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पूर्व कर्नल बनाम एडीएम विवाद: क्या दलित होने की सज़ा भुगत रहे है एडीएम ?

एडीएम हरीशचंद्र अब इनकी गिरफ़्तारी पर अदालत ने रोक लगा दी है।

आस मोहम्मद कैफ | नॉएडा/मुज़फ्फरनगर

मुजफ्फरनगर में शनिवार को दलितों ने जिलाधिकारी आवास पर प्रदर्शन किया,दलितों के कई संगठन बेहद नाराज थे.नाराजगी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ थी.जिन्होंने मुजफ्फरनगर के एडीएम हरीश चंद्रा को निलंबित कर दिया था. हरीश चन्द्र को न केवल निलंबित किया गया बल्कि लगभग 730 किलोमीटर दूर चित्रकूट जनपद में उन्हें डी एम कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया.

दलितों में ये आक्रोश क्यूँ पनपा ? हरीश चन्द्र एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी हैं. उनका निलंबन क्यूँ हुआ ? इसके पीछे क्या कारण रहा, ये प्रदेश में चर्चा का ही विषय नहीं बल्कि अब राजनितिक रूप लेता जा रहा हैं.

घटना :

मामले की शुरुवात  नॉएडा के सेक्टर 29 में 16 अगस्त को हुई  जब मुजफ्फरनगर में तैनात एडीएम हरीशचन्द्र की पत्नी उषा चन्द्र से यहीं के निवासी रिटायर्ड कर्नल  बीएस चौहान की झड़प हो गई.  कर्नल चौहान के मुताबिक एडीएम हरीश चन्द्र ने अपने घर  के बाहर अवैध निर्माण किया हुआ था जिसका वो विरोध कर रहे थे.इसके बाद उषा चंद्रा की और से पूर्व कर्नल वी एस र्चौहान के विरुद्ध अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत गंभीर धाराओ में मुकदमा में किया गया.उषा चंद्रा के मुताबिक रिटायर्ड कर्नल जातिवादी मानसिकता के थे और उनपर बुरी नियत रखते थे चूँकि वो अपने मकसद में कामयाब नही हुए इसलिए उन्होंने मारपीट की. इससे इतर पुलिस ने पूर्व सेना के अफसर को गिरफ्तार कर लिया और जेल भेज दिया. कर्नल पक्ष के लोगो का आरोप है की एडीएम हरीश चन्द्र ने कर्नल को जेल भेजे जाने के लिए पुलिस पर दबाव बनाया हालाँकि नए एससी/एसटी कानून के तहत यह अवश्यंभावी था.सदन में पारित होने के बाद यह कानून के दुरुपयोग के तौर अत्यधिक चर्चित हुआ पहला मामला बन गया.पूर्व कर्नल के जेल भेजे जाने के बाद अदालत ने उन्हें जमानत दे दी. उधर पूर्व सैन्यकर्मियों के साथ कर्नल चौहान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में यह मामला लेकर आए.

घटना के आगे :

कर्नल चौहान का जेल जाना और फिर रिहा होना सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. एक प्रेस वार्ता में पूर्व कर्नल वीएस चौहान के पक्ष में एक पत्रकार वार्ता में उनके मित्र पूर्व कर्नल वोहरा ने बताया की वीएस चौहान पर लगाये जा रहे सभी आरोप निराधार है.उन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी है उन्हें १६ मैडल मिले है. नॉएडा प्रशासन ने एड़ीएम हरीश चंद्रा के सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे उनके बेटे और उसके दूसरे नाबालिग भाई के विरुद्ध,  एडीएम हरीश चन्द्र की पत्नी के साथ नामजद करते हुए बेहद गंभीर धाराओ में मुकदमा भी दर्ज कर दिया.

नॉएडा के इस बहुचर्चित मामले को लेकर यहाँ जातीय बंटवारा के असर दिखने लगा और अलग अलग जाति के लोग अपने अपने पक्ष के साथ खड़े हो गये.एडीएम हरीशचन्द्र के समर्थन में दलित और कर्नल वीएस चौहान के समर्थन में ठाकुर जुट गये.दोनों ही पक्षों ने अपने समर्थन में एक वीडियो जारी की.पहली वीडियो में एडीएम के पुत्र पूर्व कर्नल के घर के बाहर किसी को पीट रहे थे तो दूसरी वीडियो में कर्नल वीएस चौहान एडीएम की पत्नी उषा चंद्रा से झगड़ते हुए दिखाई दे रहे थे. एडीएम हरीशचन्द्र के नॉएडा आवास पर तड़ातड़ पुलिस ने दबिश दी और उनका परिवार छिप गया.किसी अज्ञात  स्थान से एडीएम हरीशचन्द्र की पत्नी उषा चंद्रा फेसबुक पर आई और उन्होंने कहा की उनके साथ मारपीट की गई.उन्हें जाति सूचक गालिया दी गई उनपर बुरी नियत रखी गई,अपनी पीड़ा रखते हुए वो बुरी तरह रोने लगी.इसके बाद पीसीएस संघ हरक़त में आया और उसने एडीएम हरीशचन्द्र के पक्ष में बोलने की हिम्मत की.

