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इंदौर : मध्य प्रदेश के इंदौर में भोपाल एनकाउंटर के विरोध में प्रदर्शन करने जा रहे पूर्व महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर शनिवार को अघोषित रूप से घर में नज़रबंद कर दिया गया. उन्होंने प्रदर्शन-स्थल पर जाने की कोशिश की तो मौक़े पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने कार की चाबी निकाल ली. इतना ही नहीं, अलग-अलग संगठनों से जुड़े कई पदाधिकारियों और सदस्यों को घर से उठाकर थाने में बैठा लिया गया. प्रदर्शन के लिए रीगल पहुंचे कुछ लोगों को पुलिस हिरासत में लेकर कहीं चली गयी. बाद में स्थानीय सूत्रों से जानकारी मिलने के बाद यह पता चला कि पुलिस गिरफ्त में लिए लोगों को तुकोगंज थाने लेकर गयी.
दरअसल भोपाल के कथित एनकाउंटर पर सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए शुक्रवार शाम पांच बजे को सीपीएम, सीपीआई सहित अन्य संगठनों का एक संयुक्त रीगल चौराहे पर मानव श्रृंखला बनाकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन होना था.
प्रदर्शन हो इसके पहले से ही रीगल चौक पर दोपहर से ही भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गयी थी. आसपास के इलाकों में सादी वर्दी में भी पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. कोई भी वाहन चालक किसी काम से रीगल चौक पर रुकता तो पुलिसकर्मी उसके पास पहुंचकर रुकने का कारण पूछते और उसे रवाना कर देते. शाम 5 बजे जो लोग भी रीगल चौराहे पहुंचे, उन्हें पुलिसवालों ने डराया धमकाया और पुलिस की गाड़ी में बिठाकर कहीं ले गए. बड़ी संख्या में महिला पुलिस भी वहां तैनात की गयी थी.
इस घटना के बाद आनंद मोहन माथुर का कहना है, ‘घर से निकलने के पहले ही क़रीब 100 पुलिस प्रशासन के लोग मेरे घर के बाहर पहुंच गए थे और मेरे ड्राईवर से कार की चाबी ले ली थी. जब मैंने ऑटो से जाने के लिए घर के बाहर से ऑटो रिक्शा रोका तो पुलिसवालों ने उसे भी डपटकर भगा दिया और हमें रीगल चौक तक नहीं जाने दिया गया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं पुलिस और प्रशासन की निंदा करता हूं. प्रशासन ने ऐसा दमनचक्र चलाया है जो अंग्रेज़ों के ज़माने में भी नहीं देखा गया.’ आनंद मोहन माथुर की मांग है कि इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज से जांच कराई जाए. माथुर के मुताबिक़ निहत्थों पर गोली चलाकर मारा गयाहै.
पुलिस ने सीपीआई(एम) के जिला सचिव कैलाश लिम्बोदिया को सुबह ही घर से उठा लिया था और उन पर प्रदर्शन निरस्त करने का दबाव बनाया. उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से निष्पक्ष जांच की मांग करना चाहते हैं और करेंगे. उनके इस जवाब के बाद उन्हें थाने में बिठाये रखा गया. इसी तरह आनंद मोहन माथुर को भी पुलिस से संदेश आया कि वे ये प्रदर्शन रद्द कर दें, लेकिन वे भी प्रदर्शन करने की जिरह पर कायम रहे.
प्रदर्शन में शरीक होने पहुंचे सीपीआई के ज़िला सचिव रुद्रपाल यादव, एटक के नेता सोहनलाल शिंदे और श्रमिक नेता श्यामसुन्दर यादव, माता प्रसाद सहित नौ लोगों को पुलिस ने ज़बरदस्ती प्रदर्शन से रोक कर और उन्हें पुलिस के वाहन में बिठाकर परदेशीपुरा थाने ले जाया गया, जहां उन्हें घंटों बैठाकर रखा गया.
इंदौर में मौजूद पत्रकार ईश्वर सिंह चौधरी बताते हैं कि भोपाल एनकाउंटर के बाद से पूरे मध्य प्रदेश में सरकारी महकमा सक्रिय तो हो ही गया है, साथ ही साथ खुफिया और सतर्कता विभाग भी बेहद मुस्तैदी से काम कर रहा है. वे कहते हैं, ‘कोई प्रदर्शन हो या धरना हो, इसके पहले ही वे लोगों को गिरफ्तार करने के लिए तैयार रहते हैं. मुझे तो हंसी आती है कि धरना-प्रदर्शन रोकने के लिए मध्य प्रदेश का खुफ़िया विभाग काम कर रहा है.’
इसके पहले भी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में इस संदेहास्पद एनकाउंटर के विरोध में हजरतगंज में गांधी प्रतिमा पर धरना देने की तैयारी कर रहे रिहाई मंच से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजीव यादव को पुलिस ने भयानक रूप से न सिर्फ पीटा, बल्कि उन्हें पीटते हुए जीपीओ थाने भी ले गयी. थाने में हालत बिगड़ने के कारण राजीव यादव को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करना पड़ा था. राजीव के साथ-साथ रिहाई मंच से जुड़े शकील कुरैशी भी पुलिस की लाठियों का शिकार बने.