स्टाफ़ रिपोर्टर। Twocircles.net
केंद्र शासित राज्य दादर और नागर हवेली के सांसद रहें मोहन डेलकर को न्याय दिलाने के लिए दमन के सिलवासा में लोग सड़क पर उतर आए हैं। दिवगंत सांसद मोहन डेलकर के जन्मस्थान सिलवासा में कल रात भारी संख्या में लोग अपने दिवंगत सांसद को न्याय दिलवाने के लिए उतर आए और नारेबाजी करने लगें। ज्ञात हैं कि गत माह 22 फरवरी को दमन और दीव के सांसद मोहन डेलकर मुंबई के एक होटल में मृत पाए गए गए थे। मोहन डेलकर दादरा और नगर हवेली लोकसभा क्षेत्र से 7 बार सांसद रहे थे।
पिछले महीने 22 फरवरी को दादर और नगर हवेली से सांसद मोहन डेलकर मुंबई के मरीन ड्राइव क्षेत्र में स्थित ए होटल ‘सी ग्रीन व्यू’ के कमरे में मृत पाए गए थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार मोहन डेलकर की मौत फांसी पर लटकने के बाद दम घुटने से हुई थी। मोहन डेलकर की लाश के पास से 15 पन्नों का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था। हालांकि सुसाइड नोट में क्या लिखा हैं पुलिस ने इसका खुलासा नहीं किया, फिलहाल इस मामले की पुलिस जांच चल रही है।
मुबंई पुलिस की जांच में बरामद हुए सुसाइड नोट में दादर और नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल समेत दादर और नगर हवेली के कलेक्टर का नाम लिखा हुआ हैं।मोहन डेलकर के लड़के अभिनव ने दादर और नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल पर अपने पिता मोहन डेलकर को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है।
वहीं कांग्रेस ने भी सांसद मोहन डेलकर की मृत्यु का आरोप दादरा और नगर हवेली के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल पर लगाया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल सांसद मोहन डेलकर को लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। मोहन डेलकर की मृत्यु से पहले उनके मेडिकल कॉलेज और आदिवासी भवन को गिराने की कोशिश भी करी गई थी।
मामले के एक महीने बीत जाने के बाद अब मोहन डेलकर के जन्मस्थान दमन के सिलवासा में डेलकर के लिए न्याय की मांग करते हुए जनता सड़क पर उतर आई हैं। सिलवासा की जनता सड़क पर उतर कर अपने दिवंगत सांसद मोहन डेलकर की मृत्यु की न्यायिक जांच की मांग कर रही है। डेलकर के समर्थन में जनसैलाब सड़कों पर उतर आया और उनके लिए न्याय की मांग करने लगा।
मोहन डेलकर दादरा और नगर हवेली से 7 बार सांसद रहे थे। उनके पिता संजीभाई डेलकर भी कांग्रेस से दादरा और नगर हवेली के सांसद रहे थे। मोहन डेलकर भी कांग्रेस के साथ भाजपा में भी रहें थे, लेकिन अंतिम 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था और भाजपा के प्रत्याशी को लगभग 9 हज़ार वोट से हराकर चुनाव जीता भी था।