जमीन खाली भी करवाने की कोशिश काफ़ी बार कर चुकी हैं। फिलहाल शिविर में आग से तबाह हुए लोगों को बगल में ही ज़कात फाउंडेशन की ज़मीन पर कुछ दिनों के लिए शिफ्ट कर दिया गया हैं।
आग से तबाह हुए शिविर में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा राहत कार्य किया जा रहा है। विभिन्न संगठनों द्वारा वहां रह रहे लोगों के लिए खाने , दवाओं ,पानी और रहने के लिए तंबू की व्यवस्था की गई हैं। भीषण गर्मी और बारिश से वहां और बीमारी फैलने की आशंका हैं। Pic credit . Amir siddiqui[/captionn]
वहां राहत कार्य कर रहे Movement for Education and Empowerment for Masses (MEEM) संस्था के अध्यक्ष फरमान अहमद Two circles.net से बात करते हुए बताते हैं कि कैंप के हालात अभी बेहद बुरे हैं। मच्छरों और गर्मी से बीमारी फैलने का डर है। वे कहते हैं कि कैंप में रह रहे ज़्यादातर लोगों को डायरिया की शिकायत आ रही है।
फरमान बताते हैं कि शिविर में आग एक साजिश के तहत लगीं हैं और इसकी जांच होनी चाहिए कि आग कैसे लगी क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार 2018 से इस ज़मीन को खाली करवाने पर लगीं हैं। फरमान बताते हैं कि उनकी संस्था यहां बेघर हुए लोगों को राशन,खाना, दवाईयां के साथ साथ बेघर हुए परिवारों के लिए पंखे और फोल्डिंग की व्यवस्था कर रहीं हैं।
राहत कार्य में जुटी एक अन्य संस्था उम्मीद प्रोजेक्ट के आमिर सिद्दीकी Two circles.net से बात करते हुए कहते हैं कि रोहिंग्या कैंप में आग लगने की खबर के बाद से ही उनकी संस्था वहां राहत कार्य में जुटी हुई है। आमिर बताते हैं कि वे बेघर हुए लोगों के हर जरूरत के सामान को अन्य संगठनों के साथ मिलकर मुहैया करा रहें हैं। वे कहते हैं कि सरकार को चाहिए फ़ौरी तौर पर इन लोगों की बस्ती को वापस बसाए क्योंकि इस भीषण गर्मी में ज़्यादा दिन गुजारना आसान नहीं है और बारिश आने पर हालात और बुरे हो जाएंगे साथ ही बीमारियों के फैलने का खतरा भी हैं।