अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
दिल्ली: यासिर की ख़्वाहिश प्रधानमंत्री कार्यालय(पीएमओ) की वेबसाइट को उर्दू में पढ़ने को थी. इसके लिए उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय का दरवाज़ा खटखटा दिया. उन्होंने बाक़ायदा प्रधानमंत्री कार्यालय के पब्लिक विंग में अपनी बातों को रखा और इस बात की गुज़ारिश की कि पीएमओ की वेबसाईट उर्दू भाषा में भी शुरू की जाए.
यासिर को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री कार्यालय उनकी इस फ़रियाद पर ग़ौर करेगा और उनकी तरह लाखों उर्दू के चाहने वालों को भी कोई अच्छी ख़बर सुनने को मिलेगी. मगर प्रधानमंत्री कार्यालय से मिले जवाब ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. 48 घंटे के भीतर उनकी शिकायत को क्लोज कर दिया गया और यह भी बताया गया कि इस मामले में आगे किसी भी कार्रवाई की कोई ज़रूरत नहीं है.
मो. यासिर अंसारी के मुताबिक़, ‘उर्दू भाषा भारत में बोली जाने वाली मुख्य भारतीय भाषाओं में से एक है. यह भाषा हमेशा भारत में एकता, अखण्डता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक रही है. भारत के कई राज्यों में उर्दू को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है. विश्व के कई देशों में भी उर्दू एक महत्त्वपूर्ण भाषा के रूप में बोली व समझी जाती है. इसलिए ज़रुरत इस बात की है कि पीएमओ की वेबसाईट का एक संस्करण उर्दू भाषा में भी किया जाए. ताकि वर्तमान सरकार द्वारा किए जा रहे जनहित कार्यों और विभिन्न योजनाओं को उर्दूभाषी जनता तक आसानी से पहुंचाया जा सके.’
असल में यह मसला एक व्यक्ति की इच्छा या आकांक्षा से नहीं, बल्कि उर्दू भाषा से जुड़ा हुआ है. हमने उन अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया जिन्होंने यासिर की दरखास्त पर कार्रवाई की थी. लेकिन नाम न प्रकाशित करने के शर्त पर उन्होंने बताया, ‘यासिर ने कोई शिकायत नहीं की थी, बल्कि एक सुझाव दिया था. इसलिए आगे किसी कार्रवाई की ज़रूरत फिलहाल पब्लिक विंग को महसूस नहीं हुई. लेकिन हमने इस सुझाव पर अमल के लिए पीएमओ के पर्सनल सेक्शन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पर्सनल एडवाईजर को भेज दिया है.’
स्पष्ट रहे कि बीते 29 मई, 2016 को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पीएमओ की वेबसाइट को छह भाषाओं में लांच किया. इन छह भाषाओं में बंगाली, मराठी, गुजराती, मलयालम, तमिल और तेलगु शामिल हैं.