नफरत फैलाने और जहर उगलने के लिए कुख्यात है शातिर ‘वसीम रिज़वी’


स्टाफ़ रिपोर्टर। Twocircles.net

वसीम रिज़वी के लिए मुस्लिम संप्रदाय के खिलाफ बेबुनियाद ज़हर उगलने का ये कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी कई मर्तबा यह आदमी झूठे आरोप लगाकर राजनैतिक फायदा उठाने की पूरी कोशिश के चलते सुर्खियों में रहा हैं। शिया समुदाय में इसकी पहचान बेहद ही शातिर किस्म के आदमी की हैं। अब शिया उलेमाओं ने इसे इस्लाम से खारिज कर दिया है। इसके कुछ मामलों दिए गए बयानों की बानगी इस प्रकार है। यह बयान बताते हैं कि यह किसी बड़े षड्यंत्र पर काम कर रहा है।


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नवंबर 2017 :

रिज़वी ने मुस्लिम समुदाय की भावनाओ को आहत पहुंचाते हुए अयोध्या की विवादास्पद ज़मीन पर राम मंदिर बनाने के लिए शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से समर्थन जताया था। जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उसका काफी विरोध किया था। विरोध करने वालों में दोनो शिया और सुन्नी मुसलमान शामिल थे। आपको बता दें की उस समय तक बाबरी मस्जिद मामले पर न्यायालय की तरफ से कोई फैसला आना बाकी था और मामले की सुनवाई जारी थी।

दिसंबर 2017

शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने एक पत्र द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की थी के ट्रिपल तलाक़ विधेयक में प्रस्तावित 3 साल के कैद की सज़ा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया जाए। हालांकि ज़्यादातर मुसलमान ट्रिपल तलाक़ विधेयक को अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ एक साजिश बताते थें। उनका मानना था की मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को सड़क पर लाने और पुरुषों को जेल भेजने की ये एक चाल है।

जनवरी 2018 :

एक पत्र में रिज़वी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को आतंकवादी संगठन की एक शाखा कहा था जिस पर काफी बवाल मचा था।

फरवरी 2018 :

वसीम रिजवी ने भारत के कई मस्जिदों को हिंदुओं को सौंपने की बात कही थी। रिज़वी के मुताबिक, “पूजा स्‍थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम-1991 के तहत कई विवादित मस्जिदें सुरक्षित की जा चुकी हैं। उन्हें हिंदुओं को सौंपने में मुश्किल होगी, इसलिए इसे खत्म किया जाए।” रिज़वी ने अयोध्या, काशी, मथुरा, कुतुब मीनार, सहित कुल 9 मस्जिदों को विवादित करार देते हुए ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड को एक पत्र लिखा था। हालांकि लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने बताया था कि अगर ऐसा कोई पत्र मिलता है तो बोर्ड रिजवी पर कानूनी कार्रवाई करेगा। चूंकि देश में ऐसा कानून है कि 15 अगस्त 1947 के बाद से हर धार्मिक स्थल की यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी।

अक्टूबर 2018 :

वसीम रिजवी ने इस्लाम के सबसे पहले दो महान खलीफा हज़रत अबू बक्र और हज़रत उमर रज़ी० को आपत्तिजनक तरीके से “आतंकवादी” शब्द से उनका संबोधन किया था। रिज़वी ने कहा था कि “आतंकी अबु बक्र और उमर की विचारधारा को छोड़ एक समझौते की मेज पर बैठकर हार जीत के बगैर राम का हक हिंदुओं को वापस करना चाहिए।”

नवंबर 2018 :

रिज़वी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के ऊपर एक प्रोपेगंडा फिल्म का निर्माण किया। “राम जन्मभूमि” फिल्म के ट्रेलर के रिलीज़ के साथ ही वो विवादों के बीच घिर गई थी। फिल्म में मुस्लिम समुदाय की छवि को गलत अंदाज से पेश करने का रिज़वी पर आरोप लगाया गया था। गौरतलब है की फिल्म रिलीज़ होने के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाई थी।

जनवरी 2019 :

रिज़वी ने इस्लामी मदरसों पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उसे बंद करवाने की बात की थी। रिज़वी ने कहा था, “ये भारतीय मुसलमानों के लिए अच्छे नहीं हैं। ये मुसलमान नौजवानों के दिमाग में ज़हर घोलते हैं। बहुत मदरसों में आतंकी ट्रेनिंग दी जाती है। यहां आधुनिक शिक्षा नहीं दी जाती। मजहबी कट्टरता सिखाई जाती है”

जुलाई 2019 :

वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया था की हरे रंग के चांद तारे वाले झंडे पर रोक लगाई जाए। रिज़वी ने कहा था कि ये झंडा इस्लाम का धार्मिक झंडा नहीं है। ये पाकिस्तान की राजनैतिक पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग से मिलता जुलता है। इस झंडे को फहराने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

सितंबर 2019 :

वसीम रिजवी ने पैगम्बर मोहम्मद स० की पत्नी हज़रत आयशा रज़ी० पर एक फिल्म बनाई थी। जिसके ट्रेलर मात्र के सामने आते ही देश भर में रिज़वी की आलोचनाएं होने लगी थी। मुस्लिम उलेमाओं ने फिल्म को प्रतिबंध करके वसीम रिज़वी के गिरफ्तारी की मांग उठाई थी। उलेमाओं के अनुसार हज़रत आयशा रज़ी० को मुसलमानों की मां का दर्जा हासिल है। और उनकी फिल्म बनाने का ख्याल ही बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। विवाद इस हद तक बढ़ा की रिज़वी फिल्म को बड़े परदे पर रिलीज़ न कर सके थे।

जनवरी 2020 :

अपने तीसरे प्रोपेगेंडा फिल्म ‘श्रीनगर’ के साथ रिज़वी ने मुस्लिम समुदाय की छवि को खराब करने की फिर से कोशिश की थी। ट्रेलर लॉन्च के वक्त वसीम रिजवी ने कहा था, “कश्मीर पर पढ़ा और उस पर फिल्म बनाई। कश्मीरी पंडित समाज को किस बेदर्दी के साथ अपनी-जमीन जायदाद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया। जो मुसलमान, हिंदुओं को भाई और बहन कहते थे उनको जब बरगलाया गया तो उन्होंने उन्हीं बहनों के साथ रेप किया क्या ये इंसानियत थी?”

अक्टूबर 2020 :

धर्मांतरण पर आधारित “हेल्पलेस” फिल्म के साथ रिज़वी द्वारा मुस्लिम समाज को आपत्तिजनक तरह से प्रस्तुत कर अपमानित करने की कोशिश की गई थी।

मार्च 2021 :

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। अपनी याचिका में वसीम रिजवी ने कहा है कि कुरान की इन आयतों से आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है। वसीम रिज़वी का कहना है कि मदरसों में बच्चों को कुरान की इन आयतों को पढ़ाया जा रहा है, जिससे उनका ज़हन कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहा है।

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