आखिर क्यों नही मिल पा रहा बिलकिस को इंसाफ !

आकिल हुसैन। Twocircles.net

2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिल्कीस बानो से गैंगरेप और परिवार के 14 लोगों की हत्या करने के मामले में दोषी 11 लोगों को छोड़े जाने का मुद्दा गरमाता जा रहा है। गैंगरेप और हत्या के दोषियों की रिहाई पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि जिस पैनल ने सभी दोषियों की रिहाई का फैसला लिया है उनमें दो बीजेपी विधायक और गोधरा ट्रेन कांड में सरकारी पक्ष का गवाह भी शामिल था। वहीं दोषियों की रिहाई पर मुहर लगाने वाले पैनल के सदस्य गोधरा के बीजेपी विधायक सी के राउलजी ने विवादित देते हुए कहा कि बिल्कीस बानो मामले के दोषी ब्राह्मण हैं, उनके अच्‍छे संस्‍कार हैं। देशभर के कई 6000 से अधिक समाजिक संगठनों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की रिहाई को निरस्त करने की मांग की है।


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2002 गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के दाहोद ज़िले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिल्कीस बानो अपनी साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ दंगाईयों के डर से अपने घर से भागकर छप्परवाड़ गांव जाकर खेतों में छिप गईं थीं। चार्जशीट के मुताबिक 3 मार्च 2002 को पांच महीने की प्रेगनेंट बिल्कीस बानो का गैंगरेप हुआ और उसकी बेटी समेत परिवार के 14 लोगों की हत्या कर दी गई। यह केस कई दिनों तक चर्चा में रहा। बिल्कीस बानो ने न्याय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और 2008 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट द्वारा 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई। 

स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले की प्राचीर से महिलाओं के सम्मान की बात कही गईं ठीक उसी दिन बिल्कीस बानो का गैंगरेप करके परिवार की हत्या करने वाले 11 दोषी गोधरा की जेल से बाहर आ गए। जिन 11 दोषियों को गुजरात सरकार की सजा माफी नीति का हवाला देकर रिहा किया गया है उनमें जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोर्धिया, बकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं। यह सभी 11 दोषी 2004 से गोधरा जेल में बंद थे।

बलात्कारियों को जेल से बाहर आने पर मिला सम्मान रूह को झकझोर दे रहा है…

दोषियों के जेल से रिहा किए जाने पर पीड़िता बिल्कीस बानो ने बयान जारी किया है। बयान में बिल्कीस बानो ने गुजरात सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने कहा हैं कि, ’11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई ने न्याय पर उनके भरोसे को तोड़ दिया हैं। उन्होंने कहा कि इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और ना ही उनके भले के बारे में सोचा।’

बिल्कीस बानो ने आगे कहा हैं कि, ‘मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय में मेरे विश्वास को हिला दिया है। मेरा दुख और मेरा डगमगाता विश्वास सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही है।’

बिल्कीस बानो ने गुजरात सरकार से दोषियों की रिहाई को निरस्त करने की अपील करते हुए कहा हैं कि, ‘मुझे बिना किसी डर के और शांति से जीने का मेरा अधिकार वापस मिले और मेरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित हो।’

बिल्कीस का रेप करने वालों को सजा सुनाने वाले जज भी दोषियों की रिहाई से हैरान हैं। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) यूडी साल्वी ने कहा हैं कि,’सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में बिल्कीस का केस निष्पक्षता से फैसले कि लिए गुजरात से मुंबई ट्रांसफर किया था। गवाह के बयानों सहित इस मामले में सबूत हजारों पन्नों में थे। तब दोषियों को सजा सुनाई गई थी। इस तरह से यह फैसला नहीं लिया जाना चाहिए था। यह फैसला सही है या नहीं, यह संबंधित अदालत या हाई कोर्ट को देखना है।’

बिलकिस बानो …एक दर्द का नाम बन चुकी है…

गोधरा जेल से बाहर निकलने के बाद गैंगरेप और हत्या के दोषियों का बाकायदा फूल, माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर स्वागत किया गया। इसके अलावा विश्व हिन्दू परिषद ने भी दोषियों का दफ्तर में सम्मान समारोह का आयोजन किया। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में देखा जा सकता है कि दोषियों का फूल माला पहना कर स्वागत किया जा रहा है।

बिल्कीस बानो केस के दोषियों को रिहा किया जाए या नहीं इसके लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था। गोधरा के कलेक्टर सुजल मायात्रा को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। वहीं इस कमेटी में पंचमहाल से बीजेपी के दो विधायक, गोधरा के विधायक सी.के.राउलजी, विधायक सुमन चौहान, पंचमहाल के सांसद जसवंत सिंह राठोड समेत 11 लोगों को शामिल किया गया था।

