मरी गाय ले जाने के कारण लखनऊ में पीटे गए दलितों की आपबीती

TCN News

लखनऊ : पिछले दिनों लखनऊ के तकरोही के चंदन गांव का मामला प्रकाश में आया था, जहां मरी हुई गाय को लेकर जा रहे दो दलित कर्मचारियों की कुछ युवकों ने पिटाई की थी.


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इन दलितों कर्मचारियों में एक का नाम विद्यासागर और दूसरे का नाम छोटे है. उन्होंने 01 अगस्त की रात टेढ़ी पुलिया के पास रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव व सोशल मीडिया प्रभारी शबरोज़ मुहम्मदी से हुई एक मुलाक़ात में बताया कि वे 28 जुलाई की शाम 3-4 बजे के क़रीब नगर निगम से प्राप्त सूचना के क्रम में मायावती कालोनी सूर्या सिटी तकरोही इंदिरा नगर से मृत गाय वे लेकर जा रहे थे. तभी रास्ते में फ़रीदीनगर रोड खुर्रम नगर चैराहे के पास जंगल के बीच में कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने ट्रॉली को रोक लिया और कहा कि जानवर कहां से ले आ रहे हो? इस पर विद्यासागर व छोटे ने उन्हें बताया कि हम लोग मृत पशु का निस्तारण करने जा रहे हैं. उसके बाद अज्ञात व्यक्तियों ने कहा कि तुम लोग पशुओं को इंजेक्शन लगाकर बेहोश कर देते हो और उसको फिर काट देते हो.

इन दोनों पीड़ितों ने बताया कि उन लोगों ने उनकी एक न सुनी और लात घूंसों से मारा-पीटा और उनके साथ गाली गलौज करते हुए कहा कि आइंदा मरे हुए पशु को कफ़न में लपेटकर नहीं ले जाओगे तो तुम लोगों को जान से मार देंगे और काम नहीं करने देंगे. इसके बाद विद्यासागर व छोटे ने अपने ठेकेदार को सूचित किया तो वे तत्काल मौक़े पर पहुंचे पर तब तक अराजक तत्व भाग चुके थे. उसके बाद ठेकेदार ने पीड़ितों को समझा बुझाकर मृत पशु को जंगल में ले जाकर उसका निस्तारण कराया.

इस घटना से मृत पशु का निस्तारण करने वाले मजदूर काफी भयभीत हैं और विद्यासागर व छोटे के ठेकेदार ने उनकी सुरक्षा के लिए संबन्धित पुलिस को आवश्यक कार्रवाई एवं अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है. जिससे की भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और समुचित तरीक़े से मृत पशुओं का निस्तारण हो सके.

इस मामले के संबंध में राजीव यादव का कहना है, ‘तकरोही में जिस तरह मृत गाय के नाम पर विद्यासागर व छोटे की निर्ममता से पिटाई की गई, उसी तरह इससे पहले भी रिंग रोड पर धर्म काटें के पास, एक महीने पहले दीपू चैराहे के पास, अबरार नगर और अन्य जगहों पर मृत पशुओं का निस्तारण करने वाले दलितों के साथ मारपीट की घटना होती रही है, जो स्पष्ट करती हैं कि गाय के नाम पर दलितों के साथ मारपीट करने वाले ये संगठित राजनीतिक अराजक तत्व हैं. ऐसे में अखिलेश सरकार इन मजदूरों की सुरक्षा की गांरटी करे, क्योंकि इन पशुओं का निस्तारण करने वाले दलित कर्मचारियों के बल पर ही शहर साफ़-सुथरा रहता है व आम जनता महामारी से बचती है.’

राजीव कहते हैं, ‘जिस तरह गुजरात में ठीक इसी तरह की घटना के बाद आक्रोश उपजा और आनंदी बेन पटेल को इस्तीफ़ा देना पड़ा. ऐसे में यूपी सरकार मामले को संजीदगी से ले और गाय के नाम पर हिंसा करने वाले सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ़ कठोर कार्रवाई करे.’

स्पष्ट रहे कि रिहाई मंच सूबे समेत पूरे देश में हो रही सांप्रदायिक-जातीय हिंसा के ख़िलाफ़ 3 अगस्त को शाम चार बजे हज़रतगंज स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर ‘दलित-मुस्लिम हिंसा के खिलाफ़’ धरना देगा.

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