आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मोरना : सोमवार को मुज़फ़्फ़रनगर में हुए उपद्रव के दौरान मारे गए दलित युवक का अन्तिम संस्कार आज भारी हंगामे के बीच कर दिया गया.
थाना भोपा क्षेत्र के ग्राम गादला निवासी 38 वर्षीय दलित युवक अमरीश पुत्र सुरेश के परिजनों ने बताया कि सोमवार सवेरे अमरीश मुज़फ़्फ़रनगर मज़दूरी करने गया था, जहां प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा की गई फायरिंग के दौरान अमरीश को गोली लग गई, जिससे उसकी मौत हो गई.
परिजनों ने पुलिस पर युवक की हत्या का आरोप लगाते हुए दोषी पुलिस वाले पर कार्यवाही करने व 20 लाख के मुआवजे सहित मृतक के भाई को सरकारी नौकरी दिलवाने की मांग की.
परिजनों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा गादला गांव के रास्तों की बैरीकेटिंग कर देने से मृतक के रिश्तेदार व दलित नेता सहित दलित समाज के लोगों को अंतिम संस्कार में भाग नहीं ले सकें. हालांकि जंगल के रास्तों से गादला पहुंचे भीम आर्मी सदस्यों सहित दलितों ने भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराते हुए मृतक के अन्तिम यात्रा में भाग लिया.
अन्तिम संस्कार के उपरान्त गांव स्थित पंचायत घर में आयोजित सभा में दलित नेताओं ने शासन-प्रशासन पर दलितों के साथ अन्याय करने व आरएसएस कार्यकर्ताओं पर दंगा भड़काने के आरोप लगाएं.
पंचायत घर में आयोजित सभा में पहुंचे पूर्व विधायक अनिल कुमार, पूर्व मंत्री राजपाल सैनी व बसपा ज़िला प्रभारी संजय रवि ने घटना पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के साथ मिलकर दंगा कराया है और निर्दोष व असहाय दलितों के ख़िलाफ़ मुक़दमे दर्ज कर दलित समाज का उत्पीड़न किया जा रहा है.
वहीं भीम आर्मी सदस्यों ने भी शासन-प्रशासन पर दलित उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए मृतक परिवार को मुआवजे व सरकारी नौकरी की मांग की तथा उपद्रव को लेकर गादला गांव के 15 व्यक्तियों के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे वापस लिये जाने के आश्वासन के बाद ही परिजनों ने अंतिम संस्कार किया.
गांव व उसके आस-पास के क्षेत्र में तनाव की आशंका को देखते हुए प्रशासन कड़ी नज़र बनाए हुए है. सुरक्षा की दृष्टि से पूरे तहसील क्षेत्र में धारा -144 लागू कर दी गई है.
ग़ौरतलब है कि भारत बंद के विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में अमरीश की मौत हो गई थी. अमरीश के सिर में गोली लगने के बाद उसकी तड़पती हुई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. आज प्रसाशन ने एहतियात बरतते हुए यहां देर शाम तक इंटरनेट सेवाएं बाधित रखी. इस घटना के बाद दलितों में अभी भी काफ़ी नाराज़गी देखी जा सकती है.