आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
मेरठ : पिछले दिनों मेरठ के एक मंदिर में एक नवांगतुक पुजारी ने दलितों को पूजा करने से रोक दिया उन्हें कहा गया वो अपने अलग मंदिर में पूजा करें।यह घटना भावनपुर गांव में हुई जो मेरठ शहर से 12 किमी दूर पश्चिम में है।इसके बाद गांव के दलितों में रोष फैल गया और लगभग 50 दलित यहां के एसएसपी राजेश पांडे से मिले।समाधान न निकलते देख सभी ने धर्म बदलने की चेतावनी दे दी।
इसके बाद समाधान निकालने के प्रयास हुए मगर दलित पूरी तरह संतुष्ट नही हुए उन्होंने धर्म भी नही बदला।दलितों ने इसे अपने साथ हुए छुआछूत और भेदभाव का बर्ताव बताया हालांकि पहला मामला नही था जिसमे दलितो ने अपने उत्पीड़न की घटना के बाद धर्म बदलने की धमकी दी।सूबे में योगी सरकार आने के बाद दलित उत्पीड़न की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।मगर हर घटना के बाद धर्म बदलने की दलितों की यह धमकी का सिलसिला पुराना है।
अगस्त 2016 में रामपुर में एक दलित बस्ती के जीर्णोद्धार के समय बस इसका रुख बदल गया था वहां उस समय की सरकार के मंत्री आजम खान एक मॉल बनवा रहे थे जिसकी पार्किंग के लिए एक दलित बस्ती को तुड़वाया जा रहा था जिसके बाद दर्जनों दलित परिवार प्रदर्शन करने लगें कि चूंकि वो मुसलमान नही है इसलिए उनपर ज्यादती हो रही है इसलिए वो मुसलमान बन जाते है,शायद इसके बाद उनकी बस्ती टूटने से बच जाएं।
यह अपनी तरह का अलग मामला था शेष सब मामलों में कहानी एक जैसी है।इसी साल मार्च के महीने में भोपा क्षेत्र के 25 परिवारों ने इस्लाम धर्म अपनाने की धमकी देकर हड़कंप मचा दिया तमाम हिन्दू संगठनों में खलबली मच गई।मामले की तह में जाने पर पता चला कि हरियाणा के एक भट्टे पर इन्हें 2 साल तक बंधक बनाकर रखा गया था ।इनसे काम कराया गया और पैसे नही दिए गए स्थानीय प्रशासन भी इनकी सुनवाई नही कर रहा था मगर इस धमकी के बाद कार्रवाई में तेजी आई और आरोपी गिरफ्तार हुआ,मगर उपरोक्त तीनो मामलों में से किसी में भी धर्म नही बदला गया बस रामपुर में प्रतीकत्मक रूप से टोपी पहन ली गई।
मुजफ्फरनगर के दलित चिंतक मनोज सौदाई एडवोकेट के अनुसार दलितो की यह धमकी काम करती है और इसके बाद प्रशासन अलर्ट होकर उनकी सुनवाई करता है।जब उनका काम हो जाता है तो वो धर्म परिवर्तन का अपना इरादा टाल देते है।वैसे यह भी सच है कि दलित ऐसी धमकी व्यवस्था से तंग आकर देता है उसे लगता है कि उसकी जाति के कारण उसका उत्पीड़न हो रहा है।यह सिर्फ धमकी नही है वो धर्म बदल भी सकता है।
बौद्ध धर्म के आचार्य बी ड़ी जयंत हमें बताते है कि लाखों दलित बौद्ध धर्म अपना चुके है हाल ही में ऊना में दलितों ने सामुहिक रूप से बौद्ध धर्म अपना लिया यह अलग बात है कि इस्लाम धर्म अपनाने में दलितों की रुचि नही है यह सिर्फ धमकी तक सीमित है दरअसल भारतीय परिपेक्ष्य में मुसलमानो में भी जाति व्यवस्था ने अपनी जड़ें गहरी जमा ली है दलित जिस भेदभाव और जाति व्यवस्था से तंग है वो उसे कुछ हद तक मुसलमानो में भी पाता है यह अलग बात है कि इस्लाम के मूल में यह नही है।
यह अलग बात है जब भी दलितों के विरुद्ध अत्याचार जैसी कोई बात सामने आती है तो वो तुरंत मुसलमान बनने की बात कह देते है जैसे अप्रैल में भारत बंद के बाद हुई हिंसा में मेरठ के एक गांव शोभापुर में भारी तनाव हो गया यहां के एक युवा दलित नेता की हत्या कर दी गई और दलित युवाओं ने पलायन कर दिया इसके बाद शोभापुर के दलितो ने धर्म बदलने का ऐलान कर दिया उसके बाद पुलिस की उनकी खिलाफ हो रही सख्ती में नरमी आ गई।
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी आरपी सिंह कहते है कि “धर्म बदलने की चेतावनी के बाद सामाजिक ताना बाना प्रभावित होने का खतरा पैदा हो जाता है और प्रशासन किसी भी संभावित विपदा से बचने के लिए हिकमत से काम लेता है”।
मगर सभी जगह यह फार्मूला काम नही करता जैसे सहारनपुर में भीम आर्मी सुप्रीमो चन्द्रशेखर रावण और शब्बीरपुर शिवकुमार जाटव के परिवार लोगों ने भी इसी तरह की चेतावनी दी थी मगर वहां प्रशासन पर इसका कोई असर नही पड़ा।आरपी सिंह कहते हैं कि प्रशासन समझ गया है यह दबाव बनाने की एक नीति भर है।
मौलाना अंजुम अली के मुताबिक में इस्लाम मे बिना किसी दबाव के स्वेछा से शामिल हुआ जाता है इस तरह से धमकी के बाद मुसलमान नही बना जा सकता,अगर कोई इस्लाम से मुत्तासिर है तो वो अलग बात है।