दोषियों की रिहाई के बाद गोधरा के विधायक सी.के.राउलजी का विवादित बयान भी सामने आया है। उन्होंने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि,’मैं नहीं जानता, उन्‍होंने कोई अपराध किया या नहीं लेकिन अपराध करने का इरादा होना चाहिए।’ उन्‍होंने कहा, ‘वे ब्राह्मण हैं और ब्राह्मण अच्‍छे संस्‍कार के लिए जाने जाते हैं,हो सकता है कि उन्‍हें फंसाने और दंडित करने का किसी का गलत इरादा रहा हो। जेल में रहते हुए दोषियों का व्‍यवहार अच्‍छा था।’

इसके अलावा गोधरा विधायक सी के राउलजी ने दोषियों की रिहाई के समय फूल माला पहनाकर स्वागत करने वालों का भी समर्थन किया है।

गोधरा विधायक सी के राउलजी के बयान वाला यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग विधायक की जमकर आलोचना कर रहे हैं। बीजेपी विधायक के इस बयान पर राजद सांसद मनोज झा ने ट्वीट कर लिखा कि, ‘आज़ादी का अमृत काल है’ इन जैसों की ‘विषाक्त अमृत-वाणी’ सुनिए और शर्म से सर झुकाइए कि हम 75वें वर्ष में मध्य युग की पुनरावृति देखने को मजबूर हैं। फिर भी कहिये जय हिन्द।

गुजरात सरकार के फैसले की देशभर में आलोचना हो रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने रिहाई समीक्षा समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जिस समीक्षा समिति ने 11 दोषियों की रिहाई का फ़ैसला सर्वसम्मति से लिया, उसमें दो बीजेपी विधायक भी शामिल थे गोधरा विधायक सी.के.राउलजी और सुमन चौहान। इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि पैनल में गोधरा कांड के सरकारी गवाह मुरली मूलचंदानी भी शामिल थे।

15 अगस्त को अच्छे आचरण के कथित टिप्पणी के चलते जिन्हें रिहा किया गया, वो हत्या और बलात्कार के मामले में 14 साल से जेल में बंद थे …

गुरुवार को जंतर-मंतर पर ऑल इंडिया डेमोक्रेटि वीमेन्स एसोसिएशन , प्रगतिशील महिला संगठन और कुछ अन्य महिला संगठनों ने दोषियों की रिहाई का विरोध किया। महिला संगठनों ने एक स्वर में कहा है कि एक ओर जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला की प्राचीर से महिला सम्मान की बात की, वहीं दूसरी तरफ सामूहिक बलात्कार और जघन्य हत्या के दोषियों को रिहा कर दिया गया।‌ महिला संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को‌ संज्ञान लेने की अपील की है और दोषियों की रिहाई को निरस्त करने की मांग की है।

बिल्कीस बानो मामले के दोषियों की रिहाई को निरस्त करने की मांग भी तेज़ हो गई है। 6000 से अधिक सामाजिक, महिला और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि बिल्कीस बानो मामले में बलात्कार और हत्या के लिए दोषी करार दिये गए 11 व्यक्तियों की सजा माफ करने के निर्णय को रद्द किया जाए। मुख्य अपीलकर्ताओं में सैयदा हमीद, जफरुल इस्लाम खान, रूप रेखा, देवकी जैन, उमा चक्रवर्ती, सुभाषिनी अली, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला, हसीना खान, रचना मुद्राबाईना, शबनम हाशमी और अन्य शामिल हैं। नागरिक अधिकार संगठनों में सहेली वूमन्स रिसोर्स सेंटर, गमन महिला समूह, बेबाक कलेक्टिव, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन्स एसोसिएशन, उत्तराखंड महिला मंच और अन्य संगठन शामिल हैं।

इस मामले में उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता रफत फातिमा दोषियों की रिहाई निरस्त करने की मांग करते हुए TwoCircles.net से कहती हैं कि,’ गुजरात नरसंहार में 21 साल की बिलक़िस बानो जो पाँच माह की गर्भवती थी उसके साथ बलात्कार उसकी माँ बहनो के साथ बलात्कार यही नही उसकी 3 साल की बच्ची की हत्या के साथ परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गयी।जब देश आज़ादी के 75 साल का जश्न मना रहा तब इन हत्यारों और बलात्कारियों की रिहाई राष्ट्रीय शर्म की बात है।एक तरफ़ प्रधानमंत्री जी एतिहासिक इमारत लाल क़िले से महिलाओं के सम्मान की बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे एक तरफ़ एक महिला के यह नाइंसाफ़ी मोदी जी कथनी और करनी में अंतर को साफ़ तौर पर दर्शाता है।

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