सिमरा अंसारी।Two circles.net
उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान की भांति दूसरे चरण में भी लोगों में उत्साह व जोश देखने को मिला है। आज प्रदेश के नौ ज़िलों की 55 सीटों पर वोटिंग हुई. शाम 5 बजे करीब 61% मतदान हुआ, जिसमें चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार सहारनपुर ज़िले में सबसे ज़्यादा करीब 67% वोटिंग हुई। सहारनपुर में सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लोगों में लोकतंत्र के इस उत्सव को लेकर उत्साह देखा गया। युवा वोटर्स लोकतंत्र को मज़बूत करने में अपना योगदान देने के लिए पहली क़तार में नज़र आए।
उत्तर प्रदेश चुनाव के संदर्भ में टीसीएन ने युवा वोटर्स में से मुस्लिम छात्राओं से बातचीत की और उनके मुद्दे व सरकार से उनकी अपेक्षाओं को जानने की कोशिश की।
20 वर्षीय सुहालिया अंसारी ने पहली बार अपनी मताधिकार का प्रयोग किया है। मतदान को कर्तव्य बताते हुए सुहालिया कहती हैं, “ऐसे नेता को चुनना जो भारत के नागरिकों को धर्म के नाम पर न बांटकर भारत की असल पहचान ‘विभिन्नता में एकता’ को बरक़रार रखते हुए देश की उन्नति के लिए काम करे हमारा कर्तव्य है। आने वाली सरकार से मैं बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था की अपेक्षा करती हूँ। महंगाई के इस दौर में एक ग़रीब व्यक्ति के लिए अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना कठिन होता जा रहा है। प्राइवेट स्कूल अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर लाखों रुपए की फीस लूट रहे हैं वहीं दूसरी तरफ़ सरकारी स्कूलों में न अच्छी शिक्षा है न इंफ्रास्ट्रक्चर। अब कोरोना की मार ने तो सभी कुछ ठप कर दिया। ऑनलाइन शिक्षा से केवल अमीर के बच्चे पढ़ पाते हैं गरीब के नहीं”।
पहली बार मतदान करने आईं यासमीन महिला सुरक्षा को मुद्दा बताते हुए अपनी बात में कहती हैं, “यूपी में महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। हाथरस की घटना और पीड़िता के प्रति मौजूदा सरकार का रवैय्या निंदनीय है और अब कर्नाटक से शुरू हुआ शिक्षण संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध यूपी में भी पहुंच चुका है। हिजाब हमारा संवैधानिक अधिकार है किसी को हमारे हिजाब पर उंगली उठाने का कोई हक़ नहीं है. हम भारत के नागरिक हैं और भारत का संविधान हमें अपने धर्म के अनुसार जीवन यापन का अधिकार देता है। हम चाहते हैं कि आने वाली सरकार यूपी में महिला सुरक्षा, बेहतर शिक्षा, रोज़गार आपसी भाईचारे को धरातल पर यकीनी बनाए।”
बी. की छात्रा हुमैरा अब्दुल्लाह यूपी में बेहतर शिक्षा व्यवस्था और रोज़गार को मुद्दा बताते हुए कहती हैं, “सरकार द्वारा सभी वर्ग के बच्चों के लिए एक समान शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों द्वारा बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए. सभी वर्ग के बच्चों के प्रति एक समान व्यवहार होना चाहिए. तेज़ी से बढ़ती हुई महंगाई और बिजली के बिल पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। शिक्षण संस्थानों में बढ़ते भेदभाव और धर्म विशेष की प्रथाओं को अनिवार्य किये जाने पर रोक लगनी चाहिए. B.tech, MBA की डिग्री लेने के बाद पकोड़े या चाय बेचना बेरोज़गारी से बचने का कोई हल नहीं है. भारत एक युवा प्रधान देश है सरकार को बढ़ती हुई बेरोज़गारी को गंभीरता से लेते हुए युवाओं के कौशल का बेहतर उपयोग देश की उन्नति में करने पर विचार करना चाहिए। ”
स्नातक तृत्तीय वर्ष की छात्रा ज़ीनत पहली बार वोट डालने को लेकर बड़ी उत्सुक नज़र आईं। 23 वर्षीय आबिदा राव का कहना है कि यूपी चुनाव में नेताओं की जुमलेबाज़ी से कुछ होने वाला नहीं है, धरातल पर सच्चाई अलग ही है। जनता सरकार से नाखुश है। कोरोना काल के दौरान ध्वस्त हुई स्वास्थ्य व्यस्था को सभी देख चुके हैं। जनता सड़कों पर ऑक्सीजन के लिए मारी मारी फिर रही थी, और सरकार बंगाल चुनाव में व्यस्त थी। यूपी की जनता बदलाव चाहती है. हम आने वाली सरकार से अपेक्षा करते हैं की वो रोज़गार के लिए काम करे और महंगाई को कम किया जाए. यूपी में महंगी बिजली पर भी ध्यान दिया जाए।