स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पिछले दिनों यूपी एटीएस द्वारा लखनऊ से आतंकवादी संगठन अंसार ग़ज़वतुल हिन्द से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार करें गए मिन्हाज अहमद और मुसीरुद्दीन को कानूनी मदद देने का एलान किया हैं। दोनों मुस्लिम युवकों के परिजनों ने जमीयत से कानूनी मदद की गुहार लगाई थी जिसके बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एलान किया हैं कि दोनों युवकों की अदालत में पैरवी जमीयत करेंगी। इससे पहले भी जमीयत कई बार आतंकवाद के आरोप में फंसाए गए मुस्लिम युवकों की पैरवी कर चुका हैं।
गौरतलब है कि पिछले रविवार को यूपी एटीएस ने लखनऊ के दुबग्गा इलाके से दो मुस्लिम युवकों मुसीरुद्दीन और मिनहाज अहमद को अलकायदा से जुड़े होने और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप में गिरफ्तार करा था। यूपी एटीएस ने दावा करा था कि दोनों युवक आतंकवादी संगठन अलक़ायदा के अंसार ग़ज़वतुल हिन्द के सदस्य हैं और साथ में एटीएस ने यह भी कहा था कि 15 अगस्त के अवसर पर भीड़ वाले स्थानों पर दोनों मानव बमों का प्रयोग करने वाले थे। एटीएस ने दावा किया था कि उनके पास से पिस्तौल, प्रेशर कुकर बम और आईईडी विस्फोटक बरामद हुए हैं। फिलहाल दोनों एटीएस की 14 दिन की रिमांड पर हैं। आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार करें गए मुसीरुद्दीन बैटरी रिक्शा चालक हैं तो वहीं मिन्हाज की बैटरी की दुकान है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कानूनी इमदाद कमेटी के अध्यक्ष गुलज़ार आज़मी के अनुसार आतंकवाद के आरोप में पकड़े गए मिन्हाज के पिता सिराज अहमद ने जमीयत को पत्र लिखकर कानूनी मदद की गुहार लगाई थी। जिसके बाद जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कानूनी मदद देने का एलान किया गया हैं। जमीयत की तरफ़ से एडवोकेट फुरकान ख़ान को आरोपियों के बचाव के लिए नियुक्त किया गया है। इससे पहले लखनऊ के अधिवक्ता और रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शुऐब ने भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद से पैरवी करने का अनुरोध किया था ।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ट्वीट करते हुए कहा कि आतंकवाद के झूठे आरोप में निर्दोष मुस्लिम युवाओं के जीवन को तबाह करने के लिए आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। अरशद मदनी ने कहा कि निर्दोष मुसलमानों को कानूनी सहायता प्रदान करना तब तक जारी रहेगा जब तक वे सम्मानजनक रिहा नहीं हो जातें हैं।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत के प्रयासों से अब तक सैकड़ों युवक आतंकवाद के झूठे मुकदमो में रिहा हो चुके हैं जिससे यह साबित होता है कि जांच एजेंसियां बिना सबूत के धार्मिक पक्षपात के आधार पर गिरफ्तार कर लेती हैं और एक लंबे समय के बाद अदालतें उन्हें सम्मानजनक बरी कर देती हैं।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सवाल उठता है कि जांच एजेंसियों के पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण मुस्लिम युवकों के कई साल बर्बाद हो जाते हैं तो उन्हें कौन लौटाएगा ! अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार करें गए लोगों के फास्ट ट्रैक अदालत की मांग की थी, ताकि जल्द ट्रायल हो सकें।
इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार हुए मुसलमानों को अदालत द्वारा बाइज़्जत बरी करा हैं। अभी हाल ही में 5 साल तक जेल में रहने के बाद, बैंगलोर की एक अदालत ने पेशे से आटो चालक मोहम्मद हबीब को बरी किया था जिन्हें कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक आतंकी मामले में गिरफ्तार किया गया था। 2019 में भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कानूनी मदद से महाराष्ट्र के नासिक की एक विशेष टाडा अदालत ने आतंकवाद से जुड़े 25 साल पुराने एक मामले में मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी किया था।
पिछले महीने ही गुजरात के आणंद की एक सत्र अदालत ने श्रीनगर के 43 वर्षीय बशीर अहमद को यूएपीए के तहत गिरफ्तार करने के ग्यारह साल बाद रिहा करते हुए कहा था कि अभियोजन पक्ष आरोपी के आतंकी गतिविधियों से जुड़े होने को लेकर कोई साक्ष्य पेश नहीं कर सका। बशीर अहमद को गुजरात एटीएस ने आतंकी नेटवर्क के लिए रेकी करने और 2002 गुजरात दंगों के प्रभावित मुस्लिमों की हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए भर्ती करने के आरोप में 2010 में गिरफ्तार करा था, लेकर अदालत ने सबूतों के अभाव में उसे रिहा कर दिया।
इस मामले में आतंकवाद के आरोप में फंसाए गए तमाम मुसलमानों की पैरवी करने वाले समाजिक संगठन रिहाई मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब कहते हैं कि हर चुनाव के मौके पर मुसलमान नौजवानों को आईएसआई का एजेंट, हूजी का आतंकवादी, इंडियन मुजाहिदीन का खूंखार आतंकवादी और आईएसआईएस के लिए काम करते हुए दिखाकर गिरफ्तार किया जाता है और फिर उनका मीडिया ट्रायल शुरू कर दिया जाता है।
एडवोकेट मुहम्मद शुऐब कहते हैं कि चुनाव के समय वोटों के ध्रुवीकरण के लिए ये सब किया जाता है और वर्तमान गिरफ्तारी भी उसी की कड़ी है। इस समय जन साधारण महंगाई की मार झेल रहा है, लॉक डाउन से परेशान है, बेरोजगारी झेल रहा है और लॉक डाउन के कारण काम धंधा छूट जाने के कारण भूखा रहने को बेबस है। वे कहते हैं कि सामान्य समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने के उद्देश्य से तथा वोटों का ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से सरकार ने फर्जी गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू किया हैं।
जमीयत उलेमा ए हिंद की और से मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि जमीयत हमेशा से इस तरह के शक के आधार पर गिरफ्तार नोजवानों को कानूनी प्रक्रिया के तहत सहायता देने का काम करती है। इस मामले में वो ऐसा पहली बार नही कर रही है।