डेल्टा मेघवाल को मिला न्याय, गुनाहगारों को उम्र कैद की सज़ा

आकिल हुसैन।Twocircles.net

2016 में राजस्थान के बीकानेर के नोखा में हुए बहुचर्चित डेल्टा मेघवाल हत्याकांड को लेकर बीकानेर की पोक्सो कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। पोक्सो कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस चर्चित हत्याकांड के तीनों आरोपियों को सज़ा सुनाई है। इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी विजेंद्र सिंह को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है, वहीं दो अन्य आरोपियों को 6-6 साल की सज़ा सुनाई गई है। यह फैसला पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश देवेंद्र सिंह नागर ने सुनाया है। इससे पहले अदालत ने तीनों आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया था।


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दलित छात्रा डेल्टा मेघवाल की उसके ही शिक्षक द्वारा बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। राजस्थान में हुई इस घटना के बाद हर राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए थे। देशभर में डेल्टा मेघवाल के लिए न्याय की आवाज़ उठी थी। अगर उस समय इस घटना के विरुद्ध विरोध के स्वर न उठते तो मामला रफा-दफा हो चुका था।


कौन थी डेल्टा मेघवाल?

डेल्टा मेघवाल बाड़मेर के त्रिमोही गांव के दलित समुदाय से आने वाली 17 वर्षीय प्रतिभाशाली छात्रा थी। डेल्टा मेघवाल बीकानेर के नोखा के श्री जैन आदर्श कन्या शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय में बेसिक स्कूल टीचर सर्टिफिकेट का कोर्स कर रही थी। डेल्टा मेघवाल इतनी होनहार थी की उसकी पेंटिंग की हुई रेगिस्तान के जहाज शीर्षक तस्वीर को मुख्यमंत्री ने अपने कार्यालय में भी लगाया था और बाकायदा 2014 में तत्कालीन मुख्य्मंत्री वसुंधरा राजे ने डेल्टा को पत्र लिखकर पेंटिंग की सराहना की थी और जिला स्तर पर भी सम्मानित करवाया था। इतना ही नहीं कुमारी डेल्टा के हुनर को देखते हुए कई बार उपखण्ड मुख्यालय पर भी प्रशासन सम्मानित कर चुका है। डेल्टा मेघवाल के पिता महेंद्र मेघवाल पेशे से एक शिक्षक हैं। डेल्टा मेघवाल के परिवार में दो भाई और एक बहन हैं।

दलित डेल्टा मेघवाल का बलात्कार और फिर हत्या

2016 में डेल्टा मेघवाल बीकानेर के नोखा स्थित जैन आदर्श कन्या शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान से पढ़ाई कर रही थी। डेल्टा संस्थान परिसर में ही जैन आदर्श खजांची गुरुकुल कन्या छात्रावास में रहतीं थीं। 2016 में मार्च के महीनों में डेल्टा मेघवाल होली की छुट्टियों में अपने बाड़मेर ज़िले स्थित घर गईं थीं। होली की छुट्टियों के बाद 28 मार्च की सुबह डेल्टा के पिता महेंद्र मेघवाल उसको संस्थान छोड़कर लौट गए।

अगले दिन 29 मार्च को पुलिस द्वारा डेल्टा मेघवाल के पिता को सूचना दी गई कि उनकी बेटी डेल्टा मेघवाल का शव कॉलेज के छात्रावास की पानी की टंकी में पाया गया था। डेल्टा मेघवाल के पिता महेंद्र के अनुसार 28 मार्च को ही रात लगभग 8 बजें डेल्टा मेघवाल ने उनको फोन करके बताया था कि उसके साथ कुछ बुरा हुआ हैं, वो बहुत डरी हुई हैं और उसे आकर ले जाएं। डेल्टा के पिता के अनुसार छात्रावास की वार्डन प्रिया शुक्ला ने 28 मार्च की शाम को ही पीटीआई इंस्ट्रक्टर विजेंद्र सिंह के कमरे की सफाई करने के लिए भेजा था, वहां विजेंद्र सिंह ने उसका बलात्कार किया और साथ ही जान से मारने की धमकीं भी दी। बताया जाता है कि जिस दिन डेल्टा संस्थान आई थी उस दिन ज्यादातर छात्राएं लौटी नहीं थीं, छात्रावास में मात्र चार ही छात्राएं मौजूद थीं।‌

छात्रावास की वार्डन प्रिया ने पुलिस को बताया कि सोमवार रात करीब 12.30 बजे हॉस्टल का मेन गेट खुला था, छानबीन के दौरान डेल्टा मेघवाल गायब मिली, तलाशी ली तो वो परिसर में मिल गई। प्रधानाचार्य प्रतीक शुक्ला की मौजूदगी में छात्रा को समझा कर हॉस्टल की अन्य छात्राओं के साथ उसके कमरे पहुंचा दिया गया। फिर अगले दिन मंगलवार सुबह करीब 5.45 बजे हॉस्टल की एक शिक्षिका लीला ने वार्डन प्रिया को बताया कि लड़की फिर गायब है। ढूंढ़ते-ढूंढ़ते सुबह 11 बजे उसका शव छात्रावास की टंकी में तैरता मिला।

शुरुआत में पुलिस ने इस मामले को आत्महत्या का मामला बनाकर पेश किया। लेकिन डेल्टा मेघवाल का शव मिलने के बाद अगले दिन मामला बहुत बढ़ गया। मामला बढ़ता देख कालेज प्रशासन ने मामले में पर्दा डालने के लिए बयान जारी किया कि छात्रा उस रात अपने कमरे में नहीं थी और बाद में पीटीआई के कमरे में मिली और दोनों ने आपसी सहमति से संबंध बनाए। कालेज प्रशासन ने यह भी कहा कि बाद में दोनों ने लिखित माफी भी मांगी थी। उधर मृत डेल्टा मेघवाल के पिता महेंद्र मेघवाल ने कहा कि उनकी बेटी ने फोन पर बताया था कि उसके साथ रेप हुआ और उसे डर लग रहा है कि उसकी जान जा सकती है. उन्होंने कालेज के लोगों पर उनकी बेटी को मारने और लाश टंकी में फेंकने का आरोप लगाया। घटना के अगले दिन दैनिक समाचार अखबारों में इस मामले को आत्महत्या बताया गया था।

पुलिस पर उठे सवाल

शुरुआती रिपोर्ट में भी कहा गया कि डेल्टा के फेफड़ों में पानी नहीं था जिसका मतलब मृत्यु डूबने से नहीं हुई है बल्कि मरने के बाद लाश टंकी में पहुंचाईं गई हैं। लेकिन पुलिस इस मामले को आत्महत्या बताकर आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रहीं थीं। डेल्टा के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस ने पोस्टमार्टम प्रक्रिया सही से नहीं की और न ही वीडियोग्राफी की गई। परिवार वालों को सूचना दिए बगैर बच्ची का शव अपने कब्जे में ले लिया। मृत पशुओं को ढोने वाले ट्रैक्टर से बच्ची के शव को मुर्दाघर ले जाया गया। परिजनों ने एफआईआर में डेल्टा से रेप और हत्या के आरोप पीटीआई विजेंद्र, वार्डन प्रिया और संस्थान के प्रिंसिपल प्रतीक शुक्ला पर लगाए। इसके अलावा डेल्टा के परिवार का आरोप था कि उसकी बलात्कार के बाद हत्या की गई थी जबकि पुलिस ने अपनी चार्जशीट में इसे आत्महत्या कहा। परिवार वालों ने पुलिस पर जांच में भेदभाव करने का भी आरोप लगाया।

आरोपियों पर एफआईआर दर्ज और सीबीआई जांच की मांग

पुलिस की लचर कार्रवाई और आरोपियों को बचाने की कोशिश पर स्थानीय लोगों ने आंदोलन किया। एक नाबालिग दलित लड़की की हत्या मामले ने देशभर में तूल पकड़ लिया। स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए दबाव के बाद पुलिस ने डेल्टा के परिजनों की तहरीर पर नोखा थाने में आईपीसी की धारा 302, धारा 376(ग), धारा 201, 34 एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(1)(12) और पॉक्सो कानून की धारा 5 और 6 के अंतर्गत पीटीआई विजेंद्र, वार्डन प्रिया , प्रिंसिपल प्रतीक शुक्ला के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया। नोखा थाने में केस नंबर 146/2016 के रूप में इसे दर्ज किया गया। स्थानीय लोगों ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करी, इसके लिए नोखा में ‘सर्व समाज डेल्टा हत्याकांड संघर्ष’ का गठन किया गया और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और नेता अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे। इन लोगों ने मांग रखी कि जब तक मुख्य आरोपी विजेंद्र की गिरफ्तारी नहीं होती, कालेज की मान्यता रद्द नहीं होती और सीबीआई जांच के आदेश नहीं होते तब तक यह धरना जारी रहेगा।

