नंदबाबा मंदिर में नमाज़ पढ़ने पर हुए विवाद की पूरी ‘एबीसीड़ी’

आसमोहम्मद कैफ । Twocircles.net

मानवतावादी कार्यकर्ता और देश में काम करने वाली एक  संस्था ‘खुदाई खिदमतगार ‘ के सदर फैसल खान को उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली के ओखला से गिरफ्तार किया है।


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फ़ैसल खान पर इल्ज़ाम है कि उन्होंने एक धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाई और उनके कृत्य से साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता था । फ़ैसल खान पर यह आरोप इसलिए लगा है कि उन्होंने मथुरा के नंदबाबा मंदिर में नमाज अदा की। फैसल खान का कहना है कि उन्होंने इसकी इजाज़त ली थी और वो ऐसा सम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए करना चाहते थे। वहीं मंदिर के पुजारी का कहना है कि उन्होंने इसकी इजाज़त नही ली थी। पुजारी की रिपोर्ट पर यह  मुक़दमा दर्ज हुआ। मथुरा के नंदबाबा मंदिर में यह नमाज़ आंगन में अदा की गई थी। इन दिनों यह मामला काफी तूल पकड़ गया है। इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएँ आई है। सिलसिलेवार इस प्रकरण आप ऐसे जान सकते हैं !

29 अक्टूबर, नंदबाबा मंदिर, मथुरा ,मंदिर में नमाज़

खुदाई खिदमतगार संस्था को 2011 के बाद सक्रिय करने वाले फ़ैसल खान अपने तीन साथी चांद मोहम्मद, नीलेश गुप्ता और आलोक रतन के साथ दोपहर के समय इस मंदिर में पहुंचे। इनमे से फैसल खान और चांद मोहम्मद ने मंदिर के आंगन में ‘जोहर’ की नमाज़ पढ़ी। नीलेश गुप्ता और आलोक रतन उस वक़्त नज़दीक खड़े रहे और उन्होंने इसकी तस्वीरें ली। इसके बाद ये लोग लौट आएं। फ़ैसल खान मथुरा में 84 कोसी सद्भावना यात्रा कर रहे थे। वो वापस दिल्ली लौट आएं । फैसल खान के अनुसार उस दिन नमाज पढ़ने के लिए उन्होंने पुजारी से अनुमति ली। बाद में पुजारी ने कहा कि उन्होंने इसकी अनुमति नही दी थी। वो ऐसा सौहार्द बढ़ाने के लिए कर रहे थे। इसके बाद यह तस्वीरें वायरल हो गई और  बहुसंख्यक समुदाय में नाराजग़ी फैल गई। मंदिर को अपवित्र करने का आरोप लगा और गंगाजल से मंदिर को पवित्र किया गया। हवन और यज्ञ भी हुआ।

हिंदुओ में आक्रोश , फैसल खान गिरफ्तार 

सोशल मीडिया पर मंदिर में नमाज की वीडियो और तस्वीरें वायरल होने के साथ बहुसंख्यक समुदाय में आक्रोश फैलना शुरू हो गया और कई तरह की बात होने लगी। बहुसंख्यक समाज के कुछ लोगों ने जांच करने की मांग उठाई जैसे मथुरा के ही भगवताचार्य संजीव ठाकुर ने कहा कि “इसके पीछे माहौल ख़राब करने की साज़िश लगती है। ऐसा लगता है दोनों समुदाय में कटुता पैदा करने का षड्यंत्र हुआ है। इस मामले को पूरी तरह गहराई से जांच होनी चाहिए। मथुरा के एसपी देहात श्रीशचंद्र के मुताबिक मंदिर के सेवादारों की शिकायत पर यह मुक़दमा दर्ज किया गया है। सेवादारों ने पुलिस में शिकायत करते हुए बताया था कि इन्होंने कहा था कि वो दोनों धर्मो में आस्था रखते हैं।

फैसल खान हर साल धूमधाम से मनाते थे जन्माष्टमी

खुदाई खिदमतगार के कार्यकर्ता लखनऊ के ‘हफीज किदवई ‘ के मुताबिक ” यह बेहद तकलीफ़देह है, की उसे गिरफ्तार कर लिया गया,जो अपने “सबका घर” में हर साल कृष्ण जन्माष्टमी मनाता था, जिसके कहने पर सैकड़ों मुसलमान लड़के दीपावली में सबका घर सजाते थे,वह उनमें आपसी मोहब्बत को बढ़ाते रहे और आज सोशल मीडिया और मीडिया की अन्धी दौड़ में प्रेम के पैरोकार फैसल भाई को ही गिरफ्तार कर लिया गया। हर इंसान के सवालों के उत्तर हम दे सकते हैं,अपने कर्तव्यमठ यानी सबका घर में जो हर त्यौहार मनाता हो,उससे आप यह पूछेंगे की अपने यहाँ पूजा करने देंगे या नही। वो एक मानवता वादी कार्यकर्ता है और उनकी नीयत अमन भाईचारा फैलाने की थी।

कौन है फैसल खान और उनकी संस्था खुदाई खिदमतगार !

फैसल खान गांधीवादी कार्यकर्ता है। 2011 से उन्होंने ‘खुदाई खिदमतगार ‘ पुनः सक्रिय किया। इस समय वो इस संस्था के राष्ट्रीय संयोजक है। उनकी संस्था मानवतावादी कार्यो से जुड़ी है। फैसल खान दिल्ली के ओखला इलाके में रहते हैं। यहां उन्होंने एक ‘सबका घर ‘ नाम से आशियाना बनाया है। इस घर मे सभी धर्मों की मान्यताओं का सम्मान होता है। विभिन्न धर्मों के लोग यहां अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के साथ आश्रय ले सकते हैं। फैसल खान ने देश भर सोहार्द के लिए हजारों किमी पदयात्रा की है। इनमे गंगा की सफाई को लेकर यात्रा भी है। सामाजिक सद्भावना के लिए फैसल खान मंदिरों में जाते हैं। तिलक लगवाते है और सर पर टोपी पहनते हैं। हिन्दू त्यौहार मनाते हैं और ख़ासकर कृष्ण में उनकी गहरी आस्था है। खुदाई खिदमतगार की स्थापना 1929 में खान अब्दुल गफ्फार खान ने की थी। खान अब्दुल गफ्फार खान को फ्रंटियर गांधी भी कहा जाता था।

मुसलमान भी नाराज़ ,उलेमाओं ने जताई नाराजग़ी 

फैसल खान द्वारा मंदिर में नमाज़ पढ़ने के बाद से एक और जहां हिंदू समाज मे आक्रोश दिखाई दिया है वहीं मुसलमानों में भी नाराजग़ी है। मुसलमान उलेमाओं ने इसे गैरजरूरी बताया है और कहा है कि नमाज में तो किसी भी साफ जगह में पढ़ी जा सकती है। यह नीयत का मामला है और बंदे और खुदा के बीच की बात है। लेकिन यहां दिखावा किया गया है जो गलत है और अल्लाह को ढोंग और दिखावा पसंद नही है।

जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक  मौलाना क़ारी इसहाक गोरा ने कहा कि ये सब एक ढोंग है दिखावा है प्रोपगंडा है। गोरा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि हिंदुस्तान एक़ता का मुल्क है यहाँ मोहब्बत और एक़ता की शिक्षा दी जाती है परन्तु इस मुल्क के लोगों को दिखावा और ढोंग बिलकुल पसन्द नहीं है। लोगो को चाहिए की वो अपनी इबादतगाह में इबादत करे और हम अपनी इबादतगाह में इबादत करे ऐसी बातों में सिर्फ ढोंग व दिखावा नजर आ रहा है। दोनो समुदाय के लोगो को आपस मे मिल जुलकर रहना चाहिए और ऐसे दिखावो से दूर रहना चाहिए।

मथुरा और बागपत में हिन्दू युवकों ने मस्ज़िद में पढ़ी हुनमान चालीसा 

इस प्रकरण के बाद मथुरा में चार युवकों ने मथुरा ईदगाह में हनुमान चालीसा का पाठ किया जिसके बाद पुलिस ने उन्हें भी हिरासत में ले लिया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में बागपत में खेकड़ा क्षेत्र के विनयपुर गांव में भाजपा नेता मनुपाल बंसल मंगलवार को मस्जिद में पहुंचे और उन्होने  मस्जिद में हनुमान चालीसा का पाठ किया। हनुमान चालीसा के पाठ को फेसबुक पर लाइव किया गया। गायत्री मंत्र भी पढ़ा गया। एसपी अभिषेक सिंह का कहना है कि पुलिस ने जानकारी मिलते ही मामले की जांच कराई। मौलाना की सहमति ली गई थी। मनुपाल बंसल विनयपुर की मस्जिद में जाते रहते हैं।

खुदाई खिदमतगार ने जारी किया फैसल खान का पक्ष

फैसल खान गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता है वो ख़ुदाई खिदमतगार केे राष्ट्रीय संयोजक है। हमारा गांधीवादी संगठन है। वो पाँच दिवसीय तीर्थयात्रा (यात्रा) पर, दिनांक 24-29 फरवरी 2020 को कृष्ण, ब्रज की पवित्र भूमि पर गए थे। वह गोवर्धन की प्राचीन चौरासी कोसी यात्रा में भाग ले रहे थे।  अपनी यात्रा में उन्होंने कई लोगों के साथ-साथ विभिन्न मंदिरों के पुजारी से मुलाकात की। कोई भी  यात्रा के वीडियो, चित्र देख सकता है जो उनके फेसबुक प्रोफाइल पर उपलब्ध हैं। हिंदू धर्म के दर्शन, तुलसीदास जी के छंद, रसखान जी और रहीमदास के बारे में बड़ी चर्चा हुई। अपनी यात्रा के अंतिम दिन, फैसल खान ने “नंद बाबा” के पवित्र मंदिर का दौरा किया।  वहाँ उनकी आज्ञा का पालन किया।  उनकी दोपहर की नमाज़ का वक़्त था, इसलिए उन्होंने  उपयुक्त जगह माँगी।  मंदिर में वहां मौजूद लोगों ने उन्हें यह कहकर मंदिर परिसर में ही पूजा करने की अनुमति दी कि आप पहले से ही भगवान के घर में हैं इसलिए आपको कहीं और जाने की आवश्यकता है।  यह सुनकर फैसल खान ने अपनी प्रार्थना पूरी की। इसके बाद वह और अन्य सदस्य कुछ और समय मंदिर में रहे और उन्होंने उसी मंदिर में अपना दोपहर का भोजन किया।

 सब ठीक था। 29 अक्टूबर को यात्रा पूरी हुई और वह सभी के साथ दिल्ली लौट आएं। 3 दिनों के बाद उन्हें कुछ स्थानीय मीडिया के लोगों से जानकारी मिली कि कुछ लोग हैं जो 29 अक्टूबर को हुई घटनाओं से खुश नहीं हैं और वे पुलिस से शिकायत करने जा रहे हैं। फिर आज 2 नवंबर को उन्हें यूपी पुलिस ने धारा 153A, 295 और 505 के तहत गिरफ्तार कर लिया और मथुरा ले जाया गया है।  कुछ टीवी मीडिया में झूठी कहानियाँ दिखाई जा रही हैं।  फैसल खान, उनके सहयोगी चांद मोहम्मद, नीलेश गुप्ता और सागर रत्न पर लगे सभी आरोपों का हम पुरजोर विरोध करते हैं।

ख़ुदाई खिदमतगार शांति, प्रेम और सांप्रदायिक सद्भाव में विश्वास करती हैं, फ़ैसल ख़ान  इन मुद्दों (सौहार्द) पर पिछले तीन दशकों से काम कर रहे हैं और ख़ुदाई खिदमतगार का उद्देश्य भी यही है।  हम इस समाज में धार्मिक अतिवाद के किसी भी रूप का मुकाबला करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।  कई हिंदू धार्मिक संस्थानों ने शांति और भाईचारे के लिए उनके असम्बद्ध कार्यों के लिए फैसल खान के काम की सराहना की है। हम यह भी कहना चाहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति या संगठन को लगता है कि हमने उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है तो हमें इसके लिए खेद है, लेकिन फिर भी यह जोड़ना चाहते हैं कि हमारा इरादा कभी नहीं था।

अब यह जरूर पढ़ लीजिए फ़ैसल खान के गांधीवादी दोस्त हिमांशु कुमार ने बेबाकी से बयां किया है ! 

