सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
वाराणसी: बनारस के नगर मुख्यालय कचहरी के चौराहे पर एक भव्य अम्बेडकर स्मारक पार्क है. इसमें भीमरावअम्बेडकर की मूर्ति है. इस पार्क के सामने कोने में सुरेन्द्र सिंह खड़े हैं. सुरेन्द्र सिंह पूर्व वीपी सिंह सरकार में गृह मंत्री के पद पर सुशोभित थे. अब उनकी स्थिति यह है कि उन्हें अपना परिचय कराना पड़ रहा है. हमसे बातचीत में सुरेन्द्र सिंह स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं पर ध्यान नहीं दिया, यह सच बात है. लेकिन फिर भी आज सोनिया गांधी के रोड-शो में कार्यकर्ता जुटे हुए हैं. क्यों? इसका जवाब सुरेन्द्र सिंह के पास नहीं है.
सोनिया गांधी के रोड शो में उमड़ी भीड़
अम्बेडकर पार्क के आसपास की सड़क पर शुरुआती दौर में कोई दिखायी नहीं देता है, लेकिन जब कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री पद की दावेदार शीला दीक्षित दिखायी पड़ती हैं तो भीड़ भर जाती है और सोनिया गांधी व शीला दीक्षित माल्यार्पण के बाद आगे बढ़ जाती हैं. मंच पर बनारस की शहनाई बजती है. चार अलग-अलग धर्मों के धर्मावलम्बी भी मौजूद थे और सोनिया गांधी के आगमन पर सभी ने मंत्रोच्चार किया.
सोनिया गांधी और शीला दीक्षित
रोड शो के शुरुआती कुछ दौर में सोनिया गांधी कार के अन्दर बैठी रहीं और कार के दरवाजों से एसपीजी के जवान लटके रहे. लेकिन कुछ देर बाद सोनिया गांधी कार की छत से बाहर आ गयी और सीट पर खड़ी होकर या छत पर बैठकर कार्यकर्ताओं और जनता पर इंदिरा गांधी के लहजे में मालाएं फेंकने लगीं.
यहां से शुरू होता है सोनिया गांधी का रोड-शो जो पांच विधानसभा क्षेत्रों, जिनमें से एक कांग्रेस के पास है, और लगभग 6 किलोमीटर का सफ़र तय करता है. इसमें राज बब्बर, रीता बहुगुणा जोशी, गुलाम नबी आज़ाद और मोहन प्रकाश जैसे दिग्गज चेहरे और उत्तर प्रदेश और वाराणसी कांग्रेस कमेटी के सारे बड़े चेहरे शामिल थे. इस रोड शो का समापन पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. कमलापति त्रिपाठी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ ख़त्म हुआ.
राज बब्बर और गुलाम नबी आज़ाद
यदि भीड़ की गिनती अंदाज़ के आधार पर की जाए तो कांग्रेस के इस रोड-शो में लगभग 5 लाख से भी अधिक लोगों ने शिरकत की. सोनिया गांधी का काफ़िला जिन-जिन जगहों से गुजरा, उन-उन जगहों पर सड़कें जाम हो गयीं. सोनिया गांधी ने मुस्लिम व बुनकरबहुल मोहल्लों से अपने रोड-शो का दायरा तय किया. इस रोड शो में मुस्लिम भी थे, छिटपुट तौर पर महिलाएं भी थीं, पिछड़े वर्ग के भी लोग थे और सबसे ज़रूरी पहलू यह कि इस रोड शो में युवाओं की भी संख्या अच्छी मात्रा में थी.
लेकिन अब इस रोड शो की उपलब्धि पर आएं तो यह लगता है कि भाजपा के लिए अब विजय की नींद से जागने का समय आ चुका है. हालांकि इस रोड शो का असल मकसद जनता को नहीं, बल्कि कई सालों से सोई पड़ी कांग्रेस पार्टी में जान फूंकना था. लेकिन नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के लिए ऐसी भीड़ जुटा पाना बहुत बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है.
इस विषय में हमने कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मोहन प्रकाश से बात की. मोहन प्रकाश ने कहा, ‘हम यहां सचाई पर से पर्दा उठाने आए हैं. भारतीय जनता पार्टी आम जनता के साथ धोखा तो कर ही रही है, साथ ही वह लोगों को सचाई से दूर भी रख रही है.
उन्होंने आगे कहा, ‘बनारस की हमेशा से एक लोकतांत्रिक पहचान रही है. दो ही साल हुए बनारस ने देश को प्रधानमंत्री दिया है, लेकिन यह दुःख का विषय है कि भारतीय जनता पार्टी ने बनारस का इस्तेमाल सिर्फ वोट के लिए किया, उन्होंने शहर को अधूरा छोड़ दिया है.’
कांग्रेस की इस रैली को एकबानगी भले ही कांग्रेस की जीत के रूप में न देखा जाए लेकिन एक बात साफ़ हो रही है कि कांग्रेस ने फिर से बहुजनों और सवर्णों को साथ लेकर चलने के फैसले में कोई गलती नहीं की है. इस रोड शो के रास्तों में अधिकतर पोस्टर मुस्लिम नेताओं द्वारा लगाए गए थे. इसके बाद पिछड़े समुदाय से जुड़े हुए नेताओं और सवर्ण नेताओं द्वारा पोस्टर हर जगह देखे जा रहे थे.
कांग्रेस का यह रोड शो शाम अचानक ख़त्म करना पड़ा जब कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की तबीयत बिगड़ने लगी. उन्हें तेज़ बुखार हो गया और शहर के एक होटल में कुछ देर आराम करने के बाद वे वापिस दिल्ली की ओर चली गयीं.