यूसुफ़ अंसारी
देश में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों और रमज़ान का दौरान सामाजिक दूरी के उल्लघंन की आंशका के चलते देश भर में मई के आख़िर तक लॉकडाउन बढ़ाया जा सकता है। गृहमंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक़ राज्यों से ऐसी रिपोर्ट्स आ रहीं है कि अगर रमज़ान के दौरान लॉकडाउन में थोड़ी भी ढील दी गई तो कोरोना को फैलने से रोकने लिए ज़रूरी सामाजिक दूरी बनाए रख पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। लिहाज़ा सरकार के पास लॉक डाउन को मई के आख़िर तक बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
आशंका यह है कि अगर लॉक डाउन हटा तो मुस्लिम समुदाय रमज़ान को पारंपरिक तरीक़े से मनाएगा। इस वजह से मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने के लिए भारी भीड़ उमड़ेगी, सामूहिक इफ़्तार पार्टियों का आयोजन होगा। इसके अलावा ईद की ख़रीदारी के लिए बाज़ारों में भी रात-रात भर भीड़ जमा रह सकती है। ऐसे में कम से कम मुस्लिम बहुल इलाकों में सामाजिक दूरी बनाए रख पाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। इससे कोरोना ते तोज़ी से फैलने की आशंका है। इन इलाक़ों में हालात बेक़ाबू हो सकते हैं। ऐसे में कोरोना से लड़न की चुनौती और भी बड़ी हो सकती है। इस लिए लॉकडाउन को बढ़ाना बेहद ज़रूरी समझा जा रहा है।
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आपको बता दें कि कुछ उलेमा और मुस्लिम संगठन भी चाहते हैं कि लॉकडाउन ईद के बाद तक बढ़ा दिया जाए ताकि रमज़ान के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने की नीति की धज्जियां न उड़ें। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के चांसलर फ़िरोज़ बख़्त अहमद ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख कर ये अपील की है कि लॉकडाउन की अवधि तीन मई से बढ़ाकर 24 मई तक कर दी जाए ताकि पूरा रमज़ान का महीना लॉकडाउन में गुज़रे। उनके समर्थन में कई मुस्लिम संगठन हैं। ये अलग बात है कि ज़्यादातर ख़ामोश हैं। लेकिन लॉकडाउन बढ़ने के फैसले का वो स्वागत ही केरंगे विरोध नहीं। गृहमंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़ इस चिट्ठी का भी संज्ञान लिया जा रहा है। कोई भी फ़ैसला करने से पहले इसमें दिए सुझावों को ध्यान में रखा जाएगा।
बता दें कि गृह मंत्रालय ने ने देश भर में लॉकडाउन की स्थिति पर पैनी नज़र रखने के लिए उच्चाधिकारियों की एक टीम गठित कर रखी है यह टीम राज्यों के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क मे रहकर लॉकडाउन के पालन पर नज़र रख रही है। इसी टीम ने सरकार को रिपोर्ट दी है कि कई राज्यो में लॉकडाउन का सख़्ती से पालन नहीं हो रहा है। इसी के आधार पर सरकार न कई राज्यों में केंद्रीय टीम भेजने का फ़ैसला किया है। केंद्र के इस फैसले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ा ऐतराज़ जताया है। वो इस मसले पर केंद्र के साथ टकराव की मुद्रा में हैं। इसी टीम ने अब लॉकडाउन को मई के आख़िर तक बढ़ाने का सुझाव दिया है।
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सूत्रों के मुताबिक़ ऐसा हो सकता है कि कि लॉकडाउन सीधे 3 मई से मई के आख़िर तक एक साथ न बढ़ाकर इसे दो हिस्सों में बाढ़ाया जाए। पहले इसे 3 मई से 17 मई तक बढ़ाया जाए और उसके बाद इसे सीधे 31 मई तक बढ़ाया जा सकता है। इस बात की भी संभावना है कि इस दौरान लॉकडाउन में कुछ ज़रूरी सेवाओं का छूट भी दे दी जाए। लेकिन धार्मिक आयोजनों पर पूरी तरह पाबंदी ही रहेगी। ख़ासकर धार्मिक स्थलों में भीड़ इकट्ठा करने की इजाज़त किसी भी सूरत में नहीं मिलेगी। यह क़दम इस संभावना को देखते हुए उठाना बेहद ज़रूरी समझा जा रहा है कि मुसलमान इस छूट मिलने पर रमज़ान के दौरान इफ़्तार पार्टियों का आयोजन और मस्जिदों में जमा होकर सामूहिक नमाज़ पढ़ना न शुरू कर दें।
सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन बढ़ाने के ऐलान करते समय इसे रमज़ान के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। इससे यह ग़लत संदेश जाएगा कि सरकार मुसलमनों के ख़िलाफ़ काम कर रही है। वैसे भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने मई के दूसरे हफ्ते में कोरोना संक्रमण का दूसरा दौर शुरू होने की आशंका जताई है। इसका सीधा मतलब यही है कि मई के दूसरे हिस्से में कोरोना मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ सकती है। इसी आशंका को मई के आख़िर तक लॉक डाउन बढ़ाने का आधार बनाया जा सकता है। इस बीच रमज़ान का पूरा महीना बीत चुका होगा। ईद भी गुज़र चुकी होगी। रमज़ान के दौरान मस्जिदों में और ईद के दिन हर शहर और गांवों की इदगाहों पर नमाज़ के लिए भारी भीड़ जुटने से रोकने के लिए एक यही रास्ता है।
इसकी भूमिका अभी से बननी शुरू हो चुकी है। कई राज्यों ने 3 मई के बाद भी लॉकडाउन में छूट नहीं देने के संकेत देने शुरू कर दिए हैं। तेलंगाना में तो कई दिन पहले ही 7 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर दिया गया है। दिल्ली में भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह चुके हैं कि फ़िलहाल दिल्ली में कोई छूट नहीं दी जा सकती। दिल्ली की सीमाएं पूरी तरह सील कर दीं गईं हैं। उत्तर प्रदेश में भी सरकारी हल्क़ों से ख़बरें आ रही हैं कि 40 ज़िलों में हालात बेक़ाबू होते जा रहे हैं। ऐसे में नहीं लगता कि मई महीने में यहां भी लॉक डाउन से कोई छूट मिलेगी। देश के कई शहरों में लॉकडाउन में दी गई छूट को एक दिन बाद ही वापिस लेना पड़ा है।
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ये सब हालात इसी तरफ़ इशारा कर रहे हैं कि रमज़ान का पूरा महीना और ईद लॉकडाउन में ही गुज़रेगी। कई मुस्लिम धर्मगुरू यानि उलेमा भी इसी हक़ में हैं। उनका कहना है कि अगर लॉकडाउन बढ़ाने से कोरोना से लड़ने में मदद मिलती है तो धार्मिक भावनाओं का ख़्याल किए बग़ैर देशहित में इसे बढ़ाया जाए। हालांकि उलेमा अभी इस बारे में खुलकर नहीं बोल रहे। लेकिन लॉकडाउन बढ़ने के ऐलान के बाद वो मुसलमानों से बढ़े हुए लकडाउन का सख़्त्ती से पालन करने की अपील ज़रूर करेंगे। तबलीग़ी जमात के प्रकरण के बाद से ही तमाम मुस्लिम धर्मगुरू मुसलमानों ने सरकारी फैसलों का पालन और सम्मान करने के साथ ही कोरोना से जंग में स्थानीय प्रशासन को हर तरह से मदद करने की अपील कर रहे हैं।
बतां दें कि दारुल उलूम देवबंद समेत तमाम इस्लामी संस्थाओं और बढ़े उलेमा (धर्मगुरुओं) के साथ ही मुसलमानों के सामाजिक संगठनों ने एक सुर में मुसलमानों से रमज़ान के दौरान लॉकडाउन का सख़्ती से पालन करते हुए और सामाजिक दूरी का ख़ास ध्यान रखते हुए इबादत करने की अपील की है। जहां इस्लामी संस्थाओं ने जहां फतवे जारी किए हैं वहीं सामाजिक संगठनों ने उलेमा के सलाह मशविरे से मुससलमानों के लिए बाक़ायदा गाइडलाइंस जारी की हैं। इनमें यह बताया गया है कि उन्हें रमज़ान के दौरान क्या करना चाहिए और किन चीज़ों से बचना चाहिए। इससे लगता है कि अगर केंद्र सरकार ईद के बाद तक लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला करती है तो मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक संगठन हालात की गंभीरता को समझते हुए इसका स्वागत करेंगे और साथ ही मुसलमनों से इसका पालन करने की ही अपील करेंगे।