अहमद कासिम Twocircles.net के लिए
2 अप्रैल 2022 की शाम राजस्थान के शहर करोली में हिन्दू नववर्ष की शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी , राजस्थान के डीजीपी मोहन लाल लाठेर के मुताबिक़ हिंसा की वजह बाइक रैली के दौरान लगाए गए आपत्तिजनक नारे थे, जिसके बाद रैली पर आसपास के घरों से पथराव हुआ और हिंसा की स्थिति पैदा हो गयी, मुख्य बाज़ार में 60 से अधिक दुकानों को जला दिया गया और दर्जनों लोग घायल हुए।
“उन्होंने रैली पर पत्थर फेंके इसलिए जलाई दुकान “
करोली शहर के कोर्ट बाज़ार में जनरल स्टोर चलाने वाले संजय गुप्ता उस शाम क्या हुआ था के जवाब में बताते हैं — “हम अपनी दूकान पर मौजूद थे, शांतिपूर्ण रैली निकल रही थी, रैली जैसे ही हटवाड़ा मार्किट की ओर बढ़ी तो वहां भगदड़ मच गयी, सब अपनी दुकाने बंद करने लगे, पता नहीं ये क्यों हुआ ? यह एक सोची समझी साजिश लगती है”
संजय गुप्ता की दुकान के ठीक सामने एक जली हुई दुकान दिखाई देती है, संजय के मुताबिक़ यह एक मुसलमान चूड़ी विक्रेता की थी जिसे हिंसा भड़कने के बाद जला दिया गया, मैंने संजय से वजह जानना चाहा की इतने करीब में होने के बाद भी आपकी दुकान सुरक्षित है ओर उनकी जला दी गयी,ऐसा क्यों ? इस सवाल पर वे कहते हैं — “हो सकता है हिन्दू समाज के लोगों ने ये दुकाने इसलिए जलाई हों की उनकी रैली पर मुसलमान इलाके में पथराव हुआ था”
मस्जिद के सामने लगाए गए आपत्तिजनक नारे
यहाँ से थोड़ा आगे चलते ही एक धराशायी इमारत का मलबा नज़र आता है, यह चूड़ी व्यापारी मोहम्मद ज़फर का दो मंज़िला शोरूम था, जो अब पूरी तरह जल कर राख हो गया है। ज़फर बताते हैं कि “हमारी दुकानों को चुन चुन कर जलाया जा रहा था,शहर के मुख्य बाज़ार में हमारी 6 दुकानें थी, सब जलकर राख हो गयी हैं, एक दुकान की दूसरी मंज़िल पर हमारा घर था, कुछ भी नहीं बचा है, हम रिश्तेदार के घर रहने पर मजबूर हैं”
चूड़ी बचने का काम ज़फर के परिवार का खानदानी काम है, यहाँ वे और उनकी बेटियां मुख्य बाज़ार में अपने काम को लेकर अच्छी पहचान रखते हैं, लेकिन 2 अप्रैल के दिन उनकी एक भी दुकान को नहीं छोड़ा गया, ज़फर की सबसे बड़ी बेटी ज़ीनत कौसर बताती हैं कि जिस दुकान पर वे 10 साल से बैठ रही हैं वो एक बड़ी दुकान थी, अब उस जगह पर आग लगे मलबे के अलावा कुछ नज़र नहीं आता है, उन्होंने बताया “इतनी भयानक आग थी की हम कुछ भी नहीं कर सके, मेरी बूढ़ी दादी, चाची, भाई वहां फंस गए थे, उन्हें बहुत मुश्किल से निकाला गया, हम अपने रिश्तेदार के घर रहने पर मजबूर हैं, हम जानते हैं की हम यहां कैसे रह रहे हैं, दूसरों के मोहताज हो गए हैं।
जुलाई में होनी थी तीन बेटियों की शादी
ज़फर की बीवी नूरजहां जुलाई में होने वाली बेटियों की शादियों को लेकर गहरे सदमें में दिखाई देती हैं, वे कहती हैं “हमारे साथ जो भी हो रहा है उसका ज़िम्मेदार पुलिस प्रशासन है, हमारी दुकानों को जला दिया गया और उन्हें रोका नहीं गया, जुलाई में तीन बेटियों की शादी होनी थी, अब बेघर हैं, बताइये क्या करें ? बेवजह हमारे ऊपर इल्ज़ाम लगाया जा रहा है की हम दंगे में शामिल थे” ज़फर बताते हैं की उन्हें दो करोड़ रुपए के करीब माल का नुकसान हुआ है
“टोपी वाला भी सर झुका के जय श्री राम बोलेगा”
