मंदिर में पानी पीने की वज़ह से डासना के एक मासूम बालक आसिफ की पिटाई से हर तरफ ज्वलंत सवाल खड़े होते दिख रहे हैं। इस शर्मनाक स्थिति को लेकर मानवतावादी लोगों के अंदर एक द्वंद चल रहा है। ऐसा द्वंद पहली बार देखा गया है ! सवाल है कि कट्टरता की होड़ में हम कहाँ आ गए हैं ! खासकर पढ़ा लिखा युवा वर्ग मंदिर में मुसलमान के पानी पीने पर पिटाई होने से काफी विचलित हुआ है। हमने यहां एक पत्रकारीय प्रयोग किया है। इसी एक घटना पर टीसीएन के तीन प्रतिभाशाली प्रशिक्षु पत्रकारों से बिना उन्हें कुछ बताएं लिखने के लिए कहा है ! तीनों पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके हैं। आप यह रिपोर्ट पढिये और समझिए कि इस घटना का कितना असर युवाओं के मन पर हुआ है । इसे हम हूबहू प्रकाशित कर रहे हैं….संपादक
क्या पानी का कोई धर्म होता है? मुझे नहीं लगता कि कोई ऐसा धर्म है जो किसी प्यासे व्यक्ति को पानी देने से मना कर सकता है !
तन्वी सुमन
अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद से एक मुस्लिम बच्चे आसिफ की पिटाई की घटना सामने आई है। 14 वर्षीय मुस्लिम लड़का आसिफ को प्यास लगने पर गाज़ियाबाद के एक मंदिर में प्रवेश करने के जुर्म में गुरुवार को बहुत ही बेरहमी से पीटा गया, इसके साथ ही अभियुक्त ने उस हमले का एक वीडियो बनाया और इंस्टाग्राम पर प्रसारित किया, जिसके दौरान लड़के को थप्पड़ मारा गया और बार-बार जननांगों में लात भी मारी गई। वीडियो के ऑनलाइन वायरल होने के बाद, गाजियाबाद पुलिस ने इसपर संज्ञान लिया और इसके मुख्य आरोपी शृंगी नंदन यादव और उसके सहयोगी शिवानंद को गिरफ्तार किया। कलानिधि नैथानी, गाज़ियाबाद के एसएसपी ने इस घटना के बाद कहा कि, “कोई भी व्यक्ति जो असामाजिक गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है, उसे पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।”
वीडियो में इस बात को दिखाया गया है कि शृंगी नंदन यादव आसिफ का हाथ पकड़कर उसका नाम पूछते हुए सवाल कर रहा है कि वह मंदिर में क्यों है ! आसिफ उसे अपना और अपने पिता का नाम बताते हुए कहता है कि उसे प्यास लगी थी इस वजह से वह मंदिर में पानी पीने आया था। इसके बाद आरोपी नाबालिग आसिफ को बार-बार थप्पड़ मारता है, उसके बाद उसे जमीन पर गिरा कर गंदी गालियां देते हुए मारता रहता है। वीडियो को शुरू में हिंदू एकता संघ नाम के एक इंस्टाग्राम हैंडल पर अपलोड किया गया था, जो कथित रूप से आरोपियों द्वारा ज्ञात लोगों द्वारा संचालित किया गया था।
जिस मंदिर में आसिफ को पीटा गया उसके बाहर एक बोर्ड लगा है, जिसमें साफ शब्दों में लिखा है: “ये मंदिर हिंदुओं का पवित्र स्थल है, यहाँ मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है।”
इंडियन एक्स्प्रेस के एक रिपोर्ट में दिए पुलिस के बयान के मुताबिक, यादव बिहार का रहने वाला है और छह महीने पहले वह गाजियाबाद रहने आ गया था। यादव ने इंजीनियरिंग का कोर्स किया हुआ है, लॉकडाउन के बाद उसकी नौकरी चली गई। यूपी में, वह डासना देवी मंदिर में “सेवा” का काम कर रहा था और खुद को नरसिंहानंद सरस्वती, एक दक्षिणपंथी उपदेशक और मंदिर के कार्यवाहक के शिष्य के रूप में देखा करता हैं।
इस घटना पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने बताया कि सह-आरोपी शिवानंद ने लड़के के साथ मारपीट का वीडियो रिकॉर्ड किया था। दोनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 504 (शांति को भड़काने के इरादे से अपमानजनक), 505 (सार्वजनिक दुराचार के लिए अनुकूल बयान), 323 (आहत होने के कारण) और 352 (हमला) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
