“आज बहुत अच्छा लग रहा है” उर्दू पत्रकारिता के 200 साल पूरे होने पर सुहैल वहीद की टिप्पणी

सुहैल वहीद अंसारी Twocircles.net के लिए

कलकत्ता से 27 मार्च 1822 को उर्दू का पहला अख़बार ‘जामए जहां नुमा’ का प्रकाशन हुआ था और इस तरह भारत में उर्दू पत्रकारिता की शुरुआत हुई। यानी आज 27 मार्च 2022 को भारत में उर्दू पत्रकारिता ने अपने 200 साल पूरे कर लिए हैं। उर्दू से पहले अंग्रेज़ी और बांग्ला भाषा के अखबार भी कलकत्ता से ही निकले। भारतीय भाषाई पत्रकारिता में उर्दू भाषा का नंबर बांग्ला के बाद दूसरा है, इसके बाद अन्य भाषाओं के अखबार प्रकाशित होना शुरु हुए।


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अभी नब्बे के दशक के आख़िर तक भारत में उर्दू अख़बार तादाद और प्रसार संख्या के ऐताबर से हिंदी और अंग्रेज़ी के बाद तीसरे नंबर पर थे। टेलीविज़न आने के बाद सभी भाषाओं के अख़बारों की प्रसार संख्या में कमी आई है तो उर्दू अख़बार भी पीछे हो गए हैं। उर्दू के पहले अख़बार ‘जामए जहां नुमा’ के मालिक हरिहर दत्त जी थे और आज दो सौ साल के बाद भी भारत में उर्दू के जो दो सबसे बड़े और बहुसंस्करणीय अखबार ‘इंकि़लाब’ और ‘राष्ट्रीय सहारा’ अखबार निकल रहे हैं उनके मालिक क्रमशः संजय गुप्ता जी और सुब्रत राय सहारा जी हैं। इसी तरह उर्दू के टीवी न्यूज़ चैनल के मालिकान भी उर्दू भाषी समाज से नहीं आते हैं। एक बात यह भी याद रखने की है कि अंग्रेजों के हाथों भारत के जिस पहले पत्रकार ने शहादत पाई उसका नाम मौलवी मोहम्मद बाक़र था।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से जले भुने फिरंगियों ने 16 सितंबर को 1857 मौलवी मोहम्मद बाक़र को गिरफ़्तार कर बिना उन पर मुकदमा चलाए गोली मार कर कर हलाक कर दिया था। वह ‘देहली उर्दू अख़बार’ निकालते थे। हमने अपना कॉरियर लखनऊ से प्रकाशित होने वाले उर्दू दैनिक ‘क़ौमी आवाज़’ में ट्रेनी पत्रकार के रूप में शुरू किया था, आज बहुत अच्छा लग रहा है।

(सुहैल वहीद उर्दू पत्रकारिता में बेहतरीन रिपोर्ट्स के लिए जाने जाते हैं,वो उर्दू पत्रिका नया दौर के पूर्व संपादक है।)

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