ग़रीब हिन्दू छात्रों को भी स्कॉलरशिप देगी जमीयत

स्टाफ़ रिपोर्टर। Twocircles.net

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ़ से शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए 656 मुस्लिम समेत गैर-मुस्लिम मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए स्कालरशिप जारी करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस बार अहम बात ये है कि छात्रवृत्ति हासिल करने वालों में बड़ी संख्या में गैर मुस्लिम छात्रों को भी शामिल किया गया है।‌ इसके साथ ही मेधावी छात्रों को दी जाने वाली सहायता राशि को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये भी कर दिया गया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद 2012 से आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति दे रहा हैं।


Support TwoCircles

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने सन् 2012 में एक शिक्षा सहायता कोष की स्थापना की थी और शिक्षा विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था, जिसके अंतर्गत जमीयत उलेमा-ए-हिंद आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति उपलब्ध करवाती हैं और उच्च शिक्षा हासिल करवाने में मदद करती हैं साथ ही पैसे की कमी के कारण स्कूल छोड़ चुके छात्रों को मदद करती हैं। इसी के अंतर्गत शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए 656 छात्रों जिसमें मुस्लिम और गैर-मुस्लिम दोनों शामिल हैं को छात्रवृत्ति जारी करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

इस बार छात्रवृत्ति पाने वालों छात्रों में गैर मुस्लिम छात्रों को भी बड़ी संख्या में शामिल किया गया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस बार जरूरतमंद छात्रों की तादाद को देखते हुए सहायता राशि को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद जिन शिक्षा के क्षेत्रों में छात्रवृत्ति प्रदान करती है उन में तकनीक, स्नातक में बीएससी,बीकॉम, बीए, बीबीए, बीसीए, मास कम्युनिकेशन, एम कॉम, एम.एससी, एमसीए, डिप्लोमा, आईटीआई आदि शामिल हैं।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात हैं कि गैर-मुस्लिम छात्रों को भी छात्रवृत्ति के लिए चुना गया है। उन्होंने कहा कि यह छोटी सी कोशिश कई गैर-मुस्लिम जरूरतमंद छात्रों को अपना भविष्य बनाने में मदद करेगी। यह स्कॉलरशिप गरीब हिन्दू छात्रों को भी प्रदान की जाएगी ! मौलाना अरशद मदनी ने कहा आज के युग में शिक्षा बहुत महंगी हो गई हैं। इसी बात को देखते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने छात्रवृत्ति शुरू की गई हैं जिससे जो आर्थिक रूप से कमजोर छात्र हैं उनको अपनी शिक्षा पूरी करने में मदद मिल सके। इससे उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद वे आत्मसम्मान के साथ अपनी जिंदगी गुज़ार सकेंगे।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा चाहे जो भी परिस्थितियां हों, हम अपने बुजुर्गों की परंपरा और सिद्धांतों से दूर नहीं होते हैं। हमारे बुजुर्गों ने हर युग में बिना भेदभाव के काम किया है और राष्ट्रीयता उनका मुख्य मिशन भी रहा है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद का इतिहास गवाह रहा है कि जमीयत ने हमेशा जाति,समुदाय और धर्म से ऊपर उठ कर काम किया है‌ और जमीयत उलेमा-ए-हिंद हमेशा से बिना किसी धार्मिक या व्यावसायिक भेदभाव के धर्मार्थ कार्य करती आई हैं।
Attachments area

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE