तस्वीरों में : जामिया में हिजाब के मुद्दे पर जुटी छात्राएं

सिमरा अंसारी और सऊद आलम की रिपोर्ट

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्राओं ने परिसर के अंदर हिजाब प्रतिबंध को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। विश्वविद्यालय में कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से 24 मार्च 2022 को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा स्कूलों में हिजाब प्रतिबंध के फैसले के विरोध में प्रोटेस्ट रखा गया था। प्रोटेस्ट की सूचना मिलते ही प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया. जामिया में सुबह से ही भारी पुलिस बल व सीआरपीएफ के जवान तैनात थे। इन तस्वीरों से आप इस प्रदर्शन को समझ सकते हैं।

Pic credit -saud alam


Support TwoCircles

इस प्रोटेस्ट में जामिया की सीएफआई यूनिट की प्रेज़ीडेंट वजीहा ने कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा हिजाब प्रतिबंध के फैसले को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि- “उच्च न्यायालय के फैसले में बदलाव किया जा सकता है. लेकिन हमारे दीन-इस्लाम में ज़र्रा बराबर भी बदलाव मुमकिन नहीं है. कर्नाटक उच्च न्यायालय हमें नहीं बताएगा कि हमारे धर्म में क्या चीज़ अनिवार्य है और क्या नहीं. हमारे लिए हिजाब आवश्यक है और हम इस फैसले की निंदा करते हैं. हम इस फैसले को स्वीकार नहीं करते हैं. और इसके ख़िलाफ़ आखरी दम तक लड़ेंगे. जामिया के सभी छात्र कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध के विरोध में लड़ाई लड़ रही छात्राओं के साथ हैं. हम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ हैं. हिजाब यूनिफॉर्म से अलग नहीं है. यह यूनिफार्म का ही एक हिस्सा है. यदि कोई छात्रा स्कूल या कॉलेज की यूनिफॉर्म के साथ हिजाब पहनती है तो ये उसका संवैधानिक अधिकार है. हिजाब से किसी को नुकसान नहीं पहुंचता है और न ही ये हमारी कामयाबी में कोई रुकावट बनता है. सर्वोच्च न्यायालय में पूर्ण विश्वास जताया और कहा कि हम उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में न्याय करेगा और हमारे हक़ में फैसला देगा।

Pic credit – saud alam

वहीं मौजूद जामिया की अन्य छात्राओं ने भी इस फैसले का विरोध किया और कहा कि हमें यह फैसला मंज़ूर नहीं हैं. हम क्या पहनेंगे और क्या नहीं यह कोर्ट नहीं तय कर सकता है. यह कोर्ट का अधिकार नहीं है. यह हमारा अधिकार है. हमें क्या पहनना और क्या नहीं यह हम तय करेंगे.छात्राओं ने कहा कि संविधान हमें अपने हिसाब से रहने-सहने की स्वतंत्रता देता है. एक हिजाब से किसी को क्या परेशानी हो रही है. हमें लगता है अगर हम इससे अपनी स्वेच्छा से पहन रहे हैं तो फिर इसमें किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए. हमें चीज़ों को अपने हिसाब से तय करने का अधिकार है और हम अपने अधिकार के तहत ही इसको स्वीकारते हैं.

Pic credit- saud alam

सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा जताते हुए छात्राओं ने कहा कि हमें पूर्ण विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट हमारे हक़ में फैसला देगा. और हम भी यही चाहते हैं. यह फैसला हमारे हक़ में ही होना चाहिए. यह अधिकार की बात इसलिए हमें लगता है इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए ज्ञात हो कि गत वर्ष दिसंबर से कर्नाटक में स्कूल में हिजाब पहनने को लेकर मामला गर्माया हुआ है. कर्नाटक के उडुपी ज़िले की छात्राओं ने इस मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था. उच्च न्यायालय ने हिजाब को इस्लाम में अनिवार्य नहीं बताते हुए छात्राओं की याचिका को ख़ारिज कर दिया था।

Piccredit-saud alam

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. इसीलिए संविधान के अनुच्छेद-25 में संरक्षित नहीं है. छात्राएं स्कूल व कॉलेज द्वारा तयशुदा यूनिफॉर्म पहनने से इंकार नहीं कर सकती हैं.
इसके बाद छात्राओं ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख़ किया तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी गुरुवार को इस मामले में तुरंत सुनवाई से इंकार कर दिया.हिजाब की समर्थित छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने सुनवाई में कहा, “उच्च न्यायालय के फैसले के कारण परीक्षाओं में समस्या आ रही है.”इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ” परीक्षाओं का हिजाब विवाद से कोई संबंध नहीं है.

Pic credit- saud alam

गौरतलब है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस फैसले का देश भर के प्रतिष्ठित संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व छात्रों द्वारा निंदा हो रही है. इस पर अब तक कई सारे संगठनो द्वारा जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए जा चुके हैं. सामाजिक कार्यकर्ता भी इसका विरोध करते नज़र आ रहे हैं.

Pic credit- saud alam

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE