न्यूज़ डेस्क । Twocircles.net
बिहार के सिवान से पूर्व सांसद और राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन का शव काफ़ी कोशिश और मशक्कत बाद भी सिवान नहीं लाया जा सका। शहाबुद्दीन को दिल्ली आईटीओ स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। इससे पहले शहाबुद्दीन का डीडीयू अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया। शहाबुद्दीन का डीडीयू अस्पताल में कोरोना संक्रमण के इलाज़ के दौरान निधन हो गया था। हालांकि राजद के नेताओं और उनके चाहने वालों ने प्रशासन और अस्पताल पर इलाज़ में लापरवाही का आरोप लगाया था।
सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन तिहाड़ के जेल में 2018 से बंद थे। उन्हें तिहाड़ की हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया था जहां सुरक्षा के खास प्रबंध थे। मोहम्मद शहाबुद्दीन 20 अप्रैल को जेल में रहते कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए थे। इसके बाद उन्हें दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। अस्पताल में इलाज़ के दौरान 1 मई को शहाबुद्दीन का निधन हो गया था।
राजद समेत अन्य दल के नेताओं और शहाबुद्दीन के चाहने वालों ने जेल प्रशासन और अस्पताल पर इलाज़ में लापरवाही लगाया था और पोस्टमार्टम की मांग करी थी।साथ ही कुछ लोगों ने उनकी मौत को राजनीतिक चक्रव्यूह का शिकार भी बताया था। जिसके बाद सोमवार को तीन डाक्टरों के पैनल ने मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया और पोस्टमार्टम के दौरान वीडियोग्राफी भी हुई।
पोस्टमार्टम के बाद शहाबुद्दीन के शव को दफनाने के लिए उनके सिवान स्थित पैतृक गांव प्रतापपुर ले जाने की मांग शहाबुद्दीन के परिजनों समेत कई राजनैतिक दल के लोगों ने उठाई। लेकिन शासन प्रशासन ने कोविड प्रोटोकॉल के नियमों का हवाला देकर शहाबुद्दीन के शव को सिवान ले जाने की इजाज़त नहीं दी।
तमाम कोशिशों के बाद प्रशासन द्वारा शहाबुद्दीन को आईटीओ स्थित कब्रिस्तान में दफनाने की इजाज़त दी गई। प्रशासन द्वारा मात्र 20 लोगों को ही जनाज़े में शामिल होने की इजाज़त दी गई। शाम उन्हें कब्रिस्तान में उनके पुत्र ओसामा शहाब समेत अन्य पारिवारिक जन की मौजूदगी में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।
शहाबुद्दीन के चाहने वालों ने आरोप लगाया है कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना से संक्रमित होने के बाद शहाबुद्दीन को चिकित्सीय निगरानी और समुचित इलाज मुहैया कराने के लिए दिल्ली सरकार और तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया था उसके तीन दिन बाद शहाबुद्दीन को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया। साथ ही यह भी आरोप लगाया है कि शहाबुद्दीन से परिवार वालों को जेल प्रशासन ने मिलने नहीं दिया।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी समेत राजद के नेताओं ने शहाबुद्दीन की मौत पर सवाल खड़े कर दिया हैं। राजद समेत अन्य दलों के नेताओं ने इस मसले को लेकर जांच की मांग करी हैं। राजनैतिक गलियारों में उनकी मौत को राजनीतिक चक्रव्यूह का शिकार बताया जा रहा है।
तिहाड़ जेल अधिकारियों द्वारा 23 अप्रैल तक उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चला है कि जेल में 227 कैदियों और 60 जेल कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण है, जिसमें जेल अधीक्षक और दो जेल डॉक्टर भी शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा है कि कोविड-19 की वजह से चार कैदियों की मौत हो चुकी है। कोविड संक्रमित कैदियों को बाकी लोगों से दूर अलग अलग सेल में रखा गया था। पूर्व सीवान सांसद तिहाड़ में उच्च सुरक्षा वाले जेल नंबर 2 में बंद थे।
इस सप्ताह की शुरुआत में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी की सरकार और जेल अधिकारियों को शहाबुद्दीन की उचित चिकित्सा देखरेख और देखभाल सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा था कि कोविड -19 के मरीजों की देखभाल के लिए ड्यूटी पर लगे डॉक्टर, शहाबुद्दीन की स्वास्थ्य स्थिति और उपचार की निगरानी करेंगे।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की मौत पर शोक ज़ाहिर करते हुए बताया कि, “वो अब हम लोगों के बीच नहीं रहे। कोरोना संक्रमण की वजह से उनकी मौत हो गई।” उन्होंने बताया की ये राजद परिवार के दुखद खबर है। “मो.शहाबुद्दीन अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थे। वे हमेशा जनता के लिए काफी काम करते थे। सिर्फ अपने क्षेत्र में ही नहीं हर जगह उनको चाहने वाले कई लोग थे।” तिवारी ने बताया, “शहाबुद्दीन एक कर्मठ सांसद के रूप में जाने जाते थे।”
9 दिसंबर, 2015 को बिहार के सीवान में एक विशेष न्यायाधीश ने शहाबुद्दीन और उनके सहयोगियों को 2004 के दोहरे हत्याकांड में दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 15 फरवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व नेता को सिवान जेल से तिहाड़ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
हाल ही में, तिहाड़ जेल में रह रहे गैंगस्टर छोटा राजन और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के भी कोरोना संक्रमित होने की खबर सामने आई है। तिहाड़ जेल के एक अधिकारी के अनुसार, “वर्तमान में तिहाड़ में लगभग 20,000 कैदी हैं। मार्च से अब तक 241 कैदियों और 60 कर्मचारियों को संक्रमण हो चुका है। हाल ही में, तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली में कोविड -19 मामलों में वृद्धि के बाद कैदियों और उनके परिवार के सदस्यों के बीच मुलाक़ात को रद्द करने का फैसला किया था,” उन्होंने आगे मीडियाकर्मी को बताया कि, तिहाड़ प्रशासन, अब कुछ जेल में बंद कैदियों को पैरोल देने की योजना बना रहा है।