आकिल हुसैन। Twocircles.net
बसपा प्रमुख मायावती उत्तर प्रदेश में अपनी खोई हुई ज़मीन मुस्लिम वोटरों के जरिए तलाशने में लगीं हैं। पिछले कुछ समय से मायावती मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर नज़र आ रही है। अब मायावती ने मदरसों का सर्वे करा कर निजी मदरसों को अवैध घोषित किये जाने पर योगी सरकार की कार्रवाई को सवालों के घेरे में खड़ा किया हैं। मायावती ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब गैर मान्यता प्राप्त मदरसे सरकार पर बोझ नहीं हैं तो सरकार इनमें क्यों दखल दे रही है। उन्होंने कहा कि क्या सरकार अब इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को सरकारी बनाकर फंड देंगी।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट करते हुए योगी सरकार पर मदरसा सर्वे को लेकर निशाना साधा है। मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, ‘यूपी सरकार द्वारा विशेष टीम गठित करके लोगों के चन्दों पर आश्रित प्राइवेट मदरसों के बहुचर्चित सर्वे का काम पूरा, जिसके अनुसार 7,500 से अधिक ’गैर-मान्यता प्राप्त’ मदरसे गरीब बच्चों को तालीम देने में लगे हैं। ये गैरसरकारी मदरसे सरकार पर बोझ नहीं बनना चाहते तो फिर इनमें दखल क्यों?
मायावती ने आगे ट्वीट में कहा हैं कि बीएसपी सरकार ने 100 मदरसों को यूपी बोर्ड में शामिल किया था। सरकारी मदरसा बोर्ड के मदरसों के टीचर व स्टाफ के वेतन आदि के लिए बजट प्रावधान हेतु खास तौर से सर्वे कराया जाता है, तो क्या यूपी सरकार इन प्राइवेट मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करके उन्हें सरकारी मदरसा बनाएगी?
1. यूपी सरकार द्वारा विशेष टीम गठित करके लोगों के चन्दों पर आश्रित प्राइवेट मदरसों के बहुचर्चित सर्वे का काम पूरा, जिसके अनुसार 7,500 से अधिक ’गैर-मान्यता प्राप्त’ मदरसे गरीब बच्चों को तालीम देने में लगे हैं। ये गैरसरकारी मदरसे सरकार पर बोझ नहीं बनना चाहते तो फिर इनमें दखल क्यों?
— Mayawati (@Mayawati) October 26, 2022
बसपा प्रमुख मायावती ने यह भी कहा हैं कि मदरसों के अलावा सरकारी शिक्षा व्यवस्था की बदहाली पर भी बात होनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि यूपी व देश के अन्य सभी राज्यों में भी सरकारी स्कूलों के साथ-साथ पूरी शिक्षा व्यवस्था के हालात जो लगातार बदतर होते चले जा रहे हैं वह किसी से भी छिपा नहीं है, फिर भी सरकारें लापरवाह व उदासीन क्या इसलिए हैं कि वहाँ ज्यादातर गरीब व कमजोर वर्गों के बच्चे ही पढ़ते हैं?
