Home Indian Muslim गांव की प्रधानी की तर्ज़ पर लड़ा जा रहा है इस्लामिक कल्चर...

गांव की प्रधानी की तर्ज़ पर लड़ा जा रहा है इस्लामिक कल्चर सेंटर का चुनाव

आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
दिल्ली-

राजधानी के लुटियन जोन इलाके में आजकल माहौल गर्म है,पंचायतों का दौर जारी है,हलचल की वजह यह है कि यहां 6 जनवरी को यहां देशभर का प्रतिष्ठित और मुसलमानों का ‘बुद्धिकेन्द्र’ कहलाए जाने वाले इस्लामिक कलचर सेंटर के नया मुखिया का चुनाव है.

यह सब कवायद इसलिए चल रही है.
यह चुनाव पूरी तरह अंदरुनी है जाहिर है सिर्फ संस्था के सदस्य ही इसमें वोट करेंगे,यह संख्या लगभग 3200 है,चुनाव उपाध्यक्ष,सचिव  और ट्रस्टी सदस्यों के लिए भी हो रहा है मगर खींचातानी  सिर्फ अध्यक्ष पद को लेकर है.
इसमें 2004 से यहां लगातार जीत रहे सिराजुद्दीन कुरैशी और शाहबानों प्रकरण में चर्चित रहे पूर्व मंत्री आरिफ मोहम्मद खान के बीच सीधा मुकाबला है.सिराजुद्दीन कुरैशी की यहां एकछत्र बादशाहत है इससे पहले वो कांग्रेस के नेता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद को हरा चुके है.

सिराजुद्दीन कुरैशी के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते है उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी भी कहा जाता है इस चुनाव में भी उन्हें बीजीपी का समर्थन है.इस चुनाव में उनके मुख्य प्रतिद्वंदी माने जा रहे आरिफ मोहम्मद खान भी पूर्व में बीजीपी में रह चुके है हालांकि वो कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे है.

सिराजुद्दीन क़ुरैशी ( Photo: Social Media)

इंडियन इस्लामिक सेंटर राजधानी के सबसे पॉश इलाके में बनी हुई एक शानदार इमारत है इसमें दो ऑडिटोरियम है.खूबसूरत तरीके से बनाई गई है,आजकल यहां शादी ब्याह और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं.मुस्लिमो में यह अत्यंत लोकप्रिय है और सेंटर की काफी प्रतिष्ठा है,आम मुसलमान मानता है कि इस सेंटर के लोग क़ौम के ‘थिंक टैंक’है.

1980 में इस्लाम की स्थापना के 1400 साल पूरे होने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने यहां 8000 गज जमीन आवंटित की थी.सेंटर के विदेश में भी सदस्य है वो भी नया अध्यक्ष चुनने के लिए वोट करेंगे उन्हें पोस्टल बैलेट भेजे जा रहे हैं हालांकि यह भी सवालों के घेरे में है.

6 जनवरी को चुनाव के बाद ही देर रात इसका नतीजा आ जाएगा.इसमें तमाम बड़े मुस्लिमों को राय की महत्ता है इन तमाम सदस्यों में ब्यूरोक्रेट,इंजीनियर डॉक्टर और बिजनेसमैन शामिल है इन्हें आप मुसलमानों की क्रीमीलेयर कह सकते हैं.

चुनाव में मुद्दे इस्लामिक कल्चर सेंटर के बेहतर इस्तेमाल को लेकर होते हैं मगर फिलहाल सियासी आदमी और गैर सियासी आदमी ही मुख्य मुद्दा है.

वैसे इस बार का चुनाव सबसे रोचक इसलिए भी हो गया है क्योंकि इसकी कैम्पेनिंग बिल्कुल ग्राम प्रधान के चुनाव जैसी की जा रही है.चुनाव जीतने के लिए हथकंडे अपनाये जा रहे है और धनबल और बाहुबल और छलबल का प्रयोग कर मतदाताओ को प्रभावित किया जा रहा है.इस बार इस्लामिक कल्चर सेंटर में लगभग रोज़ एक कोरमे और बिरयानी की दावत चल रही है,एक-एक वोटर के घर जाकर उससे समर्थन मांगा जा रहा है.हर दूसरे महत्वपूर्ण आदमी के घर पंचायत लग रही है, वोटों का जोड़तोड़ चल रहा है,हर एक वोट को प्रभावित करने के लिए रिश्तदारों तक से मदद की गुहार की रही है,विवाद पोस्टल बैलेट को लेकर भी है जहां बैलेट की जगह कोरा कागज़ अथवा पेपर कटिंग निकलने की भी शिकायत आई है.

कुछ सदस्यों ने इसे छलबल करार दिया है,बोर्ड के ट्रस्टी का चुनाव लड़ रहे छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी रहे एम डब्ल्यू अंसारी ने पूरी चुनाव प्रक्रिया में पोस्टल बैलेट भेजे की भूमिका को सन्देह के घेरे ला दिया है,रिटर्निग ऑफीसर तपस भट्टचार्य को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि कि ‘सेंटर के सिस्टम’ने पोस्टल बैलेट की जगह वोटर मेम्बर को अखबारी कतरन और खाली कागज़ भेज दिए इनके लिफ़ाफ़े आईआईसीसी ने जारी किए थे जबकि कुछ जगह तो लिफाफे नही पहुंचे.

यह प्रक्रिया किस प्रकार हुई इसकी बानगी देखकर पता चलता है कुछ वोटर को मतदान से वंचित करने का प्रयास हुआ है जैसे सदस्य अब्दुल करीम अंसारी और इदरीश खान के साथ हुआ है इन्हें सामान्य डाक तो पहुंच रही है मगर सेंटर के सिस्टम से नही पहुंच रही है,खास बात यह है कि एक बार की डाक में इन्हें मैगज़ीन की कतरन मिली है दूसरी बार डाक विभाग को एड्रेस नही मिल रहा है.

एड्रेस न मिलने की रोचक कहानी नाहिद अख्तर की है वो 2123 नम्बर वाली सदस्य है उनके पति अब्दुल ताहिर भी सेंटर के सदस्य है उनके पति का एड्रेस तो मिल गया जबकि उनकी पत्नी का लिफाफा इस आपत्ति के साथ वापस हो गया कि उनके घर का पता नही चला!

एम डब्ल्यू अंसारी की इस शिकायत के बाद रिटर्निग ऑफिसर तपस भट्टाचार्य ने माना है कि कुछ गलतियां हुई है, शिकायत में उनके द्वारा प्रदान किए आंकड़ो के मुताबिक लगभग 160 सदस्यों के साथ ऐसी चूक हुई है जिसमे षड्यंत्र की संभावना से इंकार नही किया जा सकता,चुनाव वाले दिन यह संख्या 600-700 हो सकती है जाहिर 3 हजार वोटरों में यह संख्या बहुत महत्वपूर्ण है.

जाहिर है इतनी जोरदार कवायद इस चुनाव की अहमियत को समझा देती है,इस्लामिक कल्चर सेंटर का अध्यक्ष का सामाजिक रुतबा ऊंचा होता है और उसके सरकार में मजबूत पकड़ हो जाती है 2004 से लगातार अध्यक्ष बन रहे सिराजुद्दीन कुरेशी और आरिफ मोहम्मद खान ने इसलिए पूरी ताक़त झोंक दी है.

बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का चुनाव लड़ रहे एमडब्लयू अंसारी

चुनाव में धनबल,बाहुबल और छलबल के इस्तेमाल पर निराशा और आश्चर्य व्यक्त करते है वो कहते है “हम किसी को नीचा दिखाना नही चाहते बल्कि रिफार्म चाहते है कल तक हुए चुनाव में हमने सलमान खुर्शीद के विरुद्ध जाकर उनका समर्थन किया था मगर वो क्यों जमा रहना चाहते है!

1500 से करीब पोस्टल बैलेट में 300 के करीब वापस आ गए है,सेंटर के सिस्टम के कुछ लोग किसी एक प्रत्याशी के प्रति झुकाव रख रहे है ,कोरमे बिरयानी के दौर चल रहा है हम तो बस एक साफ सुथरा और विजिनरी सिस्टम चाहते हैं जो कौम की बेहतरी के लिए ईमानदाराना प्रयास किए जाएं.

आरिफ मोहम्मद खान (Photo: Social Media)

6 जनवरी को मुस्लिम समुदाय के इस सांस्कृतिक केंद्र की दीवारों पर क़ुरान की आयतें लिखी है और सम्पूर्ण कार्यकारिणी का चुनाव दिलचस्प हो गया है,इस बार की लड़ाई वर्चश्व की हो गई है जिसमे सिराजुद्दीन कुरैशी पैनल अपना अस्तित्व बचाने की कवायद में जुटा है तो आरिफ मोहम्मद खान पैनल को खुद को साबित करने की चुनौती है!

खास बात यह है कि दोनों ही पैनल के मुखिया बीजीपी की तरफ झुकाव रखते है सेंटर के अध्यक्ष सिराजुद्दीन क़ुरैशी सेंटर के माध्यम से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लिखी पुस्तक ‘एग्जाम वारियर्स’का विमोचन कर चुके है जबकि आरिफ मोहम्मद खान ने तीन तलाक वाले मुद्दे पर मोदी को तगड़ा समर्थन दे रखा है.

पिछले 15 सालों से सेंटर के चीफ सिराजुद्दीन क़ुरैशी पर इस बार कई सवाल उठ रहे है जैसे उन्होंने नियमों के विरुद्ध जाकर अपने ही बिरादरी के लोगो को सदस्यता दिलाई यही लोग अब उनके पक्ष में भ्रम फैला रहे हैं कि उनके जाने के बाद सेंटर यतीम हो जाएगा!सेंटर को बड़ा करने की मंजूरी मिल गई है!सेंटर के सविंधान में है कि अध्यक्ष और पदाधिकारियों को 25 से 75 के बीच का होना चाहिए जबकि सिराजुद्दीन 72 साल के हो चुके है, चुनाव प्रक्रिया हर पांच साल बाद होती है तो क्या मध्यवधि चुनाव कराए जाएंगे!

मुस्लिमों में गहरी पैठ रखने वाले नावेद हामिद सिराजुद्दीन कुरेशी पैनल के चुनाव के अगुआ है वो उनके खिलाफ लगाएं जा रहे किसी भी तरह के आरोप को सिरे से खारिज करते है वो कहते हैं”सिराज साहब बेलौस और मुख्लिस इंसान है उन्होंने क़ौम की हमेशा खिदमत की है कुछ कथित बड़े पॉलिटकल लोग उन्हें अपने तरीके से नीचा दिखाने की साज़िश कर रहे है इस्लामिक कल्चर सेंटर की बुलंद इमारत उनकी कोशिशों के नतीजा है उन्होंने सेंटर को पॉलिटकल हब बनने से रोका है आज भी वो सेंटर के विस्तार के लिए प्रयास कर रहे हैं जिसके लिए उन्होंने 12 साल अथक प्रयत्न करके सरकार से परमीशन ली है,कुछ पॉलिटकल लोग उन्हें ग़लत तरीके से डिस्टर्ब करने की कोशिश कर रहे हैं उन्होंने अपना काम बेहद ईमानदारी से किया है वो एक विजिनरी शख्सियत है उनपर लगाए जा रहे सभी इल्ज़ाम बेबुनियाद है.

एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रसीद मसूद भी इस्लामिक कल्चर सेंटर में वोट के जरिये अपनी सहभागिता कर रहे हैं हालांकि उनको पोस्टल बैलेट समय से पहुंचा है और वापस भी लौट गया है वो अपनी राय रखते हुए कहते हैं “मैं समझता हूँ सिराज साहब ठीक काम कर रहे हैं,यह बात भी सही है कि सेंटर को पॉलिटिकल एक्टिविटी से दूर रखना चाहिए मगर इसका यह मतलब बिल्कुल नही है कि पॉलिटिकल लोगो से दूरी बना ली जाए,आदमी की नही नजरिए की बात होनी चाहिए”.

इस्लामिक कल्चर सेंटर के चुनाव में हाई-वोल्टेज ड्रामा चल रहा है 6 जनवरी को आधी रात तक सेंटर के नए अध्यक्ष का पता चल जाएगा.इससे पहले कभी इतनी हलचल नही देखी गई है.

इस सबके बीच इस बार चुनाव के मुद्दे छिप गए है जैसे पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब कहते है “जब इस्लामिक सेंटर अस्तित्व में आया था तो उम्मीद थी कि देश भर में इसकी शाखा का विस्तार होगा मगर ऐसा नही हुआ,करीब में दूसरे सेंटर है जहां हर दिन एक बड़ा आदमी अपनी बात रखता है यहां शख्सियतपरस्ती हो रही है और कोई अच्छा कदम नही उठाया जाता पिछले कुछ समय से यहां मोदी की तारीफें हो रही है,सिराज कुरेशी इसे बेहतर आईएएस-आईपीएस स्टडी सेंटर बनाने की बात करते है तो आरिफ मोहम्मद खान के पैनल के अगुआ मोहम्मद अदीब कहते हैं कि इस बार का मुद्दा इस सड़ चुके निज़ाम को बदलना है.