अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
दिल्ली: डेल्टा मेघवाल को मिल सकने वाले इंसाफ़ की उम्मीदों पर अभी से ही ग्रहण लगना शुरू हो गया है. सरकारों ने ज़ोरशोर से सीबीआई जांच का ऐलान किया था मगर हक़ीक़त यह है कि अभी तक सीबीआई जांच के लिए न कोई अधिसूचना जारी की गयी है और न ही कोई विशेष पहल. सारी बातें लगभग हवा-हवाई ही हैं. रही सही कसर राजस्थान पुलिस की करतूत ने पूरी कर दी है.
पुलिस ने अपना चार्जशीट दायर कर दी है. इस चार्जशीट में पुलिस ने लिखा है कि डेल्टा मेघवाल साथ दुष्कर्म हुआ और उसके बाद उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित किया गया. इस तरह से इस पूरे मामले को अब खुदकुशी की ओर मोड़ा जा रहा है. यानी अब इस पूरे मामले की गंभीरता ही पूरी तरह से ख़त्म कर दी गई है.
पुलिस की इस चार्जशीट के बाद डेल्टा मेघवाल के इंसाफ़ के लिए संघर्ष करने वालों में काफी रोष है. उनका मानना है कि डेल्टा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि बलात्कार करके उसकी ह्त्या की गयी है.
डेल्टा मेघवाल के पिता महेन्द्र राम मेघवाल अभी भी काफी सदमे में हैं. TwoCircles.net से हुई बातचीत में वो बताते हैं, ‘आरएसएस के इशारे पर चलने वाली राजस्थान की वसुंधरा राजे की सरकार ने यह मन बना लिया है कि अपने राज में पिछड़े, दलितों, आदिवासियों व मज़दूरों के साथ कोई इंसाफ़ नहीं करना है.’
वो बताते हैं कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नीयत कभी भी डेल्टा के मामले में साफ़ नज़र नहीं आई. कहते हैं, ‘खुद वसुंधरा राजे ने मुझे डराने के लिए एक मुलाक़ात में कहा था कि ‘सोच लीजिए, अगर सीबीआई जांच करवा दी तो आप जेल चले जाएंगे.’ उनकी इस बात से आप उनकी मंशा का अंदाज़ लगा सकते हैं.’
महेन्द्र राम मेघवाल पूरी तरह से अब टूट चुके हैं. वो अपना गुस्सा बीकानेर के सांसद अर्जुन मेघवाल पर भी उतारते हैं. उनका कहना है कि इस सांसद ने भी मेघवाल समाज को धोखा देने का काम किया है.
इस पूरे मामले में राजस्थान के स्वतंत्र पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी का कहना है, ‘राजस्थान की वसुंधरा सरकार व केन्द्र की मोदी सरकार ने दलितों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है. एक तरफ़ कहते हैं कि हम डेल्टा मामले की सीबीआई जांच करवा रहे हैं, लेकिन राज्य की चिट्ठी अभी तक दिल्ली नहीं पहुंच पाई है. दोनों सरकारें मिलकर दलितों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही हैं. दोनों मिलकर अजीब-सा खेल खेल रहे हैं, राज्य सरकार केन्द्र पर दोष मढ़ती है और केन्द्र सरकार आंखें मूंदे बैठी हुई है.’
वो बताते हैं कि दलित समाज की होनहार बेटी डेल्टा मेघवाल की सांस्थानिक निर्मम हत्या को राजस्थान की निकम्मी और जातिवादी पुलिस ने आत्महत्या बताकर चार्जशीट दायर करने का निर्लज्ज काम कर डाला है. इस पुलिसिया कुकर्म में सूबे की सरकार बराबर की साझीदार है. डेल्टा की हत्या के बाद देश विदेश से उठे आक्रोश को शांत करने के लिये सीबीआई जांच की अनुशंसा तो की गई, मगर केन्द्र सरकार ने आज तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया. यह देरी जानबूझकर की गई ताकि राजस्थान की प्रबंधित पुलिस सत्तासीनों के मनमुताबिक नतीजे पेश कर सके. सीबीआई की जांच होती तो अपराधी सलाखों के पीछे होते, मगर राज्य व केन्द्र की सरकार ने डेल्टा के परिजनों और उसके लिये लड़ रहे तमाम दलित बहुजनों को धोखा दिया है.
इस मामले में डेल्टा मेघवाल की तरफ़ से मुक़दमा लड़ रहे वकील बजरंग चिम्पा बताते हैं कि कोर्ट ने डेल्टा मेघवाल मामले में उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित करने हेतु तीन लोगों को दोषी माना है. इस मामले की अगली सुनवाई एक जुलाई को होनी है.
डेल्टा के घरवाले इस नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने का ऐलान कर चुके हैं, मगर सवाल यह है कि एक दलित लड़की को इंसाफ़ दिलाने का दावा करने वाली सरकार क्या कर रही है? क्या सरकार ने जानबूझकर इस मामले में आंख बंद कर ली है ताकि रसूख वालों को बचाया जा सके और सरकारी मशीनरी ज्यों की त्यों कागज़ों पर कसरत करती रहे.
स्पष्ट रहे कि डेल्टा मेघवाल हत्या की सीबीआई जांच की मांग और पश्चिमी राजस्थान में दलित समुदाय पर बढ़ रहे अत्याचारों के विरोध में दलित अधिकार नेटवर्क राजस्थान तथा दलित अत्याचार निवारण समिति बाड़मेर एवं अन्यान्य दलित संगठनों के आह्वान पर कल 30 जून 2016 की सुबह 11बजे जोधपुर मे जिला कलेक्ट्रेट पर एक जंगी प्रदर्शन होगा.