असम हिंसा में चांद और अस्मत गिरफ्तार, परिजनों ने कहा, फंसाया गया

Assam police dispersing people during an eviction drive in Darrang district of Assam on September 23 | Picture: PTI

मोहिबुल हक़।Twocircles.net

असम के दरांग में पिछले दिनों अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान हुई हिंसा के मामले में असम पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। असम पुलिस के अनुसार जांच में यह सामने आया है कि इन दोनों लोगों ने अतिक्रमण अभियान के दौरान लोगों को भड़काया हैं। असम पुलिस द्वारा गिरफ्तार करें गए दोनों लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें हत्या का प्रयास और आपराधिक साजिश शामिल है।


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असम पुलिस ने 23 सितंबर को दरांग जिले के सिपाझार में हिंसा के आरोप में असमत अली अहमद और चांद महमूद को गिरफ्तार किया है जो धौलपुर इलाके के रहने वाले हैं। असमत अली अहमद और चांद मोहम्मद दोनों वहां के पंचायती निकाय के नेता हैं। असमत और चांद दोनों को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वे दोनो 26 सितंबर को सिपाझार थाने के प्रभारी से मिलने गए थे,ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों को पहले सिपाझार थाने बात करने के लिए बुलाया गया था जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

चांद महमूद दरांग की चनुआ पंचायत के अध्यक्ष हैं और अस्मत अली बजाना पाथर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हैं। पुलिस ने दोनों के विरुद्ध अतिक्रमण अभियान के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। सिपाझार थाने में चांद और अस्मत अली के विरुद्ध हत्या का प्रयास करने, अपराधिक साजिश रचने समेत कई अन्य गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने चांद और अस्मत के विरुद्ध आईपीसी की धारा 120B, धारा 143,धारा 147, धारा 148, धारा 149,धारा 341, धारा 333, धारा 353, धारा 325, धारा 326 and धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया हैं।

हालांकि चांद महमूद और अस्मत अली के परिजनों का कहना है कि दोनों को साजिश के तहत फंसाया गया है। अस्मत अली के 70 वर्षीय पिता अमसर अली ने TwoCircles.net से बताया कि, ‘चांद और अस्मत दोनों यहां के जन प्रतिनिधि हैं और साथ ही सरकार की ओर से बातचीत के लिए नियुक्त वार्ताकार भी हैं, दोनों अपना काम कर रहे थे और उनके काम के लिए ही गिरफ्तार किया गया है’। अस्मत अली के परिजनों ने TwoCircles.net को बताया कि गिरफ्तार किए गए चांद और अस्मत लगभग पांच दशकों से मुस्लिम समुदाय के किसानों को सरकारी ज़मीन से शांतिपूर्ण तरीके से हटाने के लिए सरकार से बातचीत के जरिए कोशिश कर रहें थे।

अस्मत अली की पत्नी अनवारा खातून ने कहा कि जिस दिन उसके पति को गिरफ्तार किया गया उस दिन वे अतिक्रमण अभियान के पीड़ितों के लिए राहत सामाग्री लेने गुवाहाटी जाने वाले थे। लेकिन वे उसी दिन पुलिस के बुलावे पर थाना चलें गए, उन्होंने पुलिस पर पूरी ईमानदारी के साथ भरोसा किया था, लेकिन पुलिस ने उनको धोखा देकर गिरफ्तार कर लिया।

अस्मत के परिजनों के अनुसार हिंसा वाले दिन अस्मत पुलिस के साथ ही था और वो पुलिस के साथ ग्राम पंचायतों के स्थानीय संगठनों और जनप्रतिनिधियों के बीच वार्ता का आयोजन करवा रहा था। इसके साथ ही अस्मत पुलिस के मिलकर लाउडस्पीकर के जरिए लोगों से शांति की अपील भी कर रहा था।

गिरफ्तार हुए चनुआ पंचायत के अध्यक्ष चांद महमूद की पत्नी नूरजहां खातून कहती हैं कि उनके पति प्रतिनिधि के तौर पर दोनों पक्षों की बातों को एक दूसरे के समक्ष रखते थे। वे बताती है कि बैठक में उनके पति लोगों से सरकार की ओर से मौखिक रूप से दिए गए आश्वासन पर विश्वास जताने को बोलते थे और साथ ही वे सरकार से अतिक्रमण अभियान से प्रभावित हुए लोगों के लिए ज़मीन उपलब्ध कराने की भी मांग करते थे।

एक स्थानीय व्यक्ति TwoCircles.net से बताता है कि अस्मत हमेशा से वंचित लोगों के अधिकारों के लिए लड़ता था। वो बताता है कि अस्मत लोगों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की प्रकिया पूरी करवाने में हर तरह से मदद कर रहा था। एक अन्य व्यक्ति बताता है कि अस्मत यहां के लोगों की एक आवाज़ था और उसकी गिरफ्तारी इसलिए हुईं कि लोग अब डर से आवाज़ न उठा सकें। एक अन्य व्यक्ति नजमुल ने कहा कि मुसलमानों की आवाज़ को दबाने के लिए अस्मत और चांद को साजिश के तहत झूठ फंसाया गया है।

दरांग के पुलिस अधीक्षक सुशांत बिस्वा सरमा ने अस्मत और चांद को फंसाने के आरोप पर TwoCircles.net से बात करते हुए कहा कि हिंसा वाले दिन बैठक के बाद सब लोग चले गए, प्रशासन जेसीबी लेकर काम पर लग गया,तभी अचानक से हम कुछ समझ पाते कि हिंसा भड़क उठी। इन्होंने प्रदर्शनकारियों को हिंसा करने के लिए उकसाया। पुलिस अधीक्षक सुशांत बिस्वा शर्मा ने आगे कहा कि समय आने पर सब कुछ सामने आ जाएगा, जांच चल रही है।‌ एसपी ने कहा कि इस मामले को 28 सितंबर तक सीआईडी को सौंप दिया जाएगा।

इससे पहले 25 सितंबर को मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पीएफआई का नाम लेते हुए संकेत दिया था कि इस हिंसा से पीएफआई जुड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा था कि
घटना में शामिल छह लोगों के नाम हमारे पास है‌ और राज्य सरकार के पास इसके स्पष्ट सबूत हैं। इन लोगों में एक कॉलेज के शिक्षक समेत कई पीएफआई के सदस्य भी शामिल हैं। हालांकि पीएफआई ने हिंसा कराने के आरोपों से पल्ला झाड़ा हैं।

असम के दरांग जिले के सिपाझार में अतिक्रमण अभियान के दौरान हिंसा भड़क उठी थी जिसमें दो लोग पुलिस की गोली से मृत्यु हो गई थी और लगभग काफ़ी लोग घायल भी हुए थे और साथ लगभग 20 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था जिसमें पुलिसकर्मी बेरहमी से एक व्यक्ति पर गोली चला रहें थे और डंडों से मारकर उसकी हत्या कर रहे थे। जिस इलाके में अतिक्रमण अभियान चला था वहां पर लगभग 800 परिवार रहते हैं जिसमें ज्यादातर पूर्वी बंगाल से आए मुसलमान हैं जो कई वर्षों से रह रहे थे। असम सरकार का कहना था कि इस जमीन का उपयोग कृषि परियोजना के लिए किया जाएगा।

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