इस घटना के बाद द इंडियन एक्सप्रेस ने आसिफ के पिता से बात किया जिसमें आसिफ के पिता ने बताया, “जब उनके बेटे को प्यास लगी उस वक़्त वह उसी क्षेत्र में मौजूद था। उसने मंदिर में एक नल देखा और वहाँ पानी पीने लगा। पानी पीने के जुर्म में उसे बुरी तरह पीटा गया और अपमानित किया गया। क्या पानी का कोई धर्म होता है? मुझे नहीं लगता कि कोई ऐसा धर्म है जो किसी प्यासे व्यक्ति को पानी देने से मना कर सकता है।”
आसिफ के पिता ने आगे बताया, ”उनका परिवार एक किराए के कमरे में रहता है और उनका लड़का कभी-कभी पारिवारिक आय को जोड़ने के लिए दुकानों पर काम करता है। पहले तो मंदिर सभी के लिए खुला हुआ करता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह बदल गया है। हमें उम्मीद है कि हमारे बेटे को न्याय मिलेगा और ऐसे लोग दूसरे बच्चे पर हमला नहीं करेंगे।”
इस पूरे घटना के बाद मंदिर का रवैया बहुत ही आश्चर्यजनक है। मंदिर प्रबंधन समिति के अनिल यादव ने कहा कि वे कानूनी सहायता से शृंगी यादव की मदद करेंगे। मंदिर इस घटना की पूरी जिम्मेदारी लेता है। जो कुछ भी हुआ वह एक साजिश है; वह लड़का अकेला नहीं था। इलाके के लोग सिर्फ माहौल बनाना चाहते थे। हम पुलिस के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं। शृंगी एक इंजीनियर है जिसने कोरोना के दौरान अपनी नौकरी खो दी। उन्होंने हमारे वीडियो देखे और हमारे आईटी सेल का प्रबंधन करके मंदिर में हमारी मदद करने का फैसला किया। वह एक अच्छा आदमी है; हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वह मुक्त हो।
जिस देश में ‘किसी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा’ जैसा भजन इतना प्रचलित है, जिस देश में सबरी के झूठे बेर खाने वाले भगवान की दुहाई दी जाती है उस देश के लोग एक प्यासे बच्चे के धर्म से आहत होते है तो दुःखद आश्चर्य होता है !
सॉरी आसिफ, हम शर्मिंदा हैं !
जिब्रान उद्दीन
ट्विटर पर ऐसे तो हर दिन अनेक हैशटैग ट्रेंड किया करते हैं। लेकिन आज के एक हैशटैग #sorryasif से संबंधित ट्वीटों को पढ़ने के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है की इस नफरत भरे दौर में भी कई लोग हैं जो आपसी सौहार्द और इंसानियत में भरोसा रखते हैं। गाजियाबाद में एक मुस्लिम बच्चे की मंदिर में पानी पीने की वजह से पिटाई कर दी गई। जिसके बाद मामले का विरोध करते हुए इंटरनेट पर एक जनसैलाब सा उमड़ आया। सैकड़ों लोगों ने मुस्लिम बच्चे आसिफ पर हुए अत्याचार के लिए उससे माफी मांगी।
ये माफी शनिवार को हुए गाजियाबाद की निंदनीय घटना के लिए मांगी जा रही है। जहां एक मासूम बच्चे को इस बात का अंदाजा नहीं था की अब जल को भी धर्मों में बांटा जा चुका है। आसिफ नाम का मुसलमान बच्चा पानी पीने के लिए गाजियाबाद के एक मंदिर के परिसर में चला गया जोकि वहां मौजूद दो व्यक्तियों को नागंवार गुजरी। दोनों ने वीडियो बनाते हुए आसिफ की पिटाई कर दी। पिटाई के दौरान उसका हाथ मरोड़ कर उसके लिए अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया गया। हालांकि उसी वीडियो के आधार पर बाद में दोनों आरोपी युवकों को गाज़ियाबाद पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है।
इस निंदनीय घटना को लेकर देश के प्रसिद्ध पत्रकार, समाजसेवी और नेताओं के साथ-साथ आम लोगों ने भी #SorryAsif पर ट्वीट किए हैं। दी वायर की सीनियर एडिटर अरफा खानम शेरवानी ने लिखा की, “मैं ऐसे भारत का सपना देखती हूं जहां एक मुस्लिम बच्चे की मंदिर में पानी पीने पर पिटाई के जवाब में जरूरतमंदों (किसी भी धर्म के लोगों) के लिए मस्जिदों को खोल दिया जाए। मुझे नहीं पता की इस नफरत और अंधेरे से लड़ने का कोई दूसरा रास्ता है। #sorryasif” इस ट्वीट के जवाब में जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष शहला रशीद ने बताया की मस्जिदों के दरवाज़े जरूरतमंदों के लिए हमेशा से खुले हैं। जिसपर अरफा ने सहमति व्यक्त किया।
पत्रकार रोहिणी सिंह ने भी आसिफ से माफी मांगते हुए ट्वीट किया और कहा की कोई कितना नीचे गिर सकता है की एक बच्चे को पानी पीने पर पिटाई कर दे। वो कभी भगवान से प्रेम नहीं कर सकता अगर किसी के अंदर इतनी नफरत भरी हो की वो इंसानियत ही भुला दे। रोहिणी सिंह पहले भी सामाजिक त्रुटियों को लोगों के बीच उजागर करती रही हैं।
“ये माफी तुम्हारे (आसिफ) के लिए नहीं है बल्कि हमारे देश भर में अन्याय के असंख्य उदाहरणों के लिए हैं।” युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने आसिफ की पिटाई का वीडियो के साथ में एक माफीनामे को ट्वीट किया, उन्होंने कहा, “मैं शर्मिंदा हूं कि हमारा समाज क्या बन गया है। इन नफरत से भरे विभाजक बलों के खिलाफ संघर्ष में योगदान देने का मैं प्रतिज्ञा लेता हूं।”
जनता का रिपोर्टर के संस्थापक रिफत जावेद ने लोगों का धन्यवाद किया #sorryasif ट्रेंड चलाने के लिए। उन्होंने हजारों ट्वीट्स का हवाला देते हुए उम्मीद जताई के आसिफ को पता हो की उससे इस देश के लोग कितना प्रेम करते हैं। उन्होंने कहा “आशा है की आसिफ जनता हो की भारतीय उससे कितना प्यार करते हैं। आशा है कि उनके अपराधी श्रृंगी नंदन यादव को भी एक दिन का पता चले है कि हिंदुत्व गिरोह ने उसे नफरत फ़ैलाने के लिए कैसे गुमराह किया है, जिससे किसी का फायदा नही।”
न्यूजलॉन्डरी के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने कहा की “मैं शर्मिंदा हूं कि मेरा धर्म आसिफ की प्यास नहीं बुझा सकता। मैं शर्मिंदा हूं की मेरा मंदिर इतना संकीर्ण है। #SorryAsif” जिसके जवाब में पत्रकार साक्षी जोशी ने कहा की अगर हिंदू होने का मतलब है की मंदिर से पानी की वजह से एक बच्चे को पीटना तो वो खुद को नास्तिक कहना पसंद करेंगी। कितनी शर्मनाक बात है ये। सॉरी आसिफ बेटा। मुझे पता है की मेरे सॉरी कहने से कुछ बदल नही जाएगा लेकिन मैं सच में शर्मिंदा हूं। #sorryasif”
लेखक और निर्देश विनोद कापड़ी, शगुफ्ता रफीक, कविता कृष्णन, कुश अंबेडकरवादी, पत्रकार दिलीप मंडल, अभिजीत मुखर्जी इत्यादि लोगों ने भी ट्वीट करके अपने माफीनामे को दर्ज करवाया। जिसमे दिलीप मंडल के ट्वीट को काफी सराहा जा रहा हैं। उन्होंने लिखा की, “राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेंडिंग – 1. यह असाधारण है। एक कट्टरपंथी ओबीसी युवा ने, ब्राह्मणवाद के प्रभाव में, 12 साल के मुस्लिम बच्चे को मारा। जिसपर 30,000 बहुजनों ने #sorryasif कहा ! नफरत इस महान राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकता है।”
वहीं समाज सेवी कुश अंबेडकरवादी ने आसिफ से माफी मांगने के लिए उनके घर पे गए। जिसका वीडियो उन्होंने ट्विटर पर सांझा करते हुए लिखा की, ” अभी आसिफ से मिलना हुआ। इस देश का एक जिम्मेदार नागरिक होने की वजह से मैंने पूरे देश की तरफ से 14 साल के आसिफ से माफी मांगी।”
मुल्ला भी पिये, पंडित भी पिए, पानी का मज़हब क्या होगा !