 

अपनी पत्नी उषा चंद्रा के साथ अच्छे दिनों में

घटना का राजनीतिकरण :

जब देश में दलित उत्पीडन पर बहस और आक्रोश दोनों दिख रहा हैं और एक वर्ग केंद्र सरकार द्वारा संशोधित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम पर नाराज़ हैं वहां हरिश्चंद्र के प्रकरण ने इस पर और आग लगा दी.

बसपा विधानमंडल दल के नेता लाल जी वर्मा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी लिखी. लाल जी वर्मा बताते है”उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार सामंतवादी सोच की है इस पूरी घटना में रिटायर्ड कर्नल उसका ही प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके साथ उसी विचारधारा के लोग खड़े है.”

शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में अखिल भारतीय वाल्मीकि महासभा ने एडीएम के खिलाफ लगातार हो रही एकतरफा कारवाई का आरोप लगाकर डीएम को ज्ञापन दिया.इसके अलावा सफाई मजदुर संघ और भीम आर्मी एकता संघ उनके पक्ष में खड़ा हो गया. स्थानीय दलित नेता कुल्लन देवी ने कहा की”एडीएम हरीशचंद्रा के परिवार का उत्पीडन दलित विरोधी मानसिकता के आधार पर हो रहा है अहंकार में चूर पूर्व कर्नल वी एस चौहान जैसे लोग दलितों को अपनी पैर की जुटी समझते है यह मामला विचारधारा का है,मानसिकता की सफाई का का है उन्होंने एडीएम की पत्नी को जाति सूचक शब्द कहे और मारपीट की.”

मुज़फ्फरनगर में पुरकाजी के चेयरमैन जहीर फारुकी के अनुसार हरीशचन्द्र एक बेहद अच्छे अफसर है उनमे निष्पक्षता का भाव है उनका कामकाज बेहद अच्छा रहा है.उनपर लगाये जा रहे आरोप झूठे है.

उत्तर प्रदेश सरकार में  मंत्री रहे दीपक कुमार कहते है “योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से दलितों पर लगातार अत्याचार हो रहे है उनके समाज के लोग दलितों पर आक्रामक है उनको कुचला जा रहा है,लगातार हो रही घटनाएं यह साबित करती है,इस कानून का डर ही उनकी कुछ हद तक जान बचा पाता है,दलितों के उत्पीड़न के दो-तिहाई से अधिक मामले थाने तक नही पहुंचते कुछ में पुलिस मुक़दमा दर्ज नही करती और ज्यादातर मामलों में दबाव बनाकर समझौता करा देती है.कुछ अफसर भी दलितों से पूर्वाग्रह रखते हैं. नॉएडा के इस मामले में भी यही हुआ जैसे सेक्टर 29 में लगभग हर घर के आगे छज्जा निकला हुआ है मगर तोडा सिर्फ दलित का गया है”.

स्थानीय दलित नेता चन्द्रपाल जाटव कहते है, “एक डिप्टी कलक्टर का यह हाल है तो जो दलित मजदूर है उनका कितना अधिक शोषण हो रहा होगा.”

दूसरी ओर हरीश चन्द्र के विरोध में भी स्वर उभर रहे हैं.  कर्नल के पडोसी प्रशांत सिंह के मुताबिक “यह अनुसूचित जाति के उत्पीडन के आधार पर बने नये कानून के दुरूपयोग का मामला है.पूर्व कर्नल वीएस चोहान को हथकड़ी लगाकर जेल ले जाया गया उनकी उम्र 77 साल है अक्सर आप दलितों द्वारा इस कानून के गलत इस्तेमाल के मामले सुनते रहते है.केंद्र सरकार ने इसे और भी सख्त बना दिया है जाहिर है अब फर्जी मुकदमो की बाढ़ आ जाएगी”.