न्यूज डेस्क। two circles.net
बंगलादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हुई संप्रदायिक घटना के विरोध के बहाने त्रिपुरा राज्य में हिंदूवादी संगठनों द्वारा मुस्लिम नागरिकों को पिछले एक हफ्ते से लगातार निशाना बनाया जा रहा है। त्रिपुरा से पिछले एक हफ्ते से लगातार कई ऐसी घटनाएं सामने आ रहीं हैं जिसमें मुसलमानों के खिलाफ एकतरफा हिंसा भड़काने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है। सूचना के अनुसार त्रिपुरा में अभी तक लगभग डेढ़ दर्जन धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जा चुका है। इसके अलावा मुस्लिम नागरिकों के घरों, दुकानों को भी निशाना बनाया गया हैं। हालत यह है कि लोग अपने घर को छोड़कर सुरक्षित इलाकों में जाने को मजबूर है।
पूर्वी बांग्लादेश की सीमा से सटा त्रिपुरा राज्य हफ्तेभर से हिंसा की चपेट में हैं। यहां रहने वाले मुसलमानों के घरों, दुकानों और मस्जिदों पर हमले और तोड़फोड़ के कई मामले सामने आए हैं। वज़ह हैं 13 अक्टूबर को बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान संप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी जिसमे दुर्गा पूजा के पंडालों में भी तोड़फोड़ की गई थी। इस हिंसा के बाद बंगलादेश में कई जगहों पर हिंसा हुई थी। बांग्लादेश सरकार ने हिंसा के तुरंत बाद देश के अल्पसंख्यक हिंदू समाज को सुरक्षा का आश्वासन देने के लिए कई कदम उठाए थे। सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग ने हिंसा के विरोध में रैलियां निकालीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश पुलिस ने हिंसा में शामिल 693 लोगों को हिरासत में भी लिया हैं।
बांग्लादेश में हुई इस घटना के विरोध में अब त्रिपुरा में हिंदूवादी संगठन द्वारा रैली निकालकर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा हैं। दरअसल बांग्लादेश की घटना के विरोध में त्रिपुरा में 21अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद समेत कई हिंदूवादी संगठन ने रैली कर प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन त्रिपुरा की राजधानी राजधानी अगरतला से 50 किलोमीटर दूर गोमती ज़िले से शुरू हुआ जहां पर विशाल मार्च निकाला गया। इसके साथ ही पश्चिमी अगरतला, धर्मनगर और उत्तरी त्रिपुरा के जिलों में भी प्रदर्शन हुए। इन हिंदूवादी संगठनों के प्रदर्शन में हज़ारों की संख्या में भीड़ शामिल हुई थीं।
हिंदूवादी संगठनों द्वारा निकाली गई रैली के बाद से त्रिपुरा के कई जिलों में मुसलमानों पर हमले जारी है। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने रैली के दौरान जमकर हुड़दंग मचाया और हिंसा पर उतर आए। पहले मस्जिदों में पथराव किया गया और इसके बाद कई दुकानों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। इसके अलावा कई दुकानों और घरों को आग भी लगाया गया है, जिन दुकानों और घरों को निशाना बनाया गया है वो मुस्लिम समुदाय के लोगों की हैं।
जानकारी के अनुसार पिछले सप्ताह भर में अल्पसंख्यक मुसलमानों के मकान और मस्जिदों पर हमले की 21 घटनाओं की पुष्टि हुई हैं। लगभग इनमें 15 घटना ऐसी हैं जहां पर मस्जिदों में तोड़फोड़ की गई और कहीं कहीं पर मस्जिदों में आग लगाने की भी कोशिश की गई। मुस्लिम इलाकों में भगवा झंडे लगाए गए और मुस्लिमों के कई घर और दुकानें जला दी गई हैं। यह हिंसा की घटनाएं त्रिपुरा के उनाकोटी, सिपाहीजाला, गोमती, पानीसागर और पश्चिमी त्रिपुरा के जिलों की हैं।
जानकारी के अनुसार नाकोटी शहर में अब्दुल मन्नान और वकील अब्दुल वासित के घरों पर हिंदूवादी संगठनों की भीड़ ने हमला किया और भगवा झंडा फहराया गया। अब्दुल मन्नान ने घटना का सीसीटीवी का फुटेज पुलिस को सौंपा हैं। 26 अक्टूबर को त्रिपुरा के चमटिल्ला समेत कई अन्य इलाकों की मस्जिदों को निशाना बनाया गया। चमटिल्ला इलाके की मस्जिद पर पथराव किया गया और दरवाजा तोड़ा गया।
त्रिपुरा राज्य में चल रही मुस्लिम नागरिकों के खिलाफ हिंसा में अभी तक कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब की तरफ से भी कोई बयान सामने नहीं आया हैं। हालांकि पुलिस का कहना है कि उन्होंने हिंसाग्रस्त क्षेत्रों की मस्जिदों को सुरक्षा प्रदान की हैं। लेकिन हिंसा करने वालों में अभी तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया हैं।
इस घटना पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि बांग्लादेश के बहाने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना निंदनीय है, धर्म आधारित हिंसा और सांप्रदायिक दंगे न केवल देश को बदनाम करते हैं बल्कि देश के सद्भाव को भी प्रभावित करते हैं,सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा हैं कि त्रिपुरा में मुसलमानों के साथ क्रूरता की जा रही है।उन्होंने पूछा कि सरकार कब तक अंधी और बहरी होने का नाटक करती रहेगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हिंदू धर्म के नाम पर हिंसा करने वाले हिंदू नहीं, बल्कि पाखंडी हैं। एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने त्रिपुरा हिंसा की निंदा करते हुए कहा है कि वे त्रिपुरा राज्य में मुसलमानों के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा करते हैं, नरेंद्र मोदी सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और त्रिपुरा के मुसलमानों को बचाना चाहिए।
दिल्ली के विभिन्न समाजिक संगठनों द्वारा त्रिपुरा हिंसा के विरोध में त्रिपुरा भवन का शुक्रवार को घेराव का ऐलान किया गया है।