मजबूत गवाही और तकनीकी साक्ष्य बने आज़म खान को सज़ा की वजह

स्टाफ रिपोर्टर। twocircles.net


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समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई है। 2019 के एक हेट स्पीच के मामले में रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने आज़म ख़ान को तीन साल की सज़ा सुनाई हैं। इसके उनपर 25 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया हैं। सज़ा सुनाए जाने के कारण आज़म ख़ान की विधायकी भी ख़तरे में पड़ गई है। फिलहाल उनको फ़ैसले के ख़िलाफ़ ऊपरी अदालत में अपील के लिए एक हफ़्ते का वक्त दिया गया हैं। लेकिन आज़म ख़ान को अपनी विधायकी बचाने के लिए तुरंत हाईकोर्ट से सज़ा पर स्टे लेना होगा।

मामला 2019 के रामपुर लोकसभा चुनाव के वक्त का हैं। आज़म ख़ान ने मिलक कोतवाली के नगरिया इलाके में एक चुनावी सभा की थी। आज़म ख़ान पर आरोप लगे थे कि उस सभा में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा रामपुर के अलावा रामपुर के तत्कालीन डीएम आंजनेय कुमार सिंह पर अमर्यादित बयानबाजी की थी और अपशब्द भी कहें थे। उनपर यह आरोप भी लगे कि उन्होंने धर्म के नाम पर भी वोट की अपील की थी।

बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने आज़म ख़ान पर मिलक कोतवाली में आइपीसी की धारा 153 ए, धारा 505 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। बीते 21 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी हुईं थीं और गुरुवार को सज़ा का एलान किया गया था।

आज़म ख़ान ने इससे पहले फैसले की तारीख को टालने के लिए अदालत में पत्र भी दायर किया था, जिसमें यह बात कहीं गईं थी कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए फैसले की तारीख को‌ बढ़ा दिया जाए। लेकिन अदालत ने आज़म ख़ान के इस प्रार्थना पत्र को खारिज़ कर दिया था।

गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए एमपी एमएलए कोर्ट ने आज़म ख़ान को दोषी क़रार दिया था। और शाम को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए आज़म ख़ान को तीन साल की कैद की सज़ा सुनाई। हालांकि इसके बाद आज़म ख़ान को ज़मानत दे दी गई। आज़म ख़ान के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनपर यह फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया था, उन्होंने ने कोई हेट स्पीच नहीं दी थी।

सज़ा सुनाए जाने पर आज़म ख़ान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “मैं कोर्ट के फैसले को स्वीकारता हूं। फैसले के खिलाफ अपील दायर की जाएगी।” आज़म ने अपने तंज़िया लहज़े में कहा कि वो इंसाफ के कायल हो गए हैं। वहीं हेट स्पीच मामले में आजम खान को दोषी करार दिए जाने पर समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर हमला बोला है। सपा नेताओं ने कहा है कि जानबूझकर यह किया जा रहा है, किसी भी बीजेपी नेता को सजा नहीं हो रही है।

वहीं आज़म ख़ान पर मुकदमा दर्ज करवाने वाले बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने कहा कि आज़म ख़ान पर सज़ा का फैसला देश के सामने एक नज़ीर हैं। आकाश सक्सेना ने आज़म ख़ान के विरुद्ध रामपुर से बीजेपी की टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। चुनाव में आकाश सक्सेना को हार का सामना करना पड़ा था।

आज़म खान फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद थे। लगभग 27 महीने बाद मई 2022 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थीं। आजम खान के खिलाफ कुल 87 आपराधिक केस दर्ज हुए थे जिनमें से 84 एफआईआर उत्तर प्रदेश में 2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद के दो वर्षों में दर्ज की गई थी। इन 84 मामलों में से 81 मामले 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले और बाद की अवधि के दौरान दर्ज किए गए थे। आज़म ख़ान पर लगें मुकदमों का यह आंकड़ा सौ के पार पहुंच गया है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एक अनुभवी उच्च शिक्षा प्राप्त प्रभावशील राजनेता होने के बाद भी अभियुक्त ने अपने भाषण में जिन जिन शब्दों का प्रयोग किया और जिस उद्देश्य से किया वो कानून की नजर में भड़काऊ, घृणित, समाज को बांटने वाला तथा सरकार व प्रशासन को अपमानित करने वाला हैं।

कोर्ट ने आदेश में कहा कि अभियुक्त आज़म खान द्वारा चुनावी सभा में आपत्तिजनक भाषण देते हुए संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के लिए अपशब्द, धमकीं, दंगा भड़काना, वर्ग विशेष से धर्म के नाम पर वोट की अपील की गई और वर्ग विद्वेष फैलाने की कोशिश की गई, जो आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन में आता है।

एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश के अनुसार आजम खान को आईपीसी की धारा 153 क (धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505 क (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं पैदा करने के आशय से असत्य कथन) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) के तहत दोषी करार देते हुए उन्हें तीन साल कैद और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है।

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