आसिम मंसूर Twocircles.net के लिए
उस दिन ईद से पहली रात थी और अर्शी (25) अपनी ननद के साथ बाज़ार में कुछ जरूरी चीजें खरीदने आई थी। बाज़ार में जबरदस्त रौनक थी। तमाम बच्चें अपने परिजनों के साथ कुछ न कुछ खरीद रहे थे। सब खुश थे। अर्शी ने अपने सीने से अपना बच्चा चिपटाया हुआ था। यह बच्चा कुछ अलग था। थोड़ा सा अज़ीब, बाज़ार की भीड़ इस बच्चें की तरफ कौतुहल से देख रहे थे। दुसरे बच्चें अपने परिजनों से इस बच्चें के बारे में पूछ रहे थे,कुछ छोटे बच्चे डर भी गए थे। इसकी वज़ह 2 साल के इस बच्चे की अज़ीब सी संरचना थी। शायान नाम वाले इस बच्चे का सिर सामान्य बच्चों की तुलना में बेहद छोटा था और शेष शरीर सामान्य था। शायान अपनी आयु वर्ग के बच्चों की तरह खड़ा नही हो सकता था। बात नही कर सकता था। अर्शी जब शायान के कपड़े खरीद रही थी तो उसकी तकलीफ़ ,ज़बान की लड़खड़ाहट और आंखों के गीलेपन को महसूस किया जा सकता था। अर्शी के दर्द में उस मां के अहसास को पढ़ा जा सकता था जो वो एक मां दूसरे सामान्य बच्चों के बीच अपने असामान्य बच्चें में देख रही थी।
25 साल की अर्शी शामली की रहने वाली है। मुजफ्फरनगर जनपद के जानसठ तहसील के मीरापुर कस्बे के मोहल्ला कोटला में 4 साल पहले उसकी शादी हुई। पति रिज़वान अहमद 300 ₹ प्रतिदिन की मजदूरी करते है। शादी के एक साल बाद उसके एक बहुत प्यारी बेटी पैदा हुई नाम रखा गया नादिरा और उसके एक साल बाद आया शायान, अर्शी बताती है कि कस्बे के ही एक नर्सिंग होम में शायान को आये हुए अभी 2 साल नही हुए। ऑपरेशन के बाद जब उन्हें बताया गया है बेटा आया है तो खुशी हुई मगर यह जानकारी देने वालों के चेहरों पर उदासी ने मुझे डरा दिया। उसके बाद जब मैंने अपने बेटे को देखा तो कांप गई। मेरी चीख निकल गई। मेरी ज़बान से जो पहला नाम निकला वो “अल्लाह ” था। मेरे बेटे के हाथ -पैर और धड़ तो सामान्य था मगर सिर बहुत अधिक छोटा था। बहुत ज्यादा मतलब बिल्कुल ही छोटा ! डॉक्टर साहब और उन्होंने जो कहा वो मैंने नही सुना मगर उसे सुनकर मेरे शौहर आंखों से पानी निकल आया। उस बच्चें को उस समय देखने पहुंचे डॉक्टर सरताज बेग हमें बताते हैं कि उन्होंने जब उस बच्चें को देखा तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। मैं बच्चों का ही डॉक्टर हूँ मैंने हजारों नवजात शिशुओं को देखा है और मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैंने इस तरह का कोई बच्चा इससे पहले नही देखा था। एक अनुमान के मुताबिक मैं यह कह सकता हूँ कि इस बच्चा के दिमाग़ का आकार सामान्य बच्चों की तुलना में 10 फीसद भी नही था। मैंने बच्चे के बाप को बता दिया था कि इस बच्चें की प्रोगेस की संभावना बहुत कम है और इस तरह के बच्चें जिंदगी भी कम ही लेकर आते हैं बाकी अल्लाह जो चाहे कर दें !
अलीगढ़ मेड़िकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टर अज़ीम मलिक बताते हैं कि यह ब्रेन डिसऑर्डर है। आमतौर पर ऐसे बच्चें अडल्ट होने से पहले ही रुख़सत हो जाते हैं। इस मामले आश्चर्यजनक यह है कि बच्चें में ब्रेन बेहद कम है और वो लगभग 2 साल की उम्र तक सर्वाइव कर रहा है साथ ही उसके दिल समेत सभी अंगों में समान विकास हो रहा है। सरताज बेग बताते हैं कि शायान का एकदम सही काम करता रहा है। समस्या ब्रेन में है। हालांकि इलाज की संभावना पर वो कहते हैं कि उन्होंने खुद ऐसा केस पहली बार देखा है। जे एन कॉलेज के सीएमओ डॉक्टर अज़ीम भी कहते हैं हां यह स्पेशल स्टडी केस है। इसमें कुछ अलग डेवलपमेंट है। हम लोग इसी ही खुदाई करिश्मा कहते है। इस बच्चें शायान के पिता रिज़वान अहमद मजदूरी करते हैं और बमुश्किल 300₹ रोज़ कमाते हैं। हालात ऐसे है उनके पास अपना फ़ोन भी नही है। वो जो कमा रहे हैं शायान के इलाज की उम्मीदों में खर्च कर रहे हैं। रिज़वान बताते हैं कि डॉक्टर कहते हैं कि इसका इलाज नही हो सकता है। हमें विदेश जाना पड़ेगा। शायान को जल्दी -जल्दी बुखार होता है। ठंड लग जाती और दस्त हो जाते हैं। वो रोता बहुत है,मतलब 5 घन्टे तक भी रो लेता है। अपनी अम्मी के अलावा किसी को पहचानता नही है। 2 साल के बच्चें तो काफी चंचल होते हैं। हमारे दिल पर बहुत जोर पड़ता है।
शायान की अम्मी अर्शी कहती है कि जब कोई औरत पहली बार शायान को देखती है तो कहती है कि “अरी यो ऐसा कैसे “! तो मेरी दिल फटने को होता है। दिल मे गुब्बारा सा फूलता हुआ महसूस होता है। अब मैं क्या बताऊँ ! ऐसा कैसे ! मैं खुद रात को रो-रो कर अल्लाह से पूछती हूँ ! ऐसा कैसे ! शायान के दादा यासीन उसको अपनी गोद मे लेकर प्यार करते हैं और आंखे उनकी गीली हो जाती है। वो कहते हैं कि “हमने इसे अल्लाह की मर्ज़ी मानकर कुबूल कर लिया है ! अल्लाह जो करता है सही करता है ! बस हम नही समझ पाते ! ” शायान की 3 साल की बहन नादिरा दूसरों बच्चों की तुलना में ज्यादा समझदार है। अर्शी बताती है कि शायान बहुत ज्यादा रोता है और परेशान रहता है तो मुझे उसके काफी नजदीक रहना पड़ता है, ऐसे में मेरी बेटी पर मैं ज्यादा ध्यान नही दे पाती मगर उसकी समझदारी यह है कि वो मुझे बिल्कुल परेशान नही करती। जिद नही करती और खेलती रहती है।