राजस्थान विधानसभा में उठा मामला

घटना के विरोध में नोखा के अनिश्चितकालीन धरने के कारण इस घटना का विरोध देशभर में शुरू हो गया। तत्कालीन विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले को जोरदार तरीके से विधानसभा में उठाया। विधानसभा में कांग्रेस के भारी विरोध के बाद जयपुर से मानवाधिकार संगठन की टीम नोखा पहुंची और मामले की जांच पड़ताल की। प्रथम दृष्टतया टीम ने परिस्थितियों को संदिग्ध बताया। मानवाधिकार संगठन ने पुलिस, छात्रों के परिवार वालों, वार्डन प्रिया, पीटीआई और डेल्टा की सहेलियों से बात की थी। रिपोर्ट बनाकर शासन को दी। इसके बाद आरोपी पीटीआई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और बीकानेर सेशन कोर्ट ने विजेंद्र को पांच दिन की रिमांड पर भेज दिया। इसके अलावा अन्य आरोपी वार्डन प्रिया शुक्ला और प्रिंसिपल प्रतीक शुक्ला को भी गिरफ्तार किया गया।

राहुल गांधी डेल्टा के परिवार से मिले

डेल्टा मेघवाल हत्याकांड के तूल पकड़ने और देशभर में हुए विरोध प्रदर्शन के बीच अप्रैल में तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी डेल्टा मेघवाल के परिजनों से मिलने पहुंचे थे। राहुल गांधी ने डेल्टा के परिजनों को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया था। राहुल गांधी ने भी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। राहुल गांधी के अलावा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी तत्कालीन भाजपा सरकार से सीबीआई जांच की मांग की थी।

केंद्र सरकार का सीबीआई जांच कराने से इंकार

विपक्षी दलों के दबाव और परिजनों की मांग पर सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। लेकिन, 4 माह 10 दिन बाद केंद्र सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने से इनकार कर दिया। केंद्र सरकार का तर्क था कि इस मामले की चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।

दलित होने की वज़ह बनी डेल्टा की हत्या

मृतक डेल्टा मेघवाल के पिता महेंद्र मेघवाल को लगता है कि उनकी बेटी को उसके दलित होने की वजह से मारा गया। पिता महेंद्र मेघवाल के अनुसार उनकी बेटी को एक साज़िश के तहत ख़त्म कर दिया गया है, उसमें प्रतिभा थी , बाक़ी जाति के लोगों को लगा कि ये भविष्य में कुछ बड़ा कर सकती है इसलिए उसे ख़त्म कर दिया।

आरोपी प्रिया शुक्ला और प्रतीक शुक्ला की जमानत

6 मई 2016 को राजस्थान हाईकोर्ट से आरोपी वार्डन प्रिया शुक्ला और प्रिंसिपल प्रतीक शुक्ला को जमानत मिल गई और वे दोनों बाहर आ गए। आरोपी वार्डन और प्रिंसिपल को बेल मिलने के बाद मृतक डेल्टा के पिता महेंद्र न्याय मिलने की उम्मीद छोड़ चुके थें। हालांकि दलित समुदाय के लोगों ने डेल्टा को न्याय दिलाने की लड़ाई को जारी रखा।

कोर्ट ट्राइल

डेल्टा की हत्या के लगभग तीन महीने बाद 15 जुलाई को इस मामले की सुनवाई बीकानेर की सेशन कोर्ट में शुरू हुई। इस मामले में एससी-एसटी एक्ट की पहली सुनवाई 6 जनवरी 2017 को हुई। इन मामलों में लगभग 26 सुनवाई हुई। हालांकि कोर्ट ट्राइल के बीच डेल्टा के परिजनों ने न्याय की उम्मीद खो दी थी।

अदालत ने आरोपियों को दोषी करार दिया

घटना के लगभग पांच साल बाद 8 अक्टूबर 2021 को बीकानेर की विशेष अदालत ने विजेंद्र सिंह को बलात्कार और हत्या का दोषी पाया, इसके अलावा प्रिया और प्रतीक को भी इस घटना में शामिल होने पर दोषी ठहराया। आरोपी विजेंद्र सिंह पहले से ही न्यायिक हिरासत में है जबकि अन्य दो आरोपी छात्रावास की वार्डन प्रिया शुक्ला और प्रिंसिपल प्रतीक शुक्ला फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। अदालत ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 302, धारा 376(ग), धारा 201, 34 एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(1)(12) और पॉक्सो कानून की धारा 5 और 6 के अंतर्गत दोषी क़रार दिया।

11 अक्टूबर को अदालत ने दोषियों की सज़ा सुनाई

बीकानेर की पोक्सो कोर्ट के जज देवेंद्र सिंह नागर ने मुख्य आरोपी पीटीआई विजेंदर सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो वहीं, छात्रावास की वार्डन प्रिया शुक्ला और उसके पति प्रिंसिपल प्रतीक शुक्ला को 6-6 साल की सजा सुनाई हैं।

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