शालिनी नाथन। Twocircles.net
नूरा ज़ैनब एक 15 साल की एक पर्यावरणविद है , जो पूरे भारत में पेड़ लगाने के मिशन पर हैं। उसकी संस्था प्लांट आवर पैशन ने पूरे भारत में 40,000 से अधिक पौधे लगाए हैं और इसके साथ ही जर्मनी और सऊदी अरब में भी अपने नेटवर्क को बढ़ाया है।
पंद्रह वर्षीय नूरा जैनब की 9 वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा खत्म हो चुकी है, लेकिन सिर्फ अगली कक्षा में पदोन्नति को ही वह अकेले नहीं देख रही। नूरा ने ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने को अपना मिशन बना लिया है। अपने पिता की मदद से जैनब अपनी संस्था “पौधे हमारा जुनून” के माध्यम से पूरे भारत में 1 लाख पौधे लगाने के मिशन पर है।
जैसे ही रिपोर्टर ने नूरा के साथ फोन पर बात कि तो, नूरा ने उन्हें फूलों वाले पौधों के बीज भेजने का वादा किया। उनकी संस्था प्लांट् आवर पैशन यही काम करती है और यही उनका जुनून है। नूरा की फाउंडेशन की शुरुआत 2017 में हुई थी जिसकी वाइस कोऑर्डिनेटर जैनब और चीफ कोऑर्डनैटर उनके पिता अब्दुल रशीद थे। उन्होंने पूरे भारत में 40,000 से अधिक पौधे लगाए हैं और साथ ही जर्मनी और सऊदी अरब में अपने नेटवर्क को बढ़ाया है।
हर साल उनके पास अधिक से अधिक पौधे लगाने का मिशन होता है। 2017 में उन्होंने 1000 पौधे लगाए और वितरित किए। 2018 में उन्होंने प्रत्येक बगीचे में 10 पौधों के साथ 100 हर्बल उद्यान स्थापित किए। 2019 में, फाउंडेशन ने 1000 सब्जी बागानों को स्थापित करने में मदद की और 2020 में, उन्होंने 40,000 पौधे लगाने की उपलब्धि हासिल की और इसके साथ ही इस साल यह संख्या बढ़ाकर 1 लाख करना चाहते हैं।
प्लांट्स आवर पैशन (प्लांट्स हमारे जुनून) ने कोड़िकोड, केरल में प्लांट प्रेमियों के लिए वर्कशाप संचालित कराने के साथ ही इको क्लब और मीटअप का आयोजन किया।
नूरा बताती हैं, “मोहम्मद पैगंबर ही उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। एक बीज लगाओ भले ही वह तुम्हारा आखिरी काम हो पैगंबर मोहम्मद के शब्द हैं और इनके शब्द ही मेरी प्रेरणा है।“
नूरा अपने पिता, शेख अब्दुल अजीज अल नूमी से प्रेरणा भी लेती है, जिसे ग्रीन शेख के नाम से भी जाना जाता है।
उनके परिवार में पौधों के लिए जुनून की शुरूवात उनकी दादी के द्वारा किया गया था जो हर्बल पौधों को मनुष्यों के लिए प्रकृति का संपत्ति मानती थी। उनके कदमों पर चलते हुए, नूरा के पिता अपने जन्मदिन के दौरान अपने सहकर्मियों को पौधे भेंट करते थे। उनकी इस अनोखी आदत को उनकी मंडली ने बहुत सराहा और परिणामस्वरूप, प्लांट्स आवर पैशन का निर्माण हुआ।
नूरा कहती हैं, “हमारा मिशन खुद में अलग है क्योंकि हम अपने पौधों पर नज़र रखते हैं। लोग नियमित रूप से पौधे की स्थिति के बारे में हमें अपडेट करते हैं। यदि यह सूख रहा है या निर्जीव प्रतीत होता है तो हम उन्हें बीज के नए पैकेट भेजकर प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें इसकी देखभाल करने के लिए राजी करते हैं। ”
