फ़हमिना हुसैन, TwoCircles.net
बिहार के औरंगाबाद जिले में बसा नारायण खाप गाँव, जहां 4000 आबादी वाले गाँव में 1200 से भी अधिक दलित परिवार रह रहें हैं. इसी गाँव में 19 अप्रैल को अचानक लगी आग से 25-30 घर तबाह हो गये. इस घटना में जहाँ तीन लोग जिंदा जलें। वही कई लोग घायल भी हुए. इतना ही नहीं इस घटना में दलितों के कई पशु-मवेशी भी जल के मारे गए. व्यवस्था की सभी सामान जल के राख हुए.
हालांकि इस महा-दलित गाँव के मुखिया रीमा देवी के पति बंटी सिंह उनका कार्यभार सँभालते हैं. इस आगजनी के घटना के हफ़्तों गुजरने के बाद भी ना तो मुखिया गाँव वालों से मिलने आएं और ना ही सरकार की ओर से कोई सहायता मिली.
सबसे हैरानी की बात ये है कि ये गाँव आज भी अपने मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. जहां ना तो पक्की सड़क है और ना ही नाली और बिजली जैसी सुविधा. बिजली के लिये खंभे तो लगाये गये हैं लेकिन उसमें आज तक बिजली नहीं आयी है. जिससे लोग ढिबरी व लालटेन के सहारे रात काटते हैं.
इस गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है जहां गांव के बच्चे पढ़ते हैं लेकिन उस स्कूल की इमारत की बात की जाए तो वो आधे से ज्यादा ढहा है. इस गाँव में सबसे गंभीर समस्या पेयजल की है. एक दो घरों को छोड़ कर गांव में एक भी चापाकल नहीं है.
गांव में स्वास्थ्य सुविधा तक नहीं है. जिस कारण बीमार होने पर वृद्ध व गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अपने इलाज़ के लिए इन्हें गाँव से 10 किलोमीटर तक का लम्बा सफर तय करना पड़ता है.
देश के कई ऐसे जिले में आज भी ऐसे कई गांव मौजूद है जहां सरकार मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने में नाकाम रही है. नीतीश सरकार के तमाम दावों के बाद सरकार और प्रशासन की लापरवाही साफ़ नज़र आ रही है.