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वाराणसी: विजिल इंडिया मूवमेंट इंस्टिट्यूट के तहत हर साल दिया जाने वाला एमए थॉमस नेशनल ह्यूमन राइट्स अवार्ड इस साल मानवाधिकार कार्यकर्ता और मानवाधिकार जननिगरानी समिति के प्रमुख लेनिन रघुवंशी को दिए जाने की घोषणा हुई है.
इस पुरस्कार को इंस्टिट्यूट द्वारा साल 1994 में शुरू किया गया था. इस अवार्ड को पाने वालों की सूची में जस्टिस वी.आर. कृष्णा अय्यर, स्वामी अग्निवेश, पीयूसीएल, मेधा पाटकर, जस्टिस वी.एम. तारकुंडे और हर्ष मंदर शामिल रह चुके हैं.
इस पुरस्कार की घोषणा के बाद डॉ. लेनिन रघुवंशी ने TCN से बातचीत में बताया, ‘काशी की जो एकतारूपी संस्कृति और परम्परा है, उसी को लेकर हमारा यह संघर्ष रहा है कि सामंती राजनीति, जातीय व्यवस्था और साम्प्रदायिक व्यवस्था के खिलाफ एक जनप्रिय माहौल बनाया जाए. इन सभी चीज़ों को लेकर हमने जो मानवाधिकार के कार्य किए, यह उसका सम्मान है.’
लेनिन ने आगे बताया, ‘यह मूलरूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ खड़ी भारतीय संस्कृति की मूल विचारधारा का सम्मान है.’
इस उपलब्धि से आगे की संभावनाओं के बारे में लेनिन ने कहा, ‘जब हमलोग मानवाधिकार के बारे में कुछ नहीं जानते थे, उस समय हम लोगों ने विजिल इंडिया की वर्कशॉप में प्रतिभाग किया था. हमने वहां से बहुत कुछ सीखा है. जहां तक हमारे लक्ष्यों की बात है, हमारा मुख्य ध्येय होगा कि हम मानवाधिकार की जागरूकता को देश के उन हिस्सों में भी लेकर जाएं, जहां इसका अभाव है. लेकिन इसी के साथ हमारा प्रमुख लक्ष्य यह है कि भारत के संविधान की जो मूल प्रस्तावना है, उसे ज़मीन पर मजबूती के साथ कैसे लागू किया जा सके.’
इस वर्ष इस पुरस्कार के निर्णायक मंडल में जस्टिस संतोष हेगड़े, पूर्व राजदूत अकबर मिर्ज़ा खलिली और इकुमेनिकल क्रिश्चियन सेंटर के निदेशक चेरियन थॉमस शामिल थे.