TCN News
लखनऊ : गाय के नाम पर गुजरात में दलितों की पिटाई के बाद अब दूसरा मामला उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सामने आया है. यह मामला लखनऊ के तकरोही के चंदन गांव की है, जहां मरी हुई गाय को लेकर जा रहे दो दलित कर्मचारियों को कुछ युवकों ने खूब पीटा है.
दरअसल, यहां नगर निगम ने मरने वाले पशुओं को शहर से बाहर ले जाने के लिए एक एजेंसी को ठेका दिया है. ठेकेदार के मुताबिक़ मायावती कॉलोनी और सूर्यनगर कॉलोनी में एक-एक गायें मरी थीं, जिन्हें शहर से बाहर ले जाने का आदेश दिया गया था. उसी आदेश के मुताबिक़ दोनों कर्मचारी गाय के शव को लेकर जा ही रहे थे कि रास्ते में कुछ युवकों ने उन पर हमला बोलकर बुरी तरह से पीटा. यहां तक कर्मचारी बताने पर युवक नहीं माने और लगातार पीटते रहें.
लखनऊ की सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने मरी गाय को ले जा रहे दो दलित कर्मचारियों को अराजक तत्वों द्वारा मारने-पीटने की इस घटना को देश में हो रही दलित हिंसा का एक और ताज़ा उदाहरण बताया है.
मंच ने कहा कि जिस तरीक़े से पिछले दिनों मैनपुरी में 15 रुपए के लिए दलित दंपत्ति भारत व ममता को अशोक मिश्रा द्वारा कुल्हाड़ी से मार डाला गया और अब राजधानी में दलितों पर हमला साफ़ करता है कि अखिलेश सरकार हत्यारे सामंती तत्वों का खुला संरक्षण कर रही है.
रिहाई मंच नेता अमित मिश्रा व रिहाई मंच लखनऊ महासचिव शकील कुरैशी ने जारी बयान में कहा कि ऊना से लेकर लखनऊ तक में गाय के नाम पर दलितों के साथ जो हिंसा हो रही है, वह स्पष्ट करता हैं कि पूरे देश में संघ परिवार सुनियोजित तरीक़े से दलितों पर हमले करवा रहा हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरीक़े से राजधानी में दलित कर्मचारियों के साथ गाय के नाम पर मारपीट की गई, उससे यह समझा जा सकता है कि जिस प्रदेश में दादरी में गाय के नाम पर अख़लाक़ की हत्या संघी गुण्डों द्वारा हत्या कर दी गई हो, वहां के दलित और मुस्लिम समुदाय के अंदर कितना खौफ़ होगा. यूपी में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा के साथ यूपी का देश में दलित व महिला हिंसा में सबसे आगे होना, यह साबित करता है कि यहां सांप्रदायिक-सामंती तत्वों को सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है.