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कोटा। राजस्थान के कोटा शहर में महिलाओं को जब सीएए, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ़ आंदोलन करने के लिए कोई ‘पार्क’ या ‘बाग़’ नहीं मिला तो उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला घर के समने की सड़क को ही ‘शाहीन बाग़’ बना दिया। सामाजिक कार्यकर्ता शिफा ख़ालिद के नेतृत्व में 14 जनवरी से सैकड़ों महिलाएं दिन रात धरने पर बैठ कर नागरिकता संशोधन क़ानून को वापिस लेने और साथ ही एनपीआर और एनआरसी को लागू नहीं करने की मांग कर रहीं हैं।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के घर के सामने सड़क पर चल रहे इस धरना-प्रदर्शन को अब ‘कोटा का शाहीन बाग़’ कहा जाने लगा है। दिल्ली के शाहीन बाग़ की तरह ही यहां भी विरोध जताने के नए-नए तौर तरीके देखने को मिल रहे हैं। दो दिन पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर कोटा के इस शाहीन बाग़ की महिलाओं ने शहादत दिवस मनाया। इस मौक़े पर इस आंदोलन को गांधी जी के बताए रास्ते पर चलाकर अंजाम तक पहुंचाने की क़सम खाई गई। शहर की कई जानी मानी हस्तियों ने यहा पहुंचकर आंदोलन को समर्थ देने का ऐलान किया।
इस मौक़े पर धरने की आयोजक शिफा़ ख़ालिद ने महात्मा गांधी जी के जीवन पर प्रकाश डाला तथा उनकी शहादत को देश की पहली आतंकी घटना बताया। शाहीन बाग़ की महिलाओं ने मोमबत्तियां जलाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। महिलाओ ने प्रण लिया कि वो गांधी जी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर चल कर नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाले नागरिकता संशोधन क़ानून वापिस लिए जाने और सरकार की तरफ से एनपीआर और एनआरसी की लागू नहीं करने का फैसला होने तक आंदोलन को जारी रखेंगीं।
‘कोटा के शाहीन बाग़’ धरने को समर्थन देने पहुंचे वक़्फबोर्ड के पूर्व चैयरमेन मौलाना फ़ज़्ले हक़ ने कहा कि सरकार को यह जान लेना चाहिए कि कौन इस देश का नागरिक है और कौन नहीं, यह काग़ज़ से तय नहीं किया जा सकता, उन्होंने कहा कि सरकार ने अपना राजनीतिक हित साधने के लिए सीएए क़ानून लाई है और एनआरसी की बात कर रही है क्योंकि सरकार के पास विकास के नाम पर दिखाने को कुछ नहीं है। धरने को समर्थन देने पहुंचे किसान महासभा के अध्यक्ष धूलीचंद बोरधा ने इस मौक़े पर कहा कि वोट की ख़ातिर देशवासियों में फर्क करने वाले लोगों को अब जनता पहचान चुकी है। सरकार यदि अपने इस संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन क़ानून को वापस नहीं लेती तो महिलाओं के साथ पुरुष भी सड़कों पर आएगें।
धरने का समर्थन करने पहुंचे वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के प्रदेशाध्यक्ष सैफुल्लाह खान ने कहा कि सरकार के इस संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़‘शाहीन बाग़’ एक आंदोलन का नाम बन चुका है जो पूरे देश के कोने-कोने में फैल चुका है। संविधान बचाने की इस लड़ाई में देश की महिलाएं सबसे ज़्यादा बाहर निकलकर आई हैं। उन्होंने कहा कि अगर मांगे नहीं मानी गईं तो गांधी जी की तरह सविनय अवज्ञा आंदोलन जलाया जाएगा ।
धरने का समर्थन करने पहुंचे श्रीमान बागला जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेते हुए संविधान की मूल भावना के विरोधी नागरिकता संशोधन क़ानून को रद्द कर देना चाहिए। धरने में मौलाना रौनक, वसंत कुमार, रवि कुमार, समाजसेवी मोहम्मद मियां, सोनू कुरैशी, शाहिद मुल्तानी, मुहम्मद खा़लिद, सुशीला देवी, मोहम्मद इरफा़न, अंजलि महता, मोहम्मद आसिम, धरना आयोजक शिफा ख़ालिद, शबनम फरहत, सीमा सहित कई महिला वक्ताओं ने भी सम्बोधित किया।