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जामिया ने की अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की मांग

Najma Akthar

यूसुफ़ अंसारी, TwoCircles.net

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को जामिया के नज़दीक हुए गोलीकांड के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और दिल्ली के विधायक और भाजपा उम्मीदावार कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की मांग की है। ग़ौरतलब है कि जामिया केंद्रीय विश्वविद्यालय है। ये सीधे केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है। ऐसें में

एक केंद्रीय मंत्री और एक भाजपा नेता के ख़िलाफ कार्रवाई की मांग को जामिया का बेहद साहसिक क़दम माना जा रहा है।

भाजपा के इन दोनों नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई को लेकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन और स्थानीय लोगों ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जामिया के चीफ़ प्रॉक्टर वसीम अहमद ने गुरुवार की गोलीबारी के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को ज़िम्मेदार ठहराया और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है। जामिया के सूत्र बताते हैं कि तमाम क़ानूनी पहलुओं पर ग़ौर करने के बाद यह मांग की गई है। क़ानूनी जानाकरों का मानना है कि ये गोलीकांड इन दोनों भापजा नेताओं के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई का मज़बूत आधार बन सकता है।

क्या कहा चीफ़ प्रॉक्टर ने?

शुक्रवार की सुबह जामिया मिल्लिया इसलामिया के चीफ़ प्रॉक्टर वसीम अहमद बाक़ायदा बयान जारी करके कहा, ‘छात्र राजघाट तक मार्च निकालने की कोशिश में थे, हम उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे। यह शांतिपूर्ण मार्च था, उस आदमी ने गोली क्यों चला दी?’ उन्होंने कहा, ‘यह वारदात अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषणों की वजह से हुई। उन्होंने लोगों को उकसाया। हम तकलीफ़ में हैं। पुलिस और सरकार को उन लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए।’

ग़ौरतलब है कि गुरुवार को जामिया के बाहर रामभक्त गोपाल नामक एक युवक ने वहाँ जमा भीड़ पर गोली चला दी थी। गोली चलाते वक़्त उसने कहा था, ‘ये लो आज़ादी।’ उसने गोली चलाते हुए ‘दिल्ली पुलिस जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए। इसमें जामिया के पत्रकारिता विभाग का एक छात्र शादाब फ़ारूक़ घायल हो गया। हमलावर को गिरफ़्तार कर लिया गया है। जामिया प्रशासन और छात्र इस गोलीबारी के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयानों और नारों को ज़िम्मेदार मान रहे हैं।

क्या कहा वाइस चांसलर ने?

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की वाइस चांसलर नजमा अख़्तर ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक वीडियो बयान जारी करके सवाल उठाया है कि पुलिस ने उस हमलावर को समय रहते क्यों नहीं पकड़ा? उन्होंने कहा है कि उस बंदूकधारी से 30 मीटर की दूरी पर दो दर्जन से ज़्यादा पुलिस जवान खड़े थे, उस इलाक़े में सीआरपीएफ की 5 कंपनियों के 300 जवानों को तैनात किया गया था। उन्होंने संयम रखने के लिए छात्रों की तारीफ़ की। नजमा अख़्तर ने 15 दीसंबर को पुलिस के जामिया की लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों की पिटाई के बाद भी दोषी पुलिस वालों के ख़िलाफ़ कार्वाई की मांग की था।

नज़मा का बयान:

‘इस वारदात ने हमें अंदर से झकझोड़ दिया है। यह हो ही नहीं सकता कि एक आदमी बंदूक लहराता रहे और उसे कोई रोके नहीं। फिर वह गोली चला दे और उसके बाद उसे बड़े शांतिपूर्ण तरीके से पकड़ लिया जाए।’

वाइस चांसलर ने आगे कहा, ‘इस वारदात से हमारा विश्वास हिल गया है। मैं यह उम्मीद करती हूं कि ऐसा फिर नहीं होगा। मैं यह आश्वासन चाहती हूँ कि इस तरह की वारदात फिर नहीं होने दी जाएगी।’

इस वारदात ने हमें अंदर से झकझोड़ दिया है। यह हो ही नहीं सकता कि एक आदमी बंदूक लहराता रहे और उसे कोई रोके नहीं। फिर वह गोली चला दे और उसके बाद उसे बड़े शांतिपूर्ण तरीके से पकड़ लिया जाए।’

बेमानी है दिल्ली पुलिस सफाई

हलांकि दिल्ली पुलिस ने इस पर सफ़ाई देने की कोशिश की है। विशेष कमिश्ननर, अपराध, ने कहा, यह सब एक झटके में हो गया, एक सेकंड में ही सबकुछ घट गया। पुलिस कुछ कर पाती, उसके पहले ही उस आदमी ने गोली चला दी। मामले की जाँच

पुलिस कुछ कर पाती, उसके पहले ही उस आदमी ने गोली चला दी। मामले की जाँच चल रही है। पुलिस की यह सफाई मामले की लीपापोती की कोशिश लगती है। पुलिस पर दबाव बनाने के लिए जामिया के छात्रों ने पुलिस मुख्यालय पर कई घंटे विरोध प्रदर्शन भी किया।

हमलावर पिस्टल लहराता रहा, पुलिस हाथ बांधे खड़ी रही

आपको बता दें कि यह वही दिल्ली पुलिस है, जिसने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन के दौरान जामिया के अंदर घुस कर लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों तक को बुरी तरह पीटा था। यही पुलिस खुले आम बंदूक लहराते युवक को हाथ बांधे खड़ी देखती रही। वह नारे लगाता रहा, चीख़ता रहा, सड़क पर चलता रहा, पुलिस ने उसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की। इस घटना के वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि पुलिस हाथ बांधे खड़ी रही और गोली चलाने के बाद एक पुलिस अफ़सर ने उसे बड़े आराम से पीछे से  पकड़ लिया, हमलावर ने कोई विरोध नहीं किया।

 

हमलावर की भनक क्यों नहीं लगी पुलिस को?

इस घटना को लेकर पुलिस पर लापरवाही बरतने के भी आरोप लग रहे हैं। हमलावर ने जामिया पहुंचने से पहले अपने फेसबुक अकाउंट पर कई बार पोस्ट लिखकर अपनी इस हरकत के संकेत दिए थे। दोहपहर दो बजे उसने अपने फेसबेकुक पर लिखा था, ‘चंदन भाई ये बदला आपके लिए। शाहीन बाग़ खेल ख़त्म।’ इसके एक घंटे बाद तीन बजे जामिया रके पास से ही उसने फेसुबक लाइव भी किया था। तीन बजकर पांच मिनट पर उसने गोली चलाई। सवाल उठ रहे हैं कि अगर शाहीन बाग़ के प्रदर्शन को लेकर पुलिस सोशल मीडिया पर पैनी नज़र बनाए हुए है तो इस पैनी नज़र से हमलावर का अकाउंट कैसे बच गया है।

भाजपा नेताओं ने लगदाए भड़काऊ नारे

केंद्रीय मंत्री वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने 27 जनवरी दिल्ली के रिठाला में हुई भाजपा की चुनावी रैली में मंच से नारा लगवाया था, ‘देश के गद्दारों को’ और उसके बाद वहाँ मौजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इसके जवाब में कहा, ‘गोली मारो सालों को।’ ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ। इसके पहले बीजेपी के नेता और दिल्ली विधानसभा चुनाव में मॉडल टाउन से उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने एक रैली निकाली थी। उस रैली में ख़ुद मिश्रा और उनके साथ चल रहे उनके समर्थकों और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने नारा लगाया था, ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को।’ यह नारा एक बार नहीं, बीसियों बार लगाया गया। इनके अलावा दिल्ली के भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने भी मुसलमानो के ख़िला भड़काऊ बयान दिए थे।

चुनाव आयोग ने की कार्रवाई

चुनाव आयोग ने इन बयानों के चुनाव आचार संहिता का उलल्घंन मानते हुए इन भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है। जहां चुनाव आयोग ने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के नाम भाजपा की के स्टार प्रचारकों की सूबची से निकलवा दिए हैं वहीं कपिल मिश्रा के चुनाव प्रचार पर 96 घंटे की रोक लगाई थी। लेकिन चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को नाकाफ़ी माना जा रहा है।

जामिया और शाहीन बाग़ में नागरिकतका संशोधन क़ानूनस एनपीआर और एनआरसी के ख़िलाफ़ पिछले डेढ़ महीने ले लगातर धरना-प्रदर्शन कर रहे छात्रो और सेथानीय लोगों ने कहा है कि अगर पुलिस जामिया के इस गोलीकांड को लेकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयानबाज़ी करने वाले भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई नही करती हो तो वे इसके लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं। इसके लिए सभी क़ानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।