स्टाफ़ रिपोर्टर।twocircles.net
मुरादाबाद का एक ऑटो ड्राइवर – मारूफ अली, आजकल चारो तरफ लोगों की प्रशंसा के पात्र बने हुए हैं। कुछ दिनों पहले उनके ऑटो में विकास सिंह नामक दिल्ली विश्विद्यालय के एक असिस्टेंट प्रोफेसर का लगभग ढाई लाख के आभूषण, लैपटॉप और दूसरी कीमती वस्तुओं से भरा बैग छूट गया था, जिसे उन्होंने असली हकदार तक पहुंचाने में पूरा एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया। मारूफ चाहते तो आराम से उस कीमती बैग को लालच की भेंट चढ़ा सकते थें लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मारूफ ने अपनी ईमानदारी को प्रदर्शित करते हुए पूरी इंसानियत के लिए एक मिसाल पेश की है।
पिछले हफ्ते दिल्ली से मुरादाबाद आए सहायक प्रोफेसर विकास सिंह ने रेलवे स्टेशन से मारूफ अली के ऑटो रिक्शा में बस स्टॉप तक का सफर तय किया। मारूफ अली उन्हें छोड़ने के बाद जब अपने घर पहुंचकर ऑटो रिक्शा की सफाई कर रहे थें तब उनका ध्यान ऑटो-रिक्शा में ही पड़े एक बैग पर गया। जिसको देखने के बाद उनके मन में कई तरह के सवाल उठें। आखिर में बैग को उसके मालिक तक पहुंचाने के बारे में सोचते हुए, उन्होंने बैग को खोलने का फैसला किया जिसमें उन्हें विकास सिंह के संपर्क विवरण वाली एक डायरी मिली।
डायरी के कुछ ही पन्नो को पलटने के बाद उन्हें विकास सिंह का नंबर मिला। उन्होंने बिना एक पल भी गंवाए तुरंत उस नंबर पर फोन लगा दिया। फोन पर उन्होंने विकास सिंह को बताया कि उन्होंने अपना बैग ऑटो रिक्शा में ही छोड़ दिया है। विकास सिंह ने ये सुनते ही राहत की सांस ली। विकास परेशान होकर बैग खो जाने की वजह से पुलिस से संपर्क कर चुके थें। उसके बाद पुलिस ने मारूफ से बात करते हुए उन्हें गलशहीद पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा। जहां मारूफ बिना देर किए पहुंच गए।
पुलिस के अनुसार विकास सिंह दिल्ली निवासी हैं, जो अपनी पत्नी को अमरोहा छोड़ने के सिलसिले में आए हुए थें। गलशहीद थाना मुरादाबाद के एसएचओ मोहित चौधरी ने बताया की जब तक यात्री थाने पहुंचे कहा, “जब तक यात्री पुलिस थाने पहुंचे तब तक ऑटो-रिक्शा चालक ने उनसे संपर्क कर बैग की जानकारी दे दी थी। जल्द ही मारूफ ने थाने पहुंच कर विकास सिंह को उनका बैग लौटा दिया जिसके बाद विकास बार-बार मारूफ धन्यवाद कर रहे थें।
ड्राइवर की दयालुता और ईमानदारी की सराहना करते हुए, एसएचओ ने कहा, “ऐसी घटनाएं शायद ही कभी होती हैं। जो यात्री सार्वजनिक परिवहन में अपना सामान भूल जाते हैं, उन्हें शायद ही वापस मिल पाता है। एसएचओ ने आगे बताया, “इस मामले में भी यात्री विकास सिंह के पास चालक या वाहन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, जिस वजह से चालक का पता लगाना काफी मुश्किल काम हो सकता था। ऑटो चालक सही मानो में बधाई के पात्र हैं।”
एसएचओ मोहित चौधरी आगे कहते हैं, “उस आदमी ने साबित कर दिया कि इंसानियत अभी भी मौजूद है, अगर सभी व्यक्ति ऐसे ही ईमानदारी दिखाएं तो कभी किसी का कोई चीज़ नही खोएगा।” मारूफ को इसकी ईमानदारी के चलते एक इनाम भी दिया गया। उन्हें इनाम के तौर पर एक हजार रुपये दिए भेंट किए गए। इस मामले के बाद से मारूफ चारो तरफ सुर्खियों में है। कई बड़े अखबारों में उनकी खबर और तस्वीर अबतक छप चुकी है। उनके कारनामे को सुनकर लोग उसका धन्यवाद भी कर रहे हैं कि उन जैसे लोगों के बदौलत ही लोगों का इंसानियत पर अभी भरपूर भरोसा बना हुआ है।