सिमरा अंसारी Two circles.net के लिए
जब हम सभी बीते साल की सभी कठिनाइयों और दुखों को पीछे छोड़कर नए साल में एक बेहतर जिंदगी का ख़्वाब लिए बहुत से plans बना रहे थे और जश्न मना रहे थे, वहीं कुछ मुस्लिम महिलाएं व लड़कियां इस बात से अनभिज्ञ थीं कि आने वाली सुबह उनकी ज़िंदगियों में Bulli Bai ऐप नाम का तूफान ला रही है। वैसे मुस्लिम महिलाओं के लिए ये कोई नई घटना नहीं थी। जुलाई 2021 में भी मुस्लिम महिलाएं ऐसे ही एक ऐप Sulli Deal का सामना कर चुकी थी।
Sulli Deal और Bulli Bai दोनों में कोई अंतर नहीं है। दोनों एप्लीकेशंस का मकसद ऐसी मुस्लिम महिलाओं व लड़कियों को अपमानित करना है जो विभिन्न मुद्दों पर बेखौफ़ अपनी बात रखती हैं तथा विभिन्न मैदानों में अपना लोहा मनवा चुकी हैं। दोनों ही ऐप्स के द्वारा 100 से अधिक मुस्लिम महिलाओं की सौदेबाज़ी की जा रही थी, उनके फोटोज़ पर अभद्र टिप्पणियां की जा रही थीं।
इसके खिलाफ़ दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद सहित कई शहरों में शिकायत दर्ज कराई गई। इसके विरोध में बहुत से संगठन भी आगे आए। इसके विरोध में बहुत से संगठन भी आगे आए। फ्रेटरनिटी मूवमेंट के नेशनल सेक्रेट्री आयशा रैन्ना और लदीदा फरज़ाना (दोनों का नाम इस सूची में शामिल है) ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपना विरोध दर्ज कराया और जमात ए इस्लामी हिंद के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से भी ट्वीट कर इस शर्मनाक कृत्य को भारतीय संस्कृति को अपमानित करने वाला बताया गया।
मुंबई पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए सोमवार की रात 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र को बेंगलुरू से गिरफ्तार किया। मुंबई पुलिस ने सोमवार को ये जानकारी दी। इससे पहले महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री सतेज पाटिल ने सोमवार को पुलिस को “बुली बाई” ऐप के डेवलपर्स के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था जिसके बाद इस मामले में ये पहली बड़ी कार्रवाई थी। इसी मामले में बुधवार एक महिला को भी पुलिस ने उत्तराखंड से गिरफ़्तार किया, जिसे इस साज़िश का मुख्य आरोपी बताया जा रहा है। न्यूज़ चैनल्स और सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आरोपी की गिरफ्तारी पर चर्चा हो रही है।
हमने ऐसी कुछ महिलाओं से बात की जिनका डाटा इस ऐप पर मौजूद था और इस पर उनकी भावनाओं और उनकी प्रतिक्रिया को जानने की कोशिश की इनमे से एक सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर नर्गिस बानो को 1 जनवरी की सुबह जब एक दोस्त के मैसेज से इस ऐप के बारे में पता चला तो वो अपनी फोटो देखकर दंग रह गई। उस स्क्रीनशॉट में उनका फोटो था और साथ में लिखा हुआ था Your Bulli Bai of the day। राजस्थान की रहने वाली नर्गिस शादीशुदा हैं और इस घटना की खबर जब उनके परिवार को हुई तो उन्हें एक महिला होने कारण बहुत सी कड़वी बातें सुनने को मिली। इस घटना पर बात करते हुए नर्गिस ने कहा कि मेरे शौहर मेरे साथ हैं, मेरे लिए ये काफी है। रिश्तेदार, आस–पड़ोस जो भी कहे मैं पीछे नहीं हटूंगी। आगे भी ऐसे ही विभिन्न मुद्दों पर लिखती रहूंगी। ये लोग सोचते हैं कि ये सब करके हमें ख़ामोश कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं होगा ये लोग इन कृत्यों द्वारा अपनी गंदी मानसिकता का सुबूत दे रहे हैं। आगे बात करते हुए नर्गिस ने कहा कि मैंने बहुत सी राजनैतिक पार्टियों के नेताओं को सपोर्ट किया है लेकिन आज उनमें से कोई भी मेरे या दूसरी मुस्लिम महिलाओं के समर्थन में खड़ा नहीं हुआ।
फ्रेटरनिटी मूवमेंट की नेशनल सेक्रेट्री आफरीन फातिमा ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा– “मेरे लिए ये बिलकुल भी आश्चर्यचकित कर देने वाली घटना नहीं है। ये सब पूर्व नियोजित है और इसका मुख्य कारण देश के घर–घर में पनप रही मुस्लिम विरोधी विचारधारा है। ऐसी घटनाओं को इस हद तक सामान्य बना दिया गया है कि मुसलमानों के साथ कुछ भी हो जाए सब चुप्पी ही साधे रहेंगे। इस घटना की प्रतिक्रिया में एक दो ट्विटर कैंपेन या एक दो प्राइम टाइम शॉ में चर्चा हो जाना काफी नहीं है।” आरोपियों की गिरफ्तारियों पर बात करते हुए आफरीन कहती हैं– “गिरफ्तारी हो जाना या उनको सज़ा मिल जाना काफी नहीं है। सवाल यह है कि इनके अंदर इतना हौंसला आया कैसे कि ये लोग मुस्लिम महिलाओं के साथ ऐसा कर सकते हैं और एक बार नहीं दो बार नहीं बार–बार कभी वीडियोज़ द्वारा तो कभी ऐसे ऐप्स डेवलप करके। और फिर कुछ लोग उनकी बचाने के लिए ‘बच्चा’ शब्द का प्रयोग शुरू कर देते हैं। वो 21 वर्षीय बच्चा नहीं, वो नफरत से भरा हुआ 21 वर्षीय बालिग़ है, जिसने मुस्लिम महिलाओं की नीलाम करने का षड्यंत्र रचा।” आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि राइट विंग, लेफ्ट विंग व सेकुलर पार्टीज़ हमारे अपमान व अमानवीयकरण में सभी ज़िम्मेदार है।
वायर की पत्रकार इसमत आरा कम उम्र में ही अपने काम के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे बहुत से ज्वलंत मुद्दों पर बेखौफ होकर काम किया है। शायद इसीलिए इसमत आरा को भी लक्षित किया जा रहा है। पत्रकार इसमत आरा ने नए साल की सुबह दुख और निराशा में ट्वीट किया, “यह बहुत दुख की बात है कि एक मुस्लिम महिला के रूप में आपको अपने नए साल की शुरुआत इस डर और घृणा के साथ करनी पड़ रही है।” एक इंटरव्यू में इसमत आरा ने डर का इज़हार करते हुए कहा– “मैं एक पत्रकार हूं। मैं ग्राउंड रिपोर्टिंग करती हूं, कई बार ऐसे क्षेत्रों में जाती हूं जहां रिसोर्सेज़ की कमी होती है, कई बार रात का समय भी होता है। अभी हमारे साथ ये सब ऑनलाइन हो रहा है ऐसा भी हो सकता है की ये शारीरिक उत्पीड़न का रूप ले।”
अधिक दुःखद और चिंताजनक विषय यह है कि इन लोगों ने अपनी मां की उम्र की महिलाओं को भी नहीं छोड़ा। एक ऐसी मां जो पिछले 5 वर्षों से अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रही है उसका भी इस ऐप द्वारा सौदा किया गया।
67 वर्षीय खालिदा परवीन एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। एक मीडिया हाउस से बात करते हुए वो कहती हैं– इस घटना के बाद न तो मैं डरी हूं, न मैं शर्मिंदा हूं। इसके विपरीत मैं इन लोगों की घटिया मानसिकता पर अफसोस करती हूं। इस ऐप के द्वारा उन मुस्लिम महिलाओं को लक्षित किया जा रहा है जो विभिन्न मुद्दों पर सटीकता से अपनी बात रखती हैं। हम सब हरिद्वार में आयोजित हुए धर्म संसद के नफरत भरे भाषणों के विरुद्ध अपनी बात रख रहे थे, इसलिए हमारी नीलामी की जा रही है और उस मुद्दे को दबाने के लिए ये सब किया जा रहा है।”