ज़फर ने बताया की बाज़ार से निकाली जा रही रैली में आपत्तिजनक नारे लगाए जा रहे थे, जिसके कुछ बोल याद करते हुए वे बताते हैं कि एक नारे में “टोपी वाला भी सर झुका के जय श्री राम बोलेगा” हिंदुस्तान में रहना होगा-वन्दे मातरम् कहना होगा, था” जैसे लाइन थी जोकि काफी भड़काने वाला था।
इस गाने के बारे में जानने के लिए यूट्यूब खंगाला तो वहां अवध म्यूजिक भोजपुरी के हैंडल से ये गाना पोस्ट किया गया था जिसे तीन मिलियन से ज़्यादा बार देखा गया, वहां गायक का नाम डीजे हर्ष गुप्ता लिखा हुआ दिखाई देता है। दंगे के बाद जो वीडियोज़ वायरल हुई हैं वहां भी शोर के साथ ये गाना सूना जा सकता है।
हेमंत और अशफाक की आपबीती
हेमंत अग्रवाल जनरल स्टोर चलाकर अपना परिवार पाल रहे थे, उन्होंने बताया की उनके ज़्यादातर ग्राहक मुसलमान ही हैं, दंगों के दौरान उनकी भी दुकान को जला दिया गया, वे दुकान में 15 से 20 लाख का खर्च बताते हैं, हेमंत कहते हैं कि “मैं उस रैली में शामिल नहीं था, शाम में किसी ने बताया की मेरी दुकान को भी जला दिया गया है, मैं भाग कर यहाँ आया था लेकिन पुलिस ने मुझे वापस लौटा दिया, मैं सरकार से मांग करता हूँ की मुझे मुआवजा दिया जाए
अशफाक एक मैकेनिक हैं, उनकी वर्कशॉप शहर के चुंगी नाका इलाके में स्थित है, अशफ़ाक़ बताते हैं की दंगों के दो दिन बाद मैं अपनी दुकान देखने गया था, सब जलकर राख हो गया, कमाने का अब कोई जरिया बाकी नहीं रहा है। “दंगे प्रयोजित थे, 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी है”
नाम ना बताने की शर्त पर एक 45 वर्षीय टीचर ने इन दंगों को प्रायोजित बताते हुए कहा कि “करोली में रैलियां पहले भी निकली हैं, ये जो कुछ हुआ सोच समझ कर कराया गया है, मैंने 45 साल की ज़िंदगी में यहाँ कभी ऐसा होता हुआ नहीं देखा, सब भाईचारे से मिल-जल कर रहे थे, हमारे पास पहले ही धंधे-रोजगार नहीं है, क्या खाएंगे क्या कमाएंगे, वे आगे कहते हैं की ये दंगे राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी है’
सरकार चाहती तो रोक सकती थी दंगे
मैं अब एक हिन्दू बहुल इलाके में पहुंच चूका हूँ, कर्फ्यू में 9 से 12 बजे की ढील दी गयी थी इसलिए मंदिर के पास कुछ लोग इक्क्ठा थे, मैंने इन लोगों से बात करने की कोशिश की, यहाँ लोग प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि एक हज़ार लोगों की रैली पर सिर्फ 60 पुलिस कर्मी क्यों लगाए गए ? क्या प्रशासन को इसका अंदाज़ा नहीं थी की ऐसी कोई घटना हो सकती है ? कुछ लोगों का कहना था की सरकार दंगे रोकना ही नहीं चाहती थी, मैंने जब सवाल किया की सरकार ऐसा क्यों चाहेगी तो इसका उनके पास कोई पुख्ता जवाब नहीं था।
पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे हैं सवाल
बीड़ी बनाने का काम करने वाली जरीना बानों पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहती हैं कि “पुलिस ने सेहरी के ठीक बाद घर पर सो रहे तीन बच्चों को उठाकर थाने ले गयी, उनकी पिटाई की, जब शाम को बच्चों को छोड़ा गया तो एक बच्चे के पैर में सूजन थी, मैंने इस बारे में जानने के लिए करौली के एसपी शैलेन्द्र सिंह इंदौलिया से बात की, उन्होंने बताया की जिन लोगों का नाम सामने आ रहा है उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है, पिटाई किसी की भी नहीं की गयी है
करोलो एसपी ने बताया की 30 लोगों को पहचान कर गिरफ्तार कर लिया गया है, शहर में इंटरनेट सेवाए जल्द बहाल कर दी जाएंगी और कर्फ्यू सुबह 10 से शाम 5 बजे तक हटा दिया गया है।