नूरा जब बच्ची थी उस वक़्त उन्हें प्रकृति से कुछ खास प्रेम नहीं था, लेकिन एक बार जब वह बुवाई के कार्य में संलग्न होने लगी और उन्हें बढ़ते हुए देखा, तो वह प्रकृति से प्रेम को लेकर खुद को रोक नहीं सकी। “पौधों की कोमल गति एकदम जादुई होती है। मैं अपने पौधों का पोषण उनसे बात कर और उन्हें अपने दिन की बात साझा करके करती हूँ। पौधे आपकी बात सुनते हैं।“
प्लांट आवर पैशन किसी को भी हमारे मिशन का पालन करने के लिए मजबूर नहीं करता है। लोग हमें चाहते हैं। वे हमारे घर आते हैं और हम जो करते हैं, उसमें बहुत रुचि लेते हैं। हमने लोगों को पेड़ लगाने के लिए मजबूर नहीं किया क्योंकि जबरदस्ती से किसी का भला नहीं होगा।
नूरा और उनके पिता अपने जन्मदिन और विशेष अवसर पर लोगों को सरप्राइज़ देना पसंद करती हैं। “हम नवविवाहितों को गुलाब के पौधे भेजते हैं और उन लोगों के दरवाजे पर पौधे छोड़ते हैं जिनके जन्मदिन हैं। बाद में वे हमें फोन कर बताते हैं कि वे कितने आश्चर्यचकित थे और पौधा देना एक बहुत ही कमाल का विचार था, ”नूरा कहती हैं।
दोस्तों और परिचितों के माध्यम से उन्होंने समुदाय की एक श्रृंखला विकसित की है जो उनके बीज केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, कश्मीर और इस्लाम के सबसे पवित्र शहर मक्का में बोए गए हैं। नूरा कहती है, “हमारे पास मक्का के 17 वें द्वार पर एक नीम का पेड़ है। यह हमारे लिए एक ऐसा आशीर्वाद है जिसको शब्दों में बयान नहीं कर सकते हैं। हम अपने पिता के मित्र की मदद से ऐसा कर पाने में सक्षम हुए।”
जर्मनी के एक स्कॉलर डॉ गूटफ्रीड थॉमस ने नूरा के स्कूल का दौरा किया और इसके साथ ही उन्होंने प्लांट्स आवर पैशन में रुचि ली और जर्मनी में अपने काम को बढ़ावा देने के लिए अपनी रुचि व्यक्त की।
दिसंबर 2019 में, नूरा ने धीरे-धीरे ग्रेटा थुनबर्ग की छवि को संभाला और केरल स्कूल संसद, नियामाना सभा हॉल, तिरुवनंतपुरम में ग्रेटा की जलवायु सक्रियता के लिए एकजुटता का विस्तार किया। “विनाशकारी और अधूरे विकास के नाम पर हम अपने ग्रह पृथ्वी की हरियाली को कम कर रहे हैं। हमारे पास बहुत ही अस्पष्ट दृष्टि वाले नेताओं की एक लाइन है विधानसभा में जो ग्रेटा थुनबर्ग की तुलना में कुछ भी नहीं हैं।
“हम जानते हैं कि प्रकृति का विघटन एक गंभीर समस्या है। हम मशीनरीकरण को लेकर सरकार से लड़ सकते हैं। दूसरी ओर, हमें अपने परिवेश को समृद्ध बनाने के लिए भी काम करना चाहिए। ”
नूरा Draft EIA 2020 के बारे में भी मुखर है। वो कहती है कि “यह पर्यावरण को बुरी तरीके से बर्बाद कर विनाश लाएगा और हासिए पर रहने वाले लोगों के जीवन को सीधे प्रभावित करेगा।”
अपनी स्थापना के कुछ वर्षों के भीतर नूरा के काम ने केरल में विभिन्न संगठनों से कई पुरस्कार जीते हैं। “प्लांट आवर पैशन छात्रों और युवाओं के बीच प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा देने की एक उत्कृष्ट परियोजना है। मुहम्मद अब्दुल खदेर, प्रिंसिपल, अलिफ ग्लोबल स्कूल, कालीकट ने TwoCircles.net को बताया, “मैं ऑन रिकॉर्ड इस बात को कहना चाहता हूँ कि मेरी एक होनहार छात्रा नूरा ज़ैनब इस विशेष परियोजना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।“
‘एनरिच द नेचर विथ प्लांट्स ऑफ हैपिनेस’ के साथ नूरा चाहती हैं की इनकी संस्था की नींव बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचे।