दलित-मुस्लिम गठजोड़ टूटा तो रामपुर और आज़मगढ़ में हार गए ‘आज़म-अखिलेश’

स्टाफ रिपोर्टर।Twocircles.net

उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की है। समाजवादी पार्टी के गढ़ रामपुर और आजमगढ़ में बीजेपी का कमल खिला हैं। रामपुर में बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने सपा के आसिम रज़ा को 42,048 वोटों के अंतर से चुनाव हराया तो वहीं आजमगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 11,212 वोटों के अंतर से चुनाव हराया। इस हार को अखिलेश यादव और आज़म खान की हार समझा जा रहा है।


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सपा प्रमुख अखिलेश यादव और आज़म ख़ान के इस्तीफे के बाद क्रमश आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट खाली हुईं थी। जिसके बाद बीते 23 जून को दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में मतदान हुआ था। समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ से बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव को चुनाव लड़ाया तो वहीं रामपुर लोकसभा से आज़म ख़ान के करीबी आसिम रज़ा को चुनावी मैदान में उतारा था।

अगर रामपुर की बात करें तो बीजेपी ने आज़म ख़ान के कभी खास रहें पूर्व सपा एमएलसी घनश्याम लोधी को टिकट दिया था। यहां पर सपा और बीजेपी का सीधा मुकाबला था क्योंकि बसपा ने यहां पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था और कांग्रेस ने उपचुनाव से दूरी बनाकर रखी। उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आसिम रज़ा को 3,25,056 मत मिले तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम लोधी को 3,67,104 वोट प्राप्त हुए। बीजेपी ने 42,000 मतों के अंतर से आज़म ख़ान के किले को ढहा दिया। यह उपचुनाव आज़म ख़ान के नाक का सवाल था क्योंकि आज़म ख़ान के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुईं थी और चुनाव प्रचार की कमान भी आज़म ख़ान ने संभाली हुईं थी।

रामपुर सीट पर हुई हार के बाद सपा प्रत्याशी आसिम रज़ा ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि,”रामपुर में तो इस बार चुनावों को हथिया लिया गया। सपा के कद्दावर नेता आजम खां के बेहद करीबी दस वर्ष से रामपुर में समाजवादी पार्टी के नगर अध्यक्ष आसिम राजा ने कहा कि लोगों को मतदान तक नहीं करने दिया। यहां पर जहां 600 मत डाले जाने थे वहां पर सिर्फ चार वोट डाले गए। जहां 500 वोट डाले जाने थे वहां नौ वोट डाले गए। हम तो हैरान है कि यहां पर लोग चुनाव के लिए इतने उदासीन नहीं हैं।”

तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ में क्लीन स्वीप लगाया था। लेकिन अब तीन महीने बाद हुए उपचुनाव में सपा क्लीन बोल्ड हो गई है। आजमगढ़ उपचुनाव में सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 3,03,837 मत मिले हैं तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी भोजपुरी सिने स्टार दिनेश यादव ‘निरहुआ’ को 3,12,432 वोट प्राप्त हुए। बहुजन समाज पार्टी ने भी पूर्व विधायक शाह आलम गुड्डू जमाली को यहां चुनावी मैदान में उतारा था। बसपा ने यहां बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2,66,106 वोट प्राप्त किए हैं। दिनेश यादव ‘निरहुआ’ 2019 में भी यहां से चुनाव लड़ें थे लेकिन तब अखिलेश यादव से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

आजमगढ़ उपचुनाव अखिलेश यादव की इज्ज़त का सवाल बना हुआ था। 2014 में यहां से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे, 2019 में अखिलेश यादव ने बड़े अंतराल से चुनाव जीता था। आजमगढ़ उपचुनाव में हुई सपा की हार का बड़ा कारण है अखिलेश यादव ने इस चुनाव से दूरी बनाकर रखी, अखिलेश यादव न आजमगढ़ चुनाव प्रचार करने गए न ही रामपुर। अखिलेश यादव पर यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि बतौर सांसद अखिलेश यादव आजमगढ़ बहुत ही कम आए। अखिलेश यादव ने नामांकन की आखिरी तारीख से एक दिन पहले ही धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया था। सपा की हार में यह भी एक कारण माना जा रहा है।

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