स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net
मुजफ्फरनगर की एक स्थानीय अदालत ने 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े एक मामले में 20 लोगों को आरोपों से बरी कर दिया है। अदालत ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ सबूत देने में विफल रहा है। सरकारी वकील के अनुसार मामले में सभी गवाह और शिकायतकर्ता मुकर गए।
दरअसल यह मामला केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान के गांव कुटबी से जुड़ा हुआ है। 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान गांव कुटबी के रहने वाले हाजी सिराजुद्दीन ने सितंबर 2013 को शाहपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था कि 8 सितंबर 2013 को वह परिवार सहित घर पर थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि शाम के समय करीब सौ-दो सौ हथियारबंद लोगों ने उसके घर पर हमला बोल दिया था। हमलावर सांप्रदायिक नारे लगा रहे थे। आरोप था कि हमला कर उनके घर में लूटपाट की गई। परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट भी हुई। किसी तरह वह तथा परिवार के अन्य सदस्य जान बचाकर घर से भागे। इस दौरान हमलावर उनके घर को आग के हवाले कर चुके थे।
इस मामले में हाजी सिराजुद्दीन ने गांव के ही काला, रवि, पुष्पेन्द्र, दीपक उर्फ उचित कुमार, प्रदीप, विश्वजीत, पप्पू उर्फ वरण, ममत उर्फ धर्मपाल, रकल उर्फ फर्मीपाल, गोविद उर्फ सौरभ, निखिल, आकाश, नीरीवाल, कुलदीप, नीटू, काला उर्फ चन्द्रकांत, पवन, सोनू उर्फ गौरव, रांझा उर्फ राजपाल, ओमपाल तथा सचिन सहित 21 लोगों को आरोपित किया था।
घटना का मुकदमा दर्ज कर एसआइटी ने मामले की विवेचना की थी। विवेचना उपरांत चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी गई। मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बाबूराम के समक्ष हुई। घटना साबित करने के लिए अभियोजन ने कोर्ट में 12 गवाह पेश किए। अभियोजन के अनुसार सभी गवाह मुकर गए। पेश सुबूत तथा गवाह एवं दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद सोमवार को कोर्ट ने सभी 20 आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान एक आरोपी व्यक्ति की पहले ही मौत हो गई थी।
पिछले आठ वर्षों में मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े हत्या, दुष्कर्म, डकैती और आगजनी से जुड़े 97 मामलों में 1,117 लोगों को सबूतों के अभाव या गवाहों के मुकर जाने के कारण बरी करा जा चुका है। कुछ दिन पहले योगी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े 77 मुकदमों को वापस भी लिया है।
2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान कम से कम 60 लोग मारे गए और 50,000 से अधिक विस्थापित हुए थे। मुजफ्फरनगर दंगे मामले में कुल 510 केस दर्ज किए गए थे और 1,480 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन 510 मामलों में से 175 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया है, 165 मामलों में अंतिम रिपोर्ट जमा की गई है और 170 मामलों को खारिज कर दिया गया है।