आकिल हुसैन।Twocircles.net
आज से सात महीने पहले पश्चिम बंगाल के हावड़ा में छात्र नेता अनीस ख़ान की हत्या ने सिर्फ हावड़ा ही नहीं बल्कि पूरे बंगाल को हिलाकर रख दिया। अनीस की मौत की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पाईं हैं कि अब अनीस के भाई सलमान ख़ान पर जानलेवा हमलें की घटना सामने आई है। घटना शनिवार रात की है जब सलमान अपने घर के बाहर मौजूद थे तभी कई अज्ञात बदमाशों ने सलमान पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। हमलें में सलमान काफ़ी गंभीर रूप से घायल हो गए जिसके बाद उन्हें परिजनों द्वारा अस्पताल में भर्ती करवाया गया। सलमान के परिजनों ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर हमला करवाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा परिजनों का यह भी कहना है कि सलमान को पहले से धमकियां मिलती आ रही थी। रविवार को कई छात्र संगठनों ने सलमान पर हुए हमले के विरोध में प्रदर्शन किया हैं और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है।
क्या है मामला
सलमान हावड़ा के आमता इलाक़े में रहते हैं। 10 सितंबर शनिवार रात करीब 12 बजें सलमान घर के बाहर थे तभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने पीछे से उनपर हमला कर दिया। हमलावरों ने सलमान के सिर पर धारदार हथियारों से वार किया जिसके बाद वो खून से लथपथ जमीन पर गिर पड़े। सलमान को गंभीर अवस्था में परिजन पहले बगनान ग्रामीण अस्पताल ले गए लेकिन गंभीर हालत के चलते उन्हें उलुबेरिया उप-मंडल अस्पताल रिफर कर दिया गया। सलमान के परिजनों के अनुसार हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले।
सलमान के परिवार का पुलिस पर आरोप
पीड़ित सलमान की पत्नी हुसनारा खातून ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सलमान को काफ़ी समय से लगातार धमकियां मिल रही थी और पहले भी दो बार हमला हुआ था जिसकी शिकायत कई बार आमता थाने में की गई और पुलिस से सुरक्षा की गुहार भी लगाई गई लेकिन पुलिस ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
सलमान के परिजनों के अनुसार यह हमला अनीस की मौत के संबंध में चल रहे मामले को बंद करने के लिए किया गया है। सलमान के पिता ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके परिवार ने परिवार की सुरक्षा को लेकर कई बार पुलिस से संपर्क किया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि सलमान अनीस की हत्या का चश्मदीद गवाह है इसलिए पहले भी धमकियों का सामने करना पड़ा था, जान के ख़तरे को लेकर पुलिस में कई बार शिकायत की गई लेकिन पुलिस की तरफ़ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
परिजनों का टीएमसी के स्थानीय नेताओं पर आरोप
सलमान के परिजनों ने टीएमसी के स्थानीय नेताओं पर हमला करवाने का आरोप लगाया है। परिजनों के मुताबिक अनीस की मौत के मामले में सलमान पुलिस पर दबाव बना रहे था जिसके बाद सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े कुछ स्थानीय नेताओं के गुंडों ने उसे जान से मारने की धमकी दी थी।
तृणमूल कांग्रेस का आरोपों से इंकार
सलमान के परिजनों द्वारा लगाएं गए आरोपों को तृणमूल कांग्रेस ने सिरे से खारिज़ किया है। तृणमूल कांग्रेस के हावड़ा ग्रामीण विधायक अरुणाभ सेन ने कहा है कि इस हमले से तृणमूल कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा हैं कि यह हमला पारिवारिक विवाद का नतीजा है।
क्या कहते हैं विपक्षी दल
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नेता एडवोकेट अशफ़ाक अहमद कहते हैं कि अनीस ख़ान के मामले में सलमान मुख्य गवाह था, पुलिस और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की मिलीभगत से उसपर हमला करवाया गया हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है जब बंगाल की पुलिस पर सवाल उठे हों। प्रदेश में कोई कानून व्यवस्था नहीं है पुलिस स्टेट बनाकर रख दिया है। पश्चिम बंगाल में पुलिस अपराधियों की तरह और टीएमसी के नेता गुंडों की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
माकपा की मिनाक्षी मुखर्जी कहती हैं कि बंगाल में कानून-व्यवस्था को बाधित करने के लिए ‘गुंडों’ का इस्तेमाल किया जा रहा है। हर कोई जानता है कि अनीस खान के साथ क्या हुआ है। पुलिस राज्य सरकार के हाथ की कठपुतली है।
सलमान ने सीबीआई जांच के लिए चलाया था आंदोलन
सलमान खान हावड़ा के चर्चित दिवंगत छात्र नेता अनीस ख़ान के चचेरे भाई हैं। अनीस की हत्या मामले में सलमान मुख्य गवाह भी है। अनीस की हत्या मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सलमान काफी सक्रिय रहे हैं। सलमान ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर अनीस ख़ान की मौत की सीबीआई जांच की मांग को लेकर कई अभियान भी चलाएं थे इसके अलावा अनीस की मौत की सीबीआई मांग को लेकर आंदोलन की अगुवाई भी की थी।
कौन थे छात्र नेता अनीस ख़ान
27 वर्षीय अनीस खान अलिया विश्वविद्यालय के छात्र थे। वो इंडियन सेक्यूलर फ्रंट के स्टूडेंट विंग से जुड़े हुए थे। उन्होंने एंटी-सीएए प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया था। इसी साल 22 फरवरी को अनीस खान की हत्या उनके घर पर कर दी गई थी। परिजनों का आरोप था कि पश्चिम बंगाल पुलिस वर्दी में आए हमलावरों ने अनीस को बुरी तरह पीटा और फिर उठाकर छत से फेंक दिया ताकि आत्महत्या का रूप दिया जा सकें।
हत्या से पहले छात्र नेता अनीस ख़ान ने आलिया विश्वविद्यालय में छात्रों की मांगों के लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ 137 दिन तक धरना दिया था। असल में यूनिवर्सिटी के छात्रों ने यूनिवर्सिटी को मिलने वाले ग्रांट को लेकर मुहिम छेड़ रखी थी। आरोप था कि यूनिवर्सिटी की लगभग 130 करोड़ की ग्रांट अब भी लंबित है और राज्य सरकार की ओर से यूनिवर्सिटी को अब तक सिर्फ़ 13 करोड़ रुपये मिले थे। अनीस के नेतृत्व में छात्रों के प्रदर्शन से राज्य की ममता सरकार असहज हो गई थी और अनीश खान पर तरह-तरह से दबाव बनाया जा रहा था।
अनीस की हत्या के बाद राज्य भर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे। ममता बनर्जी की सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन भी किया था। सरकार ने इस घटना में पुलिस की लापरवाही भी मानी थी।एसआईटी ने इस मामले में एक होमगार्ड और नागरिक स्वयंसेवक को भी गिरफ्तार किया है। मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। लेकिन इसी वर्ष जून में अदालत ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया था। हालांकि अनीस के परिजन लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। अनीस के परिजनों ने अनीस की हत्या के लिए राज्य पुलिस और टीएमसी के एक नेता हंसू खान और उनके सहयोगी को जिम्मेदार ठहराया था। ममता बनर्जी ने दिवंगत अनीस के पिता को नौकरी की पेशकश भी की थी लेकिन अनीस के पिता ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि उन्हें नौकरी नहीं बल्कि अपने लड़के के लिए न्याय चाहिए।