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लखनऊ : मुज़फ़्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा की चौथी बरसी पर रिहाई मंच ‘सरकारें दोषियों के साथ क्यों खड़ी है’ विषय पर एक सम्मेलन 7 सितम्बर को लखनऊ में आयोजित कर रहा है.
यूपी प्रेस क्लब में बुधवार को दोपहर ढ़ाई बजे से होने वाले इस सम्मेलन के ज़रिए मुज़फ्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा में सपा और भाजपा गठजोड़ को उजागर करने वाले तथ्य जनता के सामने रखे जाएंगे. इस दौरान वहां चल रहे रिहाइशी कैम्पों की स्थितियों पर हर्ष मंदर, जफ़र इक़बाल, अकरम त्यागी और राजन्या बोस लिखित रिपोर्ट ‘सिमटती जिंदगी’ और उस हिंसा में सपा और भाजपा के गठजोड़ और न्याय मिलने में सपा सरकार द्वारा उतपन्न की जा रही बाधाओं, दोषियों को बचाने की कोशिशों और न्यायपालिका की इंसाफ़ विरोधी भूमिका पर रिहाई मंच द्वारा रिपोर्ट भी जारी की जाएगी.
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने आज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि अखिलेश सरकार ने भाजपा से मिली भगत करके मुज़फ्फ़रनगर के मुसलमानों को हिंसा की भट्टी में झोंक दिया ताकि मुसलमानों में भाजपा का भय कायम रहे और वे सपा को वोट देने को मजबूर बने रहें. इसीलिए रणनीति के तहत सपा सरकार ने मुज़फ्फ़रनगर के एक भी दोषी को जेल तक नहीं जाने दिया और मनोज कुमार झा जैसे साम्प्रदायिक क्षवि वाले पुलिस अधिकारी जिनके खिलाफ़ खालिद मुजाहिद की हिरासती हत्या का मुक़दमा तक दर्ज है और जिनके खिलाफ़ आर.डी. निमेष आयोग की रिपोर्ट में बेगुनाह मुस्लिमों को फंसाने के लिए सख्त कर्रवाई की सिफारिश की गई है, को एसआईटी का इंचार्ज बना दिया गया ताकि विवेचना के स्तर पर ही केसों को कमज़ोर कर दोषियों को बचाया जा सके.
शाहनवाज आलम ने कहा कि सम्मेलन में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, मोहम्मद शुऐब, असद हयात, संदीप पांडे, सलीम बेग, अकरम चौधरी, फ़ारूख खान मुख्य वक्ता होंगे.