‘हम पूरी तरह से जामिया के साथ हैं’ –अरविन्द केजरीवाल

Afroz Alam Sahil, TwoCircles.net

नई दिल्ली : जामिया मिल्लिया इस्लामिया की उम्मीदें एक बार फिर से जगी हैं. देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में एक जामिया के पास किसी मेडिकल कॉलेज का न होना हमेशा से एक ‘टीस’ की तरह रहा है.


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इसी ‘टीस’ को अब ख़त्म करने सिलसिले में जामिया का एक डेलीगेशन ओखला विधायक अमानतुल्लाह खान के साथ मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से मुलाक़ात की और अपनी बातों पर रखा.

जिसके जवाब में अरविन्द केजरीवाल ने यह यक़ीन दिलाया कि –‘हम पूरी तरह से जामिया के साथ हैं और जहां जैसी ज़रूरत पड़ेगी, हम साथ रहेंगे.’

जामिया के इस डेलीगेशन में मुख्य तौर पर रजिस्ट्रार प्रो. शाहिद अशरफ़ और कंट्रोलर ऑफ एग्ज़ामिनेशन डॉ. अमीर आफ़ाक़ अहमद फ़ैज़ी शामिल थे.

ARVIND KEJRIWAL

दरअसल, जामिया पिछले कई सालों से अपने मेडिकल कॉलेज की स्थापना करना चाहती है. इसके लिए दिल्ली सरकार ने ज़मीन भी दे दी थी. इस ज़मीन के एवज़ में जामिया को तक़रीबन 26 करोड़ देने थे, जिसमें आधे से ज़्यादा रक़म जामिया दे भी चुकी है. लेकिन दिल्ली सरकार ने जो ज़मीन जामिया को मेडिकल कॉलेज के लिए दिया था, उस ज़मीन पर दिल्ली और यूपी सरकार का विवाद है. अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है.

ऐसे में जामिया तत्कालीन तौर पर किसी दूसरी जगह मेडिकल कॉलेज खोलना चाहती है, जिसके लिए इस डेलीगेशन ने अरविन्द केजरीवाल से मुलाक़ात की है. डेलीगेशन ने कहा कि जब दिल्ली सरकार के ज़मीन पर विवाद खत्म हो जाएगा तो कॉलेज को वापस शिफ्ट कर लिया जाएगा.

स्पष्ट रहे कि 2011 में दिल्ली सरकार ने जामिया के लिए 22 एकड़ ज़मीन अधिग्रहित की थी, लेकिन बाद में यूपी सरकार ने इस ज़मीन पर अपना दावा ठोंक दिया. 2014 में यूपी सरकार इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.

इतना ही नहीं, यूपी सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग पर गंभीर आरोप भी लगाएं. प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि –‘एलजी नजीब जंग ने क़ानून को ताक पर रखकर विवादित ज़मीन जामिया को दे दी है, क्योंकि जंग जामिया के कुलपति थे और वह किसी भी सूरत में ज़मीन यूनिवर्सिटी को देना चाहते थे.’

यूपी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफ़नामा के मुताबिक़ 214 बीघा ज़मीन को लेकर उसका दिल्ली सरकार से विवाद है.

यूपी सरकार के मुताबिक़ यह ज़मीन यूपी के पास 1872 से है. यूपी सरकार का यह भी दावा है कि ज़मीन उसके सिंचाई विभाग की है, जबकि दिल्ली सरकार इसे नजूल की भूमि बता रही है. दिल्ली सरकार के मुताबिक़ दिल्ली के पास 1876 के समय से उस ज़मीन का मालिकाना हक़ है और इसके सबूत भी मौजूद हैं.

इस ज़मीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट यूपी और दिल्ली सरकार के रवैये पर नाराज़गी भी जता चुकी है. क्योंकि कोर्ट के निर्देशों के बावजूद दोनों सरकारों ने कोई हल नहीं निकाला.

हालांकि जामिया को दी गई 22 एकड़ ज़मीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच बैठक भी हो चुकी है.

सुत्रों से हासिल जानकारी के मुताबिक़ यूपी सरकार ने जामिया के विस्तार के लिए भूमि देने पर सांकेतिक सहमति भी दे दी और तय हुआ कि दोनों राज्यों के अधिकारी मिलकर सर्वे करेंगे. लेकिन अब सर्वे पूरा नहीं हो सका है और मेडिकल कॉलेज का मामला अधर में लटका हुआ है.

उधर एमसीआई के प्रावधानों के मुताबिक़ मेडिकल कॉलेज के मान्यता के लिए कम से कम 300 बेड का एक हॉस्पीटल का होना ज़रूरी है. ऐसे में जामिया एक औपचारिक प्रस्ताव के साथ अस्पतालों से संपर्क करने से पहले इस संबंध में विभिन्न विकल्पों को खंगाल रहा है. जामिया के मुताबिक़ जब तक अपना हॉस्पीटल नहीं बन जाता, तब तक जामिया अपने पास के होली फैमली और एस्कार्ट जैसे अस्पतालों से भागीदारी पर काम करने के विकल्प पर विचार कर रहा है.

हालांकि जामिया का 100 बिस्तरों वाला अंसारी स्वास्थ्य केंद्र पहले से मौजूद है. इतना ही नहीं, जामिया में बायोकैमिस्ट्री, बायोफिजिक्स और फंडामेंटल साइंस के अलावा सेंटर फॉर डेंटिस्ट्री एंड फिजियोथैरिपी एंड रिहबिलिटेशन भी मौजूद है.

इसके अलावा दूसरी तरफ़ जामिया के इस डेलीगेशन के साथ अरविन्द केजरीवाल की इस मुद्दे पर भी बात हुई कि जामिया इलाक़े में स्कूल की कमी देखते हुए जामिया स्कूल के लिए ज़मीन दे, ताकि दिल्ली सरकार जामिया की ज़मीन पर स्कूल बनाए.

विधायक अमानतुल्लाह खान के मुताबिक़ जामिया का यह डेलीगेशन इसके लिए राज़ी था. अमानतुल्लाह खान बताते हैं कि –‘जामिया नगर के इलाक़े में कोई अच्छा स्कूल नहीं है. ऐसे में यहां स्कूल का बनना बहुत ज़रूरी है. हम जामिया नगर में स्कूल की ज़रूरत ज़रूर पूरी करेंगे और जैसी जहां ज़रूरत होगी जामिया के साथ हैं.’

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