हाथरस कांड में अदालत का फैसला, संदीप दोषी, तीन बरी

स्टाफ रिपोर्टर। Two circles.net

उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल मचा देने वाले बहुचर्चित बुलगढी गांव वाले हाथरस कांड में आज फैसला आ गया है। फैसले के अनुसार अदालत ने मामले में गांव के ही युवक संदीप को दोषी सिद्ध कर दिया है जबकि आरोपी बनाए गए तीन अन्य युवक बरी कर दिए गए हैं। यह फैसला हाथरस की एससीएसटी कोर्ट ने सुनाया हैं। इसमे भी खास बात यह है कि संदीप को गैर इरादतन हत्या और एससीएसटी एक्ट में दोषी माना गया है। चारों आरोपियों में से किसी पर भी गैंगरेप का आरोप सिद्ध नही हुआ है। अदालत के फैसले पर पीड़िता दलित युवती के वकील ने कहा है कि वो हाईकोर्ट में जाकर इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करेंगे।


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14 सितंबर 2020 को हाथरस के चंदपा इलाके में सामने आए इस मामले में दलित युवती का रातोंरात अंतिम संस्कार कर दिए जाने पर तमाम तरह के सवाल उठने लगे थे। युवती के परिजनों का कहना था कि उनकी बेटी घास लेने के लिए खेत पर गई थी। जहां उसके साथ गैंगरेप कर हत्या कर दी गई थी। हत्या के साथ पीड़िता की बेरहमी से जीभ भी काट ली गई थी। बाद में युवती के बयानों के आधार पर ही गांव के तीन अन्य युवक लव कुश सिंह,राम सिंह और रवि सिंह के विरुद्ध धाराएं बधाई गई थी।

यह वही मामला है जिसमे रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत सिंह पर लाठीचार्ज हुआ था और केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को प्रदेश सरकार ने जेल भेज दिया था। भीम आर्मी के चन्द्रशेखर आज़ाद ने भी इस मामले में दलितों के उत्पीड़न का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। 14 सितंबर को हुई घटना के 15 दिन बाद उक्त युवती ने 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इसके बाद रात में ढाई बजे गांव में युवती का अन्तिम संस्कार कर दिया गया था। युवती के परिजनों ने इस पर आरोप लगाया था कि उनकी बिना अनुमति के उन्हें घर के अंदर बंद करके पुलिस यह क्रिया की थी। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए मामले की जांच सीबीआई कर रही थी। घटना के ठीक 900 दिन बाद आज हाथरस कांड में फैसला आया है।

इसमे भी खास बात यह है कि सीबीआई ने 35 लोगो की गवाही के बाद 18 दिसंबर को चारों आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की, जिनमे से 3 को अदालत ने बरी कर दिया है। बताया जाता है कि पीड़ित परिवार ने अपनी बेटी की अस्थियां अभी तक संभाल कर रखी हुई है। उनका कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नही मिलेगा वो अस्थि विसर्जन नही करेंगे। यहां यह भी महत्वपूर्ण बात है कि घटना के बाद परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा , हाथरस शहर में घर और सरकारी नौकरी का आश्वासन दिया गया था। परिवार का कहना है कि ये वादे पूरे नही हुए हैं।

पीड़िता के वकील महिपाल सिंह निमहोत्रा का कहना है कि वो लव कुश ,रामु और रवि सिंह को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ उच्च अदालत जाएंगे। पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा है कि सीबीआई ने धारा 302, 376 ए और 376 डी व एससीएसटी एक्ट के तहत दाखिल किया था। अब यह फैसला आया है जिस पर अगले कदम के लिए निर्णय ले रहे हैं। हम उच्च न्यायालय में अपील दायर करने पर विचार कर रहे हैं बता दें कि इसके अलावा युवती ने अपने अंतिम बयान में भी आरोपियों का नाम लिया था।

घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर आज़ाद का कहना है कि यह घटना उत्तर प्रदेश की सबसे शर्मनाक घटनाओं में से एक है । इस घटना ने समाज के एक महिला और दलित विरोधी विकृत मानसिकता वाले वर्ग से दुनिया का परिचय करवाया था। अदालत के फैसले के बाद अगले कदम के बारे में सोचने का निर्णय परिवार का है। व्यक्तिगत तौर पर इस घटना ने मुझे बहुत अधिक व्यथित किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने पीड़िता के परिवार से किए गए वादों को पूरा नही किया है।

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