Home India News मुक़दमा गलत, आवाज़ दबाना चाहती है सरकार : मशकूर उस्मानी

मुक़दमा गलत, आवाज़ दबाना चाहती है सरकार : मशकूर उस्मानी

आकिल हुसैन। Twocircles.net

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के लोनी इलाके में बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने ट्विटर इंडिया समेत वरिष्ठ पत्रकार राना अय्यूब, कांग्रेस नेता मशकूर उस्मानी व अन्य 6 लोगों के खिलाफ धार्मिक भावना भड़काने के आरोप में मामला दर्ज किया हैं। पुलिस का आरोप है कि इन लोगों ने बिना सत्यता जाने घटना का वीडियो ट्विटर पर चलाया हैं।

मशकूर उस्मानी Two circles.net से बात करते हुए कहते हैं हाल ही में गाजियाबाद के लोनी में एक 72 वर्षीय व्यक्ति श्री अब्दुल समद सैफी के खिलाफ धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा की गई क्रूरता में, ट्विटर पोस्ट के माध्यम से इस तरह की कार्रवाई की निंदा करने के लिए कार्यकर्ताओं,मीडियाकर्मियों, ट्विटर और मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला करने के लिए खुलेआम लूटपाट कर रही भाजपा के नेतृत्व वाली यूपी सरकार द्वारा कट्टरपंथियों के एक समूह को छूट प्रदान की गई है। यह व्यवस्था नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर अंकुश लगाने पर तुली हुई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य में कानून-व्यवस्था के तहत पीड़ितों को सताया जाता है

मशकूर कहते हैं कि मेरे और पांच अन्य के खिलाफ हाल ही में दर्ज की गई प्राथमिकी केवल व्यक्तिगत हमले नहीं हैं, बल्कि एक बड़ा संदेश है कि सरकार यह प्रचार करना चाहती है कि नागरिक समाज, विपक्षी दलों और स्वतंत्र मीडिया घरानों से कोई असहमति नहीं हो सकती है। कोई भी मुकदमा किसी व्यक्ति द्वारा झेले जा रहे राज्य-संचालित अत्याचार के खिलाफ बोलने के मेरे अधिकार को कम नहीं कर सकती है। वे कहते हैं कि मैं अपने जीवन के जोखिम पर भी पूरी ऊर्जा के साथ इन अत्याचारों के खिलाफ लड़ूंगा। साथ ही मशकूर कहते हैं कि उनके द्वारा करे गए ट्वीट में कोई सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने जैसी चीज़ नहीं है

गाजियाबाद के लोनी में एक मुसलमान बुजुर्ग के साथ कुछ लोगों द्वारा मारपीट करने का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक बुजुर्ग मुसलमान को मारा जा रहा है और उसकी दाढ़ी भी काटी जा रही है और वो बुजुर्ग शख्स मारने वालों के आगे हाथ जोड़ रहा है लेकिन वो उसकी नहीं सुन रहे हैं। वीडियो वायरल करते हुए आरोप लगाया गया कि मारपीट के दौरान आरोपियों ने पीड़ित से धर्म विशेष के नारे लगवाए हैं और ट्विटर पर वीडियो वायरल करने वालों ने यह भी आरोप लगाया है कि बुजुर्ग शख़्स के साथ मारपीट करने वाले विशेष समुदाय से हैं। यह वीडियो मंगलवार को ट्विटर पर ट्रेंड कर गईं। हालांकि पीड़ित अब्दुल समद ने खुद आरोप लगाया हैं कि आरोपियों ने मारपीट के दौरान उससे जय श्री राम के जबरन नारे भी लगवाए थे।

पुलिस ने वायरल वीडियो को माहौल बिगाड़ने की साज़िश मानते हुए वीडियो को ट्विटर पर वायरल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है। पुलिस का कहना है कि कुछ लोगों ने मामले को सांप्रदायिक रूप देते हुए वीडियो वायरल किया। पुलिस का कहना यह भी है कि वीडियो को ट्विटर पर बिना सत्यता जाने वायरल करा गया है। पुलिस ने वीडियो वायरल करने के खिलाफ धार्मिक भावना भड़काने और धार्मिक सौहार्द को अस्त व्यस्त करने का आरोप लगाया है।

दर्ज एफआईआर के अनुसार ट्वीट्स को “सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने” के स्पष्ट मकसद से साझा किया गया था, “भ्रामक” पोस्ट को जोड़ने से हजारों लोगों ने फिर से ट्वीट किया। एफआईआर में आगे कहा गया है कि पुलिस ने सोमवार रात अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से “स्पष्टीकरण” दिया था, लेकिन उपयोगकर्ताओं ने पोस्ट को नहीं हटाया और ट्विटर ने उन्हें हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की।

गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले में लोनी बार्डर थाने में पत्रकार राना अय्यूब, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और कांग्रेस नेता मशकूर उस्मानी, लेखिका सबा नक़वी, कांग्रेस नेता सलमान निज़ामी, मोहम्मद जुबैर,डा समा मोहम्मद के साथ साथ द वायर, ट्विटर INC, और ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने इन 9 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153, धारा 153A,धारा 295A, धारा 505,धारा 120B,धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया है।

पुलिस ने इनपर मामले को संप्रदायिक रंग देने, शांति भंग करने और धार्मिक समूह में विभाजन का आरोप लगाया है। साथ ही पुलिस ने इन पर हिंदू मुस्लिम के बीच घृणा और वैमनस्यता को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया है। पुलिस का कहना है कि उक्त वीडियो वायरल विभिन्न समुदायों में तनाव पैदा करने के उद्देश्य से किया गया है। साथ ही पुलिस ने कहा हैं कि इन लोगों द्वारा वीडियो बिना किसी प्रमाणिक जांच के और बिना सत्यापन करे हुए वीडियो को वायरल किया जिससे दो धार्मिक समुदायों में घृणा, शत्रुता पैदा हुईं हैं। पुलिस का कहना है कि मामले को दर्ज करके, मामले की विवेचना करी जा रहीं हैं।

बता दें कि 5 जून को जब बुलंदशहर के रहने वाले बुजुर्ग अब्दुल समद लोनी आए थे और एक मस्जिद में जाने के लिए ऑटो में बैठे और ऑटो में बैठे कुछ लोग जबरन जंगल में बने एक कमरे में ले गए, जहां पहले पिटाई की फिर कैंची से दाढ़ी काट दी और धर्म विशेष से संबंधित नारे भी लगवाए, हालांकि पुलिस ने इस मामले में सांप्रदायिक एंगल से इनकार किया हैं। पुलिस का कहना है कि अब्दुल समद ताबीज़ बनाने का काम करता है। पुलिस ने कहा है कि अब्दुल समद पर छह लोगों द्वारा हमला किया गया था जिसमें हिंदु और मुसलमानों दोनों शामिल थे जो कुछ बनाने से ताबीज़ से नाखुश थे। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है।