फैसल खान ने मंदिर के आंगन में नमाज पढ़ ली उससे हिंदू और मुसलमान दोनों भड़के हुए हैं। मुसलमान इस बात से भड़के हुए हैं कि तुम मंदिर के आंगन में जाकर नमाज पढ़कर क्यों आए !  कल को हिंदू अगर हमारी मस्जिद में पूजा करने की जिद करने लगे तो क्या होगा। हिंदू इस बात से भड़के हुए हैं कि हमने तो अपने धर्म की उदारता दिखा दी लेकिन तुमने नहीं दिखाई। सोशल मीडिया पर यही कमेंट आ रहे हैं कि अगर सद्भावना करनी है तो हमें मस्जिदों में भी दिवाली की पूजा हवन आरती करने दी जाए। तो भाई लोगों पहली बात तो यह है कि फैसल खान ने वह किया जिसकी इजाजत आपके मंदिर वालों ने दी थी  !  फैसल खान कोई जुलूस लेकर जबरदस्ती मंदिर में घुसकर हक के तौर पर मंदिर के गुंबद पर लाउडस्पीकर बांधकर अजान पढ़कर नमाज पढ़ने नहीं आए थे। वो  हिंदू मुस्लिम सद्भावना के लिए ब्रजमंडल की चौरासी कोस की यात्रा  कर रहे थे और मंदिर रास्ते में पड़ा तो उन्होंने पुजारी से इजाजत मांगी।

हिंदू धर्म में जितनी इजाजत किसी को दी जा सकती है उतनी ही इजाजत पुजारी ने दी थी कि ठीक है आप आंगन में नमाज पढ़ लीजिए। इसी तरह हिंदुओं को किसी मस्जिद में जाना है तो मुसलमानों में जितनी इजाजत एक मस्जिद में दी जा सकती है वह आपको भी मिलेगी आप भले ही हिंदू हो सिख हो ईसाई हो। आप यह जिद नहीं कर सकते कि हम तो अपनी मर्जी चलाएंगे और बिना इजाजत लिए जबरदस्ती हवन करेंगे या आरती करेंगे या घंटा घड़ियाल बजाएंगे।

मैं खुद जन्म से हिंदू होते हुए कितनी ही बार मस्जिद के भीतर गया हूं मेरे दोस्तों ने नमाज पढ़ी है मैं वहां बैठ गया आंखें बंद कर ली ध्यान कर लिया किसी ने मुझे नहीं रोका ! कई बार सोशल मीडिया पर फोटो आपने देखे होंगे सिखों ने अपने गुरुद्वारे मुसलमानों के लिए खोल दिए ! जहां उन्होंने नमाज पढ़ी गणेश पंडाल में बरसात होने पर नमाज पढ़ वाली गई। बाढ़ में कितनी ही मस्जिदों में हिंदू परिवारों को मैंने खुद शरण लिए देखा है। हिंदू और मुसलमान अलग तरह के इंसान नहीं होते इंसान वह एक ही तरह के होते हैं खाली उनका ईश्वर के बारे में सोचना अलग तरह से हैं।

दोनों एक ही तरह से अकलमंद होते हैं एक ही तरह से बेवकूफ होते हैं एक ही तरह से जालिम होते हैं एक ही तरह से उदार होते हैं एक ही तरफ से अच्छे होते हैं की तरह से बुरे होते हैं।

फैसल खान ने जो किया वह दोनों धर्मों को मानने वाले लोगों की एकता के लिए किया। उनका समर्थन होना चाहिए उनका साथ दिया जाना चाहिए। ऐसे वक्त में जब की नफरत बढ़ाई जा रही हो इस तरह के लोगों की बहुत ज्यादा जरूरत है। हिंदू और मुसलमानों दोनों को उनका समर्थन करना चाहिए।

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