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्वीट के जरिए योगी सरकार के साथ कांग्रेस को भी निशाना पर लिया हैं। उन्होंने कहा है कि पहले कांग्रेस सरकार ने ’मदरसा आधुनिकीकरण’ के नाम पर वहाँ के छात्रों को उनकी पसंद की उच्च शिक्षा सुनिश्चित करने के बजाय उन्हें ड्राइविंग, मैकेनिक, कारपेन्टर आदि की ट्रेनिंग के जरिए छात्रों की तालीम व उन मदरसों का भी अपमान किया और अब आगे देखिए बीजेपी सरकार में उनका क्या होता है?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मदरसों का सर्वे करवा रहीं हैं। अभी तक के सर्वे में पूरे प्रदेश भर में लगभग 7500 मदरसे ऐसे मिले हैं जिनके पास मान्यता नहीं है। सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसे मुरादाबाद में सामने आए हैं। योगी सरकार ने जब मदरसों के सर्वे करवाने की बात कहीं थी तब सभी विपक्षी दलों ने योगी सरकार के इस फैसले का विरोध किया था और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार की नीयत पर सवाल भी खड़े किए थे।
बसपा प्रमुख मायावती ने बीजेपी सरकार पर यह निशाना तब साधा है जब यूपी की मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव के निधन के चलते दुःख और ख़ामोशी में हैं। बसपा प्रमुख का यह मुस्लिम कार्ड नगर निकाय चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। मायावती आने वाले नगर निकाय चुनाव में मुस्लिम दलित गठजोड़ के जरिए अपनी खिसकती हुईं सियासी ज़मीन को वापस पाना चाहती है।
मुसलामानों के मुद्दों पर हमेशा चुप्पी साधने वालीं मायावती का यह मुस्लिम प्रेम यूं ही नहीं जागा है। दरअसल इसकी शुरुआत हुईं इसी साल के जून से हुईं। जून मे हुए आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए पूर्व विधायक गुड्डू जमाली को टिकट दिया था। गुड्डू जमाली चुनाव जरूर हार गए लेकिन वोट वो बंपर पाएं कि उनमें और सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के वोटों का अन्तर कुछ हज़ार ही में रहा। बताते हैं कि मुस्लिमों के एक बड़े तबके का वोट गुड्डू जमाली को मिला। बस फिर क्या था बहन जी को एक संजीवनी मिल गई कि अगर मुस्लिम वोट उन्हें मिल जाए तो यूपी की सियासत में बसपा का सूखापन दूर हो सकता है।
पश्चिम यूपी के बड़े नेता इमरान मसूद हाल ही में सपा का दामन छोड़कर बसपा में शामिल हो गए हैं। मायावती का बसपा को एक गिरोह बताने वाले इमरान मसूद को पार्टी में शामिल कराना कहीं न कहीं मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर खींचने की कोशिश हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस में जाने के बाद से बसपा के पास कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा बचा नहीं था। हाल ही में लखनऊ में बसपा प्रमुख मायावती ने यूपी के पार्टी नेताओं की नगर निकाय चुनाव की तैयारी के लिए बैठक भी ली थी। उस बैठक में इमरान मसूद और गुड्डू जमाली पहली लाइन में सबसे आगे बैठे हुए नज़र आए थे। मायावती का यह कहीं न कहीं इशारा था कि अब मुस्लिम उनकी प्राथमिकताओं में हैं।
मायावती के मदरसों के सर्वे के ट्वीट पर इमरान मसूद कहते हैं कि मुस्लिमों का वोट हर पार्टी को चाहिये मगर जब बात उन के हक़ अधिकार और ज़ुल्म पर आवाज़ उठाने की आती है तो नेताओं के मुंह मे दही जम जाता है। बसपा प्रमुख मायावती ने अल्पसंख्यकों पर होने वाले ज़ुल्म अत्याचार और उनके हक अधिकार के मुद्दे हमेशा उठाया है और सरकार में रहते उन्हें हल भी किया है। उन्होने हमेशा मुसलमानों के मामले पर इंसाफ दिलाने के लिये मुखर हो कर आवाज़ उठाई है ।
बसपा से जुड़े अब्दुल रहमान कहते हैं कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा मुसलमानों का वोट लिया और मुस्लिम समुदाय ने पूरी ईमानदारी से सपा को वोट भी किया, इसके बावजूद सपा ने मुस्लिम मुद्दों पर कोई स्टैंड नहीं लिया। मायावती हमेशा मुस्लिम हितैषी रहीं हैं, मायावती ने अपनी सरकार के दौरान मदरसा शिक्षा बोर्ड का गठन किया था। आज अकेले मायावती योगी सरकार के मदरसों के सर्वे पर सवाल खड़ा कर रहीं हैं बाकि सपा, कांग्रेस गायब हैं।
समाजवादी पार्टी मायावती पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाती रहती है। विधानसभा चुनाव के दौरान मायावती पर मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का आरोप लगता हैं। कहा जाता है मायावती भारी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर यूपी में बीजेपी का रास्ता आसान करती है और सपा का मुश्किल। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि मायावती का मुस्लिम कार्ड चलना उनके लिए कितना फायदेमंद रहता है।