अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
दिल्ली: उत्तर प्रदेश का दादरी फिर से साम्प्रदायिक राजनीति के सौदागरों की नज़र में है. फॉरेंसिक की नयी रिपोर्ट में बकरे के मांस की जगह गोमांस होने की बात सामने आने के बाद साज़िशें और भी तेज़ हो गई हैं. अगर बात तथ्यों की करें तो कहानी एकदम साफ़ है. जिस मांस के सैंपल का टेस्ट किया गया, वो अख़लाक़ के घर से काफी दूर मिला, यह बात उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अधिकारी भी कह चुके हैं.
मीडिया से बातचीत में दादरी के डीएसपी अनुराग सिंह खुद बता चुके कि अख़लाक़ के घर या फ़्रिज से गोश्त का कोई सैंपल कभी भी लिया ही नहीं गया था. डीएसपी अनुराग सिंह साफ़ तौर पर बता चुके हैं, ‘हमने अख़लाक़ के घर से 100 मीटर की दूरी पर, जहां अख़लाक़ को पीटा गया था, वहीं से गोश्त के सैंपल लिए थे.’
अख़लाक़ की हत्या एक संगीन अपराध है. इसका मांस के प्रकार से कोई ताल्लुक नहीं है. यह बात खुद अदालत भी कह चुकी है कि रिपोर्ट का अख़लाक़ के हत्या के केस से कोई ताल्लुक़ नहीं है. यहां ये बात भी साफ़ है कि उत्तर प्रदेश में गोहत्या ज़रूर अपराध है, लेकिन भैंस को मारा जा सकता है और उसका गोश्त खाने पर भी कोई पाबंदी नहीं है. भैंसों के कई बूचड़खाने लाइसेंस के साथ उत्तर प्रदेश में काम कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में गोमांस खाना या रखना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.
सबसे अधिक हैरानी की बात यह है कि दादरी के पशु चिकित्सालय की 29 सितंबर की रिपोर्ट के मुताबिक़ ‘फ़िज़िकल एग्ज़ामिनेशन’ के बाद ये पाया गया कि बरामद किया गया गोश्त ‘बकरी या उसके वंश’ का है. लेकिन 3 अक्टूबर को मथुरा की फ़ोरेंसिक लैब में तकनीकी जांच के बाद इससे एकदम अलग नतीजा सामने आया और रिपोर्ट ने कहा कि गोश्त ‘गाय या उसके वंश’ का है.
सूत्रों की मानें तो भाजपा, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों की ओर से अपने कार्यकर्ताओं को इस मुद्दे को लगातार हवा देने की बात कही गई है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दादरी में महापंचायत की शुरुआत हो चुकी है. यह महापंचायत किसी के समर्थन में कम और मगर ख़िलाफ़ अधिक है.
उधर दूसरी तरफ़ ग्रेटर नोएडा अदालत में एक याचिका भी दायर की गयी है जिसमें कहा गया है कि बिसाहड़ा गांव के तीन प्रत्यक्षदर्शियों ने मोहम्मद अखलाक़ को कथित तौर पर गाय के बछड़े को पीटते, मारते और बाद में काटते हुए देखा था. इस याचिका में अदालत से मांग की गई है कि वो पुलिस को आदेश दे कि अख़लाक़ के परिवार के खिलाफ़ गोहत्या का मामला दर्ज किया जाए. ये मांगें तभी से उठने लगी थीं, जब से मथुरा फ़ोरेंसिक लैब रिपोर्ट में अख़लाक़ के शव के पास से बरामद मीट को गोमांस बताया गया था.
इस याचिका में अख़लाक़ के अलावा उनकी पत्नी, मां अकसरी बेग़म, बेटा दानिश और बेटी शाईस्ता का भी नाम है. इस मामले पर कोर्ट में अगली सुनवाई 13 जून को है.
इस याचिका के ज़रिए अख़लाक़ के परिवार को डराने-धमकाने की कोशिशें की जा रही है. कोशिश इस बात की है कि या तो अख़लाक़ के परिजन खुद झुकने को मजबूर हो जाएं और समझौता कर लें या फिर पुलिस को दबाव में लाकर सरकारी कार्रवाई को प्रभावित किया जाए.
इस मामले में न गोहत्या का प्रमाण है न ही गोमांस रखने का सबूत. फिर भी शायद 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों की नीयत से गोमांस एक बड़ा मुद्दा हो सकता है. दादरी में चल रही ये साज़िश हर बीतते दिन के साथ परवान चढ़ रही है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में चल रहे ध्रुवीकरण के इस खेल में अख़लाक़ के परिवार को मिल सकने वाले इंसाफ़ से जुड़ी उम्मीदों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है.
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