आकिल हुसैन
देश में सोशल मीडिया पर एक मुहिम चल रही है “Sorry Asif” नाम की। यह मुहिम उन लोगों के विरोध में हैं जिन्होंने पानी को धर्म में बांट दिया। यह मुहिम उस 12 साल के आसिफ के समर्थन में हैं जिसको बीते शुक्रवार को गाजियाबाद के एक मंदिर में पानी पीने के कारण हिंदू एकता संघ से जुड़े व्यक्ति ने बेहरमी से पीटा था।
12 साल के मासूम आसिफ को केवल इसलिए पीटा गया कि वह एक मंदिर में पानी पीने के लिए गया था क्योंकि उसे प्यास लगी थी और उसने एक मंदिर के नल से पानी पी लिया था। हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद शनिवार को पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि आरोपी ने नाबालिग से उसका और पिता नाम पूछा और फिर उसे बेरहमी से पीटा और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।
अब सोशल मीडिया पर लोग “Sorry Asif” यानी आसिफ़ हमें माफ़ कर दो की मुहिम चला रहे हैं। लोग आसिफ से माफ़ी मांग रहें हैं उसके लिए जो कृत्य उसके साथ किया गया। लोग बदलते भारतीय समाज के लिए आसिफ से माफ़ी मांग रहे हैं। बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव, फिल्मकार विनोद कापरी से लेकर लेफ्ट नेता कविता कृष्णन से लेकर बहुजन नेता चंद्रशेखर आज़ाद तक सभी 12 साल के आसिफ से माफ़ी मांग रहें हैं।
बात सिर्फ मंदिर में पानी पीने के कारण आसिफ की हुई पिटाई की नहीं हैं,बात हैं कि आखिर समाज कहां आ गया, हम ऐसा घिनौना काम करके किस समाज का निर्माण कर रहे हैं। पानी पिलाना तो पुण्य का काम है। देश में तो दुश्मन तक को पानी पिलाने की परम्परा रही है। फिर आखिर यह कौन लोग हैं और किस विचारधारा के हैं जो पानी को भी धर्म के नाम पर बांटकर समाज में नफ़रत घोल रहें हैं और 12 साल की कम उम्र में आसिफ जैसे मासूमों को संप्रदायिक भरें समाज में धकेल रहे हैं।
आसिफ का मुसलमान होना उसकी मंदिर में हुई पिटाई का कारण बना। आसिफ उस नफ़रत का शिकार बना जिस नफ़रत ने गाय के नाम पर मुसलमान को मारा, आसिफ उस नफ़रत का शिकार बना जिस नफरत ने माब लिंचिंग के नाम पर जुनैद का कत्ल किया, आसिफ उस नफ़रत का शिकार बना जिस नफ़रत के तहत कश्मीर में आसिफा के बलात्कारियों के समर्थन में रैली निकाली गई, आसिफ उस नफ़रत का शिकार बना जिस नफ़रत के तहत बुलंदशहर के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के हत्यारों को सत्ता के नेताओ द्वारा फूल माला पहनाई गई।
इस संप्रदायिक माहौल की शुरुआत बहुत पहले हो चुकी हैं अब तो सिर्फ सत्ताधारी मंत्रियों और नेताओं द्वारा इस संप्रदायिक माहौल को बढ़ावा दिया जा रहा है और खासकर उन लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो एक धर्म विशेष के लोगों को गाय, माब लिंचिंग के नाम पर मार रहें हैं और खुलेआम घूम रहे हैं।
उस दिन की घटना के बाद से आसिफ़ सदमे में है और बेहद डरा हुआ है। उसने सोचा भी नहीं होगा कि इतनी मासूम उम्र में उसको समाज में फैली नफ़रत का शिकार होना पड़ेगा। आज पानी को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है कल हवा को भी धर्म के नाम पर बांट दिया जाएगा। एक भजन तो हम हमेशा से सुनते आए हैं “कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा”। फिर पानी के नाम पर एक मासूम के दिल में नफ़रत क्यो बोई जा रही हैं, जो लोग भी नफ़रत फैला रहें हैं या नफ़रत फैलाने वालों को बढ़ावा दे रहे वे भूल गए हैं कि एक दिन यहीं नफ़रत उनको भी खा जाएगी।
महज़ “Sorry Asif” कहने से काम नहीं चलने वाला जरूरत हैं इस नफ़रत, संप्रदायिक भरे समाज को सुधारने की वर्ना आज एक आसिफ के साथ ऐसा हुआ हैं कल को कोई दूसरा भी आसिफ बन सकता हैं और नफ़रत का शिकार हो सकता हैं। लेकिन सवाल यह उठता है के ऐसा कब तक चलता रहेगा कभी गाय तो कभी पानी पीने को लेकर आये दिन भारत में मुसलमान को मारा जाता है, रोज टीवी डिबेट पर मुसलमान के खिलाफ लोगो में नफरत भरी जा रही है , जो घटना आसिफ के साथ हुई उससे साफ़ नजर आता है की मीडिया का एजेंडा किस तरह सफल हो रहा है।
एक अमेरिकी संस्था की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मुस्लिम समुदाय के उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि हुई है। मुसलमानो को नफ़रत फैलाने वाले अभियानों का शिकार होना पड़ा। संस्था की रिपोर्ट के अनुसार बड़े पैमाने पर मुसलमान के खिलाफ कुप्रचार भी मीडिया द्वारा किया जाता है।
आसिफ के साथ हुए कृत्य में रोशन कुमार द्वारा लिखी गई कविता कि दो लाइन याद आती हैं-
शिव की गंगा भी पानी है, आबे ज़मज़म भी पानी !
मुल्ला भी पिये, पंडित भी पिए, पानी का मज़हब